भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिले में तस्करों के हौसलें दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं। सोमवार मध्य रात शाहपुरा-भीम राष्ट्रीय राजमार्ग पर तस्करों और पुलिस के बीच मुठभेड़ की घटना सामने आई, जिसमें तस्करों ने पुलिस और डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम (डीएसटी) पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। गनीमत रही कि इस वारदात में कोई पुलिसकर्मी हताहत नहीं हुआ। फायरिंग के बाद तस्कर मौके से फरार हो गए, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है।
शाहपुरा के एएसपी राजेश आर्य के अनुसार, पुलिस की डीएसटी टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि शाहपुरा क्षेत्र से तस्कर अफीम व अन्य मादक पदार्थों की तस्करी करते हुए गुजरने वाले हैं। इसी के तहत सोमवार रात करीब 11.30 बजे शाहपुरा-भीम राष्ट्रीय राजमार्ग पर फुलियाकला थाना क्षेत्र के अरवड़ चैराहे के समीप स्थित पुलिस चाैकी के पास नाकाबंदी की गई थी।
नाकाबंदी की भनक लगते ही वहां से गुजर रहे अज्ञात तस्करों ने पुलिस और डीएसटी की टीम पर अचानक चार राउंड फायरिंग कर दी। हालांकि पुलिस ने सतर्कता दिखाते हुए जवाबी कार्रवाई करते हुए खुद को सुरक्षित रखा, जिससे किसी भी पुलिसकर्मी को कोई चोट नहीं आई। लेकिन तस्कर इस हमले के बाद वाहन समेत फरार होने में सफल रहे।
घटना की सूचना मिलते ही शाहपुरा एएसपी राजेश आर्य, डिप्टी ओमप्रकाश विश्नोई सहित वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और तस्करों की गिरफ्तारी के लिए विभिन्न टीमें गठित कर दी गई हैं। पुलिस अधीक्षक धमेंद्र सिंह के सुपरवीजन में सभी 6 टीमें तस्करों की तलाश में क्षेत्र में लगातार दबिश दे रही हैं। इलाके में वाहनों की चेकिंग और संदिग्ध गतिविधियों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि यह कोई पहली घटना नहीं है जब तस्करों ने पुलिस पर हमला किया हो। पूर्व में भी तस्कर पुलिस की नाकाबंदी तोड़ने के लिए हिंसक तरीकों का सहारा लेते रहे हैं। करीब चार साल पहले भीलवाड़ा जिले के रायला और कोटड़ी थाना क्षेत्र में तस्करों द्वारा नाकाबंदी कर रहे पुलिसकर्मियों पर फायरिंग की गई थी, जिसमें दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। यह घटना अब भी पुलिस महकमे की स्मृतियों में ताजा है।
भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध रूप से अफीम की खेती होती रही है। इन क्षेत्रों में तैयार अफीम को तस्कर चोरी-छिपे भीलवाड़ा के रास्ते मारवाड़ व अन्य जिलों और राज्यों तक पहुंचाते हैं। अफीम के साथ-साथ डोडा-चूरा की तस्करी भी बड़े पैमाने पर होती है। पुलिस के अनुसार, गर्मी के मौसम में यह तस्करी और तेज हो जाती है क्योंकि अफीम की कटाई का यही समय होता है।
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