बीकानेर जिले में ये लोग धोखाधड़ी से जमीन के असली मालिक के हूबहू नाम वाले पुरुष या महिला को ढूंढकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर लेते हैं। उसे ही असली मालिक बताकर खरीदारों के सामने पेश कर जमीन बेचकर लाखों रुपए हड़प लेते हैं। गिरोह के सरगनाओं के नाम सदर थाने में दर्ज हैं।
पाकिस्तान व अन्य जिलों के सीमावर्ती इलाकों में करोड़ों रुपए की जमीनें हैं, जिनके मालिक लंबे समय से उनकी सुध नहीं ले रहे हैं। ऐसी जमीनों को ढूंढकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचने वाला गिरोह बीकानेर में सक्रिय है। गिरोह के सदस्य पूगल, बीकापुर, पांचू, बीकानेर समेत कई इलाकों में जमीनों की तलाश करते हैं। बीकानेर में सोलर प्लांट लगाने वाली कंपनियों को बड़े पैमाने पर जमीन की जरूरत होती है।
गिरोह के सदस्य प्लांट लगाने के लिए उपयुक्त जमीनों पर भी नजर रखते हैं। ये लोग असली मालिक से मिलते-जुलते नाम, शक्ल और उम्र वाले दूसरे पुरुष या महिला की तलाश करते हैं और उन्हें पैसों का लालच देकर अपने साथ मिला लेते हैं। ऐसे फर्जी मालिकों को पूरी ट्रेनिंग दी जाती है। किसी तरह से ये असली मालिक का आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड की कॉपी हासिल कर लेते हैं और उस पर फर्जी मालिक का फोटो स्कैन करवा लेते हैं।
जमीन का बैनामा, इकरारनामा, रजिस्ट्री करवाते समय फर्जी मालिक भी तैयार कर लिया जाता था। खरीददार झांसे में आकर जमीन बेच देता है। सदर थाने में जब लगातार ऐसे मामले सामने आए तो पुलिस ने जांच कर गिरोह के सरगना कोलायत निवासी बीरबल पंचारिया, कैलाश पंचारिया और सुजानदेसर निवासी रानूप्रकाश ब्राह्मण को नामजद किया। जमीन बेचने के अलग-अलग मामलों में इन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है। बीरबल फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है।
इन तीन मामलों से भूमाफियाओं की गतिविधियों को समझें
1. उदयरामसर में नवरतन अग्रवाल के पास 0.9300 हेक्टेयर जमीन थी। जयपुर रोड पर पाताला फैक्ट्री के पीछे दुर्गा विहार कॉलोनी में रहने वाले मनोहरलाल को जमीन खरीदनी थी। आरोपी बीरबल, भंवरलाल, रानूप्रकाश ने 24 लाख रुपए में सौदा तय किया और परिवादी ने 17 मई 24 को आरोपियों को 6.05 लाख रुपए नकद और 95000 रुपए फोन-पे के जरिए दे दिए। आरोपियों ने श्रीचंद नाम का फर्जी व्यक्ति तैयार कर उसे जमीन मालिक नवरतन अग्रवाल बनाकर खरीददार मनोहरलाल और उसके साथियों के सामने पेश किया। फर्जी दस्तावेज तैयार कर 12.50 लाख रुपए हड़प लिए।
2. पुरानी गिन्नाणी निवासी माली देवी के नाम पूगल तहसील के भानीपुरा में 12.6464 हैक्टेयर जमीन थी। मालाराम को जमीन खरीदने के लिए राजी कर लिया। जमीन बेचने का सौदा 27.50 लाख रुपए में तय हुआ। 9 लाख रुपए दे दिए। मालाराम को पता चला कि जिस रामी देवी से उसने जमीन खरीदी थी, उसकी 11 साल पहले 2.8.11 को मौत हो चुकी है। पुलिस जांच में सामने आया कि बीरबलराम, हरिराम जोशी के कहने पर योजना बनाई गई और लूणकरणसर के मकड़ासर निवासी गुलाब कंवर को फर्जी रामी देवी बना दिया गया। पुलिस ने इस मामले में गुलाब कंवर, प्रेमसिंह, रणजीतसिंह, पेनमाराम, देवकिशन को भी दोषी माना।
3. पूगल के भानीपुरा में अमरजीतसिंह कुम्हार सिख के पास 6.3232 हैक्टेयर यानी 25 बीघा जमीन थी। बीरबल पंचारिया, कैलाश ब्राह्मण ने मालाराम सारस्वत को जमीन खरीदने के लिए राजी किया। जमीन का सौदा 10 लाख रुपए में तय हुआ। आरोपियों ने 4.50 लाख रुपए ले लिए। शेष 5.50 लाख रुपए 30 अगस्त को लिए। जमीन मालिक के आधार कार्ड की जांच की गई तो पता चला कि फोटो किसी और व्यक्ति का है। जालसाजों ने हरियाणा के हिसार में रहने वाले विक्रम सिंह उर्फ टीनू को फर्जी अमरजीत बनाकर जमीन बेच दी। पुलिस ने बीरबल, विक्रम, कैलाश पर लगे आरोपों को प्रमाणित माना।
बड़ा सवाल- तहसील दफ्तरों से कैसे हासिल करते हैं दस्तावेज?
सदर पुलिस की जांच में सामने आया है कि गिरोह के सदस्य तहसील दफ्तरों से जमीन की जमाबंदी व अन्य दस्तावेज हासिल कर लेते हैं। फर्जी दस्तावेज तैयार कर उनके जरिए फर्जी जमीन मालिक बनवाकर सौदा कर लेते हैं। बड़ा सवाल यह है कि इन जालसाजों को जमीनों के बारे में कैसे पता चलता है। जमीन के दस्तावेज कैसे हासिल करते हैं? क्या तहसील दफ्तरों में बैठे कर्मचारी गिरोह से मिलीभगत रखते हैं? ऐसे मामलों की जांच करने पर पता चला कि जिले में एक गिरोह सक्रिय है जो जमीन मालिकों के बारे में पूरी जानकारी जुटाकर उनके हमशक्ल बनाकर फर्जी दस्तावेजों के जरिए सौदा करता है।
रणप्रकाश ब्राह्मण गिरोह का मुख्य सरगना है। खरीदार पूरी जानकारी नहीं जुटा पाते और जालसाजों के झांसे में आ जाते हैं। जमीन खरीदते समय खरीदारों को अपने पड़ोसियों से मालिक का सत्यापन कर लेना चाहिए। फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए ज्यादातर आधार कार्ड पर मालिक की अलग से फोटो लगाई जाती है। इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त होना चाहिए। जमीन खरीदते समय असली दस्तावेजों से ही सौदा करें।
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