जोधपुर जिले के लोहावट थाना क्षेत्र का ढेलाणा गांव आज भी उस रहस्यमय गुमशुदगी को याद करता है, जिसने पूरे इलाके को सन्न कर दिया था। मामला है वर्ष 2015 का, जब गांव के सुथार मोहल्ले में रहने वाले कैलाश सुथार ने अपने चाचा संतोष सुथार के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
कैलाश ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 6 फरवरी 2015 से उसके चाचा संतोष अचानक गायब हो गए हैं। परिवार और रिश्तेदारों ने आसपास के गांवों, रिश्तेदारी व कामकाज के ठिकानों पर काफी तलाश की, लेकिन संतोष का कोई सुराग नहीं मिला। न कोई कॉल, न कोई संदेश — मानो वो धरती से गायब हो गए हों।
गांव में फैली सनसनीगुमशुदगी की खबर फैलते ही ढेलाणा और आसपास के इलाकों में सनसनी मच गई। संतोष सुथार को गांव में एक मेहनती और शांत स्वभाव का व्यक्ति माना जाता था। वे बढ़ई का काम करते थे और अक्सर गांव से बाहर भी ठेके पर काम करने जाते थे। इसलिए शुरू में परिवार को लगा कि शायद वे किसी काम पर गए होंगे। लेकिन जब कई दिनों तक कोई सूचना नहीं आई, तब मामला गंभीर हो गया।
लोहावट पुलिस की जांच शुरूकैलाश की रिपोर्ट के बाद लोहावट पुलिस थाना हरकत में आया। शुरुआती जांच में पुलिस ने मोबाइल लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड और संतोष के परिचितों से पूछताछ शुरू की। लेकिन कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगा।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच में यह बात सामने आई कि संतोष ने गुमशुदगी से कुछ दिन पहले किसी के साथ पैसों को लेकर विवाद किया था। हालांकि इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया।
संतोष के परिवार वालों का कहना है कि उनका किसी से कोई झगड़ा नहीं था। वे परिवार के सबसे जिम्मेदार सदस्य थे और अचानक गायब होना उनकी आदत से बिल्कुल अलग था।
कैलाश का कहना था, “हम हर मंदिर, हर दरगाह गए, लेकिन चाचा का कोई निशान नहीं मिला। पुलिस ने तलाश की, पर सालों बीत गए — न चाचा मिले, न कोई खबर।”
साल गुजरते गए, लेकिन संतोष सुथार की गुमशुदगी का रहस्य आज भी अनसुलझा है। पुलिस ने कई बार केस को फिर से खंगालने की कोशिश की, मगर अब तक न कोई सुराग, न कोई गवाह सामने आया।
गांव के बुजुर्ग आज भी इस घटना को रहस्य की तरह याद करते हैं। कुछ लोग इसे साधारण गुमशुदगी मानते हैं, जबकि कई ग्रामीणों का मानना है कि इसमें कोई गहरा राज छिपा है।
“राजस्थान क्राइम फाइल्स” के इस दूसरे हिस्से में यह सवाल एक बार फिर गूंजता है — क्या संतोष सुथार का रहस्य कभी उजागर होगा?
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार केस अब भी खुला है, और समय-समय पर इसमें नई जानकारी जुटाने की कोशिश की जाती है।
ढेलाणा गांव के लोगों के लिए यह घटना एक सबक बन गई — कि कभी-कभी छोटे गांवों में भी ऐसे राज छिपे होते हैं, जो सालों तक लोगों के दिलों में सवाल बनकर रह जाते हैं।
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