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राजस्थान में छात्राओं को मिलनी थी स्कूटियां, पर हो रहीं 'कबाड़': ग्राउंड रिपोर्ट

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BBC काफ़ी समय से खुले में रखे जाने की वजह से अब ये सैकड़ों स्कूटियां क़रीब-क़रीब कबाड़ में तब्दील हो गई हैं

पिछले दिनों राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले के एक कॉलेज में बड़ी संख्या में खड़ी स्कूटियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं.

यूं तो ये सैकड़ों स्कूटी नई हैं, लेकिन काफ़ी समय से खुले में रखे जाने की वजह से अब ये क़रीब-क़रीब 'कबाड़' बन गई हैं.

दरअसल, राजस्थान सरकार की योजना के तहत छात्राओं को स्कूटी मिलती है. लेकिन बांसवाड़ा में स्कूटियों का छात्राओं के नाम पर रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद क़रीब दो साल से ये स्कूटियां बांटी नहीं गईं और ये ऐसे ही पड़ी हुई हैं.

राजस्थान की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी भी बीबीसी से बातचीत में ये मानते हैं कि रखी हुई यह स्कूटियां कबाड़ में तब्दील हो गई हैं.

आख़िर ऐसा क्यों हुआ?

किस वजह से अब तक छात्राओं को स्कूटी नहीं मिली और ये करोड़ों रुपये की सैकड़ों स्कूटियों की बर्बादी का ज़िम्मेदार कौन है?

image BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए ये भी पढ़ें
किस हाल में पड़ी हैं ये स्कूटियां?

13 अक्तूबर को बांसवाड़ा ज़िले के सर्किट हाउस के पास स्थित विद्या मंदिर कॉलेज में बड़ी संख्या में स्कूटी खड़ी दिखीं.

खुले आसमान के नीचे खड़ी इन स्कूटियों में जगह-जगह मकड़ियों के जाले दिखते हैं. आसपास उगी हुई घास और झाड़ियों से स्कूटियां ढकती जा रही हैं.

इन्हें स्टार्ट करने में मुश्किल होगी क्योंकि खड़े-खड़े इनकी बैटरियां ख़राब हो चुकी हैं.

एक स्कूटी की कीमत क़रीब सत्तर हज़ार रुपए है. खुले आसमान के नीचे खड़ी करीब 600 स्कूटी की क़ीमत सवा चार करोड़ रुपए है. यह तो महज़ एक जगह रखी हुई स्कूटियों की क़ीमत है.

image BBC खुले आसमान के नीचे खड़ी स्कूटियों में मकड़ियों के जाले

लेकिन, ज़िले में 1690 स्कूटी दो साल से अलग-अलग जगहों पर धूल फांक रही हैं, जिसकी कीमत क़रीब बारह करोड़ रुपए है.

सरकार से स्कूटियों का टेंडर लेने वाले एक डीलर नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, ''हमने स्कूटियां किराए के हॉल लेकर भी रखी हुई हैं. महीने का अस्सी हज़ार तक किराया जेब से देना पड़ रहा है.''

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आख़िर इतनी देरी क्यों हुई?

बांसवाड़ा ज़िले की 1690 स्कूटी में से क़रीब 1400 स्कूटी आदिवासी छात्राओं को वितरित होनी हैं.

स्कूटी कंपनी के डीलर और योजना से जुड़े ज़िम्मेदारों के पास छात्राएं और उनके परिजन फ़ोन कर पूछते हैं कि स्कूटी कब मिलेगी. लेकिन, किसी के पास छात्राओं के सवाल का जवाब नहीं है.

image BBC कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा , "पंद्रह सौ स्कूटियां लंबे समय तक क्यूआर कोड जारी नहीं होने से वितरित नहीं हो सकी हैं"

स्कूटी योजना के नोडल सेंटर श्री हरिदेव जोशी राजकीय कन्या महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्या डॉ सरला पंड्या बीबीसी से कहती हैं, “सेशन 2021-22 और 2022-23 की करीब ढ़ाई हज़ार स्कूटी थीं, लेकिन कुछ बांट दी गई हैं. अब क़रीब सोलह सौ स्कूटी रखी हुई हैं. अभी वित्त विभाग का ऑर्डर नहीं है, इसलिए यह स्कूटी रुकी हुई हैं.”

स्कूटी वितरण योजना को देख रहे प्रभारी प्रमोद वैष्णव बताते हैं, “स्कूटी के लिए छात्राओं के आधार कार्ड से लिंक हुए नंबर पर एक क्यूआर कोड आता है, जिसको स्कूटी डीलर के यहां स्कैन करने के बाद पेमेंट कंपनी को जाता है और स्कूटी दे दी जाती है. लेकिन, अभी तक क्यूआर कोड जारी नहीं हुए हैं.”

स्कूटी वितरण में दो साल की देरी क्यों हुई और इस देरी लिए कौन ज़िम्मेदार है?

इस सवाल पर राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा , ''पहले विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव आ गया, फिर बजट सेशन आ गया. यह स्कूटी इस कारण क़रीब दो साल तक पड़ी रही हैं.”

मंत्री बाबूलाल खराड़ी कहते हैं, “ये दुर्भाग्य है कि ये स्कूटियाँ लड़कियों को वितरित नहीं हो सकीं, हो जातीं तो उनके काम आती.”

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किन छात्राओं को मिलती है स्कूटी? image Kapil Sharma छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से स्कूटी वितरण योजना शुरू की गई थी

राजस्थान सरकार ने छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए स्कूटी वितरण योजना शुरू की थी.

प्रमोद वैष्णव बीबीसी से कहते हैं, “दसवीं, बारहवीं में विभिन्न वर्ग और नियमानुसार 65 से 75 फीसदी या अधिक अंक लाने वाली छात्राओं को स्कूटी दी जाती है. सामाजिक रूप से पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग की बच्चियों को दी जाती है. इसमें देवनारायण और कालीबाई योजना के तहत स्कूटी दी जाती है.”

स्कूटी वितरण की प्रक्रिया क्या होती है. इस सवाल पर प्रमोद वैष्णव कहते हैं, “छात्रा के नाम से स्कूटी की क़ीमत का क्यूआर कोड जनरेट होता है.”

उन्होंने बताया, “सरकार किसी एक बैंक से टाई-अप करती है, वो बैंक छात्रा के आधार नंबर से लिंक मोबाइल नंबर पर एक क्यूआर कोड भेजता है. क्यूआर कोड को लेकर स्टूडेंट स्कूटी शोरूम पर ले जाकर स्कैन करवाता है.”

image BBC स्कूटी वितरण की प्रक्रिया को लेकर प्रमोद वैष्णव ने कहा कि छात्रा के नाम से स्कूटी की क़ीमत का क्यूआर कोड जनरेट होता है. इसके बाद छात्रा को स्कूटी मिलने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है.

वैष्णव ने कहा, “स्कैन के साथ ही बैंक के खाते से स्कूटी का पैसा स्कूटी शोरूम मालिक को ट्रांसफर हो जाता है, जिसके बाद स्टूडेंट को स्कूटी वितरित कर दी जाती है.”

योजना से जुड़े जयपुर के अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “स्कूटी हायर एजुकेशन में मदद के लिए दी जाती है. लेकिन, जिन बच्चियों को कॉलेज में प्रवेश के बाद स्कूटी मिल जानी चाहिए थी. उनकी ग्रेजुएशन भी कंप्लीट हो गई है, लेकिन अभी तक उन्हें स्कूटी नहीं मिली है.”

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क्या पूरे प्रदेश में है ये ऐसी स्थिति?

बांसवाड़ा में जिस कंपनी को ये सरकारी टेंडर मिला है, उससे जुड़े एक शख़्स ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “स्कूटियों का रजिस्ट्रेशन छात्राओं के नाम पर हो चुका है.”

उसने बताया, “स्कूटियों की नंबर प्लेट और आरसी भी आ गई हैं. इनका इंश्योरेंस भी हो चुका है और स्कूटियों को होल्ड पर रखने से इंश्योरेंस भी खत्म हो रहा है.”

वो आगे बताते हैं, “प्रदेश भर में क़रीब 42 हज़ार स्कूटी होल्ड पर हैं.”

image Kapil Sharma एक शख़्स ने बीबीसी को बताया कि स्कूटियों का रजिस्ट्रेशन छात्राओं के नाम पर हो चुका है

डॉ सरला पंड्या कहती हैं, “पूरे प्रदेश में ही इसी तरह स्कूटियां रखी हुई हैं. सिर्फ़ बांसवाड़ा का ही मामला नहीं है क्योंकि क्यूआर कोड प्रदेश के दूसरे ज़िलों में भी जारी नहीं हुआ है तो हाल हर जगह एक जैसा है.”

जिन लड़कियों को मिलने वाली थी स्कूटी, वो क्या कह रही हैं? image BBC सुनीता चरपोटा बताती हैं कि स्कूटी मिलने की ख़ुशी में लाइसेंस भी बनवा लिया था

इस योजना के तहत जिन लड़कियों को स्कूटी मिलने वाली थी, अब वो निराश नज़र आती हैं.

बांसवाड़ा में गढ़ी की रहने वाली आस्था जैन कहती हैं, “साल 2021-22 में साइंस स्ट्रीम से बारहवीं में 92.40 प्रतिशत अंक प्राप्त कर स्कूटी मिलने के लिए सभी प्रोसेस पूरे कर दिए थे. लेकिन, अभी तक स्कूटी का कोई पता नहीं और यह भी नहीं मालूम कि कब मिलेगी.”

वो कहती हैं, ''मेरे पापा नहीं हैं, हर जगह मम्मी भी नहीं साथ जा सकती हैं, अगर स्कूटी समय से मिल जाती तो ग्रेजुएशन की पढ़ाई में मदद होती.”

आस्था की मां फोन में स्कूटी दिखाते हुए कहती हैं, “हमने शोरूम पर जाकर कलर भी पसंद कर लिया था.”

सुनीता चरपोटा ने साल 2021 में 77 प्रतिशत के साथ बारहवीं पास की है. स्कूटी का आवेदन किया, सभी डॉक्यूमेंट भी जमा करा दिए हैं, लेकिन अभी तक नहीं मिली स्कूटी.

बांसवाड़ा से करीब दस किलोमीटर दूर घर है. वो कहती हैं, “सड़क पर कई देर तक इंतज़ार करने के बाद बस या ऑटो से कॉलेज जाते हैं. एक घंटा जितना समय लग जाता है. कई बार क्लास में भी देरी से पहुंचे. स्कूटी मिल जाती तो बहुत समय की बचत हो जाती.”

वह कहती हैं, “स्कूटी मिलने की खुशी में मैंने लाइसेंस भी बनवा लिया था.”

मोहन डामोर की बेटी बिंदु बांसवाड़ा के गुरु गोविंद कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रही हैं, उनका गांव बांसवाड़ा से करीब चालीस किलोमीटर दूर है.

मोहन कहते हैं, “हमारी बेटी ने दो साल पहले बारहवीं पास की थी. स्कूटी के लिए फोन करते हैं तो कहते हैं मिलेगी. लेकिन, पता नहीं कब मिलेगी."

वह कहते हैं, “हमने शोरूम पर बात की थी और स्कूटी में एसेसरीज लगवाने के लिए पैसे भी जमा करवा दिए हैं. लेकिन स्कूटी ही नहीं मिल रही.”

संतोषी चरपोटा बांसवाड़ा से करीब दस किलोमीटर दूर रहती हैं. मां नहीं हैं और पिता मजदूरी करते हैं. एक कमरे के घर में बिना कुछ ख़ास सुविधाओं के उन्होंने 75.64 प्रतिशत के साथ बारहवीं पास की और अब ग्रेजुएशन कर रही हैं.

वह कहती हैं, “आवेदन किया, सभी काग़ज जमा कराए लेकिन स्कूटी नहीं मिली. कहते हैं मिलेगी लेकिन पता नहीं कब मिलेगी.”

“हम ख़ुद के पैसे से स्कूटी खरीदने का सोच भी नहीं सकते हैं. हम खुश थे कि स्कूटी मिलेगी.”

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कब तक मिल सकेगा इस योजना का लाभ?

बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत बीबीसी से कहते हैं , “बांसवाड़ा की प्रतिभावान बच्चियाँ जिन्होंने मेहनत के बल पर अच्छा प्रतिशत बनाया और उम्मीद में बैठी थी कि उन्हें जल्द सरकारी योजना के तहत स्कूटी मिलेगी. लेकिन, राज्य सरकार की नाकामी के कारण यह स्कूटी कबाड़ में तब्दील हो गई हैं.”

image BBC आस्था जैन का कहना है कि हमने देखा है कि किस हाल में स्कूटी खड़ी है. अब तो पता नहीं वो चलेंगी भी या नहीं

उन्होंने कहा, “यह एक तरह का करोड़ों रुपए का घोटाला है. लंबे समय से रखी हुई स्कूटी बिल्कुल ख़त्म हो चुकी हैं और उसमें घास उग चुकी हैं. मेरी सरकार से मांग है कि इस मामले में जांच कमेटी बना कर दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए.”

सांसद रोत कहते हैं कि, इन स्कूटियों को वापस भेज दिया जाना चाहिए और बच्चियों को नई स्कूटी दी जानी चाहिए.”

मंत्री बाबूलाल खराड़ी का कहना है, “मैंने संबंधित अधिकारियों से इस बारे में बात की है. जल्दी ही और इसी महीने बच्चियों को स्कूटी वितरित कर दी जाएंगी.”

स्कूटी शोरूम के एक डीलर नाम नहीं छापने की शर्त पर बीबीसी को बताते हैं कि, “होल्ड पर होने के कारण इन सबकी बैटरियां खत्म हो चुकी हैं. यदि राज्य सरकार बजट जारी कर एक महीने में भी स्कूटी वितरित करनी चाहे तो यह अब संभव नहीं है. क्योंकि सभी की बैटरी चार्ज करने में ही क़रीब एक महीने का समय लग जाएगा.”

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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