इसराइली मीडिया ने ग़ज़ा सीज़फ़ायर पर चल रही बातचीत के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'सकारात्मक रुख़' को प्रमुखता से जगह दी है.
ट्रंप के ग़ज़ा पीस प्लान पर हमास और इसराइल के प्रतिनिधियों के बीच पहले चरण की बातचीत मिस्र में चल रही है. ये बातचीत 6 अक्तूबर यानी सोमवार को शुरू हुई थी.
सितंबर के आख़िरी सप्ताह में व्हाइट हाउस में इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात के दौरान ट्रंप ने गज़ा युद्ध ख़त्म करने के लिए 20 बिंदुओं वाला प्रस्ताव पेश किया था.
इस प्लान में ग़ज़ा में इसराइली सैन्य कार्रवाई फ़ौरन रोकने का प्रस्ताव दिया गया है.
इसके तहत हमास को सभी 20 जीवित इसराइली बंधकों को रिहा करना है और उन क़रीब 20 बंधकों के शवों को वापस करना है, जिनके बारे में माना जाता है कि उनकी मौत हो चुकी है.
इसराइली मीडिया क्षेत्र में शांति स्थापना के प्रयासों के लिए डोनाल्ड ट्रंप को श्रेय दे रहा है.
न्यूज़ वेबसाइट वाइनेट के मुताबिक़ इसराइल बंधकों की रिहाई सुनिश्चित कराने के बेहद क़रीब आ गया है. वहीं अख़बार हाएरित्ज़ के मुताबिक़ ट्रंप इस पीस प्लान को लागू करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.
रिपोर्ट्स में नेतन्याहू के बदलते रुख़ की भी चर्चा हो रही है.
'नेतन्याहू के पास और कोई रास्ता नहीं'अख़बार हाएरित्ज़ के मुताबिक़ ट्रंप के पीस प्लान को मानने के अलावा नेतन्याहू के पास कोई रास्ता नहीं है इसीलिए वो इसे सपोर्ट कर रहे हैं.
ट्रंप ने इसराइल और हमास दोनों से ही कहा है कि शांति प्रस्ताव पर तेज़ी से चर्चा करें ताकि इसे जल्द अमल में लाया जा सके.
ट्रंप ने अमेरिकी न्यूज़ चैनल सीएनएन को दिए इंटरव्यू में कहा था, "अगर हमास ग़ज़ा से सत्ता और नियंत्रण छोड़ने से इनकार करता है, तो उसे पूरी तरह से ख़त्म कर दिया जाएगा."
इसराइली मीडिया ने ट्रंप के उस बयान को प्रमुखता से जगह दी है जिसमें उन्होंने कहा है कि, "बातचीत का पहला चरण इस सप्ताह शुरू हो जाएगा."
कई अख़बारों ने इसराइल और हमास के बीच हो रही इस बातचीत को ग़ज़ा वॉर ख़त्म होने की दिशा में 'बेहद सकारात्मक क़दम' बताया.
सेंट्रिस्ट अख़बार 'मारिव' की हेडलाइन थी- 'काहिरा से उम्मीद'
वहीं सबसे ज़्यादा सर्कुलेशन वाले अख़बार येदीओट आख़रोनोट ने फ्रंट पेज पर लिखा- 'अमेरिकी पीस प्लान की 90 फ़ीसदी बातें पहले ही तय हो चुकी हैं.'
लिबरल (उदारपंथी) माने जाने वाले अख़बार हाएरित्ज़ ने लिखा, "अब भी बहुत सारी मुश्किलें हैं लेकिन लंबे समय के बाद युद्ध के ख़त्म होने की उम्मीद जगी है."

न्यूज़ वेबसाइट वाईनेट ने पीएम नेतन्याहू के उस बयान को भी छापा है जिसमें उन्होंने कहा था कि, 'वो इस बात की गारंटी नहीं ले सकते कि हमास सभी बंधकों को लौटा देगा.'
लेकिन नेतन्याहू समर्थक दक्षिणपंथी चैनल 14 के मुताबिक़, "ट्रंप ने हमास को पीस प्लान क़बूल करने के लिए साफ़ तौर पर कोई डेडलाइन नहीं दी.' चैनल 14 ने इस पीस प्लान को 'अस्पष्ट' बताया.
इसराइली मेनस्ट्रीम मीडिया के एक बड़े हिस्से के मुताबिक़, "इसराइल इस तरह के शांति समझौते पर कई महीने पहले ही पहुंच सकता था."
इसके जवाब में चैनल 14 के एक कार्यक्रम में कहा गया, "पिछले सभी शांति प्रस्तावों में सिर्फ़ कुछ इसराइली बंधकों को छोड़ने की बात कही गई थी सभी को नहीं. जैसे पिछले प्रस्ताव में भी महज़ 10 बंधकों को छोड़ने की बात थी."
हालांकि चैनल 14 ने इस बात का ज़िक्र नहीं किया कि पिछले प्रस्ताव में ये बात शामिल थी कि बंधकों की पहली ख़ेप को छोड़ने के बाद धीरे-धीरे सभी बंधकों को रिहा कर दिया जाएगा.
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अख़बार हाएरित्ज़ ने लिखा कि पीएम नेतन्याहू के रुख़ में बदलाव आ रहा है और वो नए घटनाक्रम को ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे ये उनकी कोशिशों का नतीजा है जबकि इससे पहले पूरी लड़ाई के दौरान नेतन्याहू ज़ोर देते रहे कि हमास की क़ैद से बंधकों को सिर्फ़ उस पर सैन्य दबाव बनाकर ही छुड़वाया जा सकता है.
हाएरित्ज़ के डिफ़ेंस एनालिस्ट आमोस हारेल ने लिखा , "ऐसा लग रहा है कि ट्रंप इस लड़ाई को ख़त्म करवाने के लिए पूरा ज़ोर लगा रहे हैं."
हारेल ने लिखा, "बाधाएं अब भी बहुत हैं. लेकिन लड़ाई शुरू होने के दो साल बाद अब जाकर इसके ख़त्म होने के पूरे अवसर बन रहे हैं."
उन्होंने यह भी जोड़ा कि ट्रंप और नेतन्याहू संकेत दे रहे हैं कि 'सकारात्मक बदलाव इस सप्ताह सुक्कोत के त्योहार तक शुरू हो सकता है.'
सुक्कोत एक यहूदी त्योहार है जो हर साल सितंबर या अक्तूबर में पड़ता है.
हारेल ने नेतन्याहू के रुख में आए बदलाव को हैरानी भरा बताया.
उन्होंने कहा, "पहले तो नेतन्याहू बातचीत की हर संभावना में अड़चन डालते रहे और अब वो इस पीस डील में प्रगति को देखकर इसका क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं."
हारेल ने कहा, "शायद नेतन्याहू को समझ में आ गया है कि अब वो ट्रंप के इस मूव को ब्लॉक नहीं कर सकते. इसलिए वो इसका समर्थन कर रहे हैं."
चैनल 13 के रिपोर्टर योएल ब्रिम ने कहा, "जब भी डोनाल्ड ट्रंप ग़ज़ा वॉर के ख़त्म होने का एलान करेंगे तो नेतन्याहू और इतमार बेन गिवीर जैसे धुर दक्षिणपंथी नेताओं को इसे मानना ही पड़ेगा. अब सब कुछ ट्रंप पर ही निर्भर करता है."
ताज़ा प्रस्ताव के मुताबिक़ इसराइल को ग़ज़ा में सैन्य कार्रवाई तुरंत रोकनी होगी.
प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि जब तक जीवित बंधकों की रिहाई और मृत बंधकों के शवों की चरणबद्ध वापसी की शर्तें पूरी नहीं हो जातीं मौजूदा स्थिति बहाल रहेगी.
योजना के मुताबिक हमास अपने हथियार त्याग देगा, इसके साथ ही उसकी सुरंगें और हथियार बनाने के ठिकाने नष्ट कर दिए जाएंगे.
योजना के अनुसार, हर इसराइली बंधक के शव की रिहाई पर इसराइल 15 ग़ज़ावासियों के शव लौटाएगा.
योजना में यह भी कहा गया है कि जैसे ही दोनों पक्ष इस प्रस्ताव पर सहमत होंगे, "ग़ज़ा पट्टी में तुरंत पूरी सहायता भेजी जाएगी".
जब इस शांति प्रस्ताव का एलान हो रहा था तब अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ खड़े बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा था कि इसराइल ट्रंप के 20 सूत्रीय प्रस्ताव को स्वीकार करता है. हालांकि उनकी गठबंधन सरकार के अति-दक्षिणपंथी धड़े के कुछ नेता पहले ही इनमें से कुछ बिंदुओं को ठुकरा चुके हैं.
इस शांति प्रस्ताव का भारत, ब्रिटेन, फ़्रांस और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने स्वागत किया है.
हालांकि बीबीसी संवाददाता टॉम बेटमेन के मुताबिक़ इस योजना में इतनी अस्पष्टता है कि दोनों पक्ष इसे स्वीकार करने का दिखावा कर सकते हैं, और इस पर आगे की बातचीत के दौरान इसे बाधित करके इसकी असफलता का आरोप एक-दूसरे पर डाल सकते हैं.
बीते कई महीनों की बातचीत के दौरान इस तरह का पैटर्न देखा गया है. और अगर ऐसा होता है, तो यह भी स्पष्ट है कि ट्रंप प्रशासन किसके पक्ष में खड़ा होगा. और वो पक्ष है इसराइल.
ट्रंप ने यह बात नेतन्याहू से साफ़ कह दी थी. उन्होंने कहा कि, अगर हमास इस प्रस्ताव को नहीं मानता है तो अमेरिका इसराइल को 'पूरी तरह समर्थन देगा'.
(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)
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