Next Story
Newszop

सऊदी अरब-ईरान क्या भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम कराना चाहते हैं?

Send Push
Getty Images भारत और पाकिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच ईरान और सऊदी अरब की ओर से कूटनीतिक प्रयास तेज़ हो गए हैं.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में बढ़े तनाव के बीच कुछ देशों ने कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिए हैं.

सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने जहां पाकिस्तान और भारत के अपने समकक्षों से बात की है वहीं ईरान के विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है.

हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कई कड़े क़दम उठाए हैं जिनमें सिंधु जल समझौते को निलंबित करने से लेकर बॉर्डर क्रॉसिंग बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा को रद्द करना शामिल है.

उधर, पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए आने की घोषणा की है और कहा है कि सिंधु जल समझौते पर अगर भारत ने कोई कार्रवाई की तो इसे जंग का एलान माना जाएगा.

बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए

भारत सरकार का दावा है कि पहलगाम चरमपंथी हमले के तार सीमापार से जुड़े हुए हैं, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई जबकि कई घायल हुए हैं.

जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है और इसे 'फ़ॉल्स फ़्लैग' यानी दोष मढ़ना क़रार दिया है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, भारतीय सैन्य प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया है, जबकि पहलगाम हमले में शामिल हमलावरों की तलाश जारी है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन संदिग्धों में से दो के पाकिस्तानी नागरिक होने का दावा किया है.

के अनुसार, भारतीय मीडिया में दावा किया जा रहा है कि इस हमले में प्रतिबंधित चरमपंथी ग्रुप रज़िस्टेंस फ़्रंट शामिल हो सकता है.

ईरान की पेशकश image BBC

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर समझदारी के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश की है.

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर अराग़ची ने , "भारत और पाकिस्तान ईरान के भाईचारे वाले पड़ोसी हैं, जिनसे सदियों पुराने सांस्कृतिक और सभ्यता वाले संबंध हैं. अन्य पड़ोसियों की तरह, हम उन्हें अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हैं."

"तेहरान फ़ारसी कवि सादी द्वारा सिखाई गई भावना के अनुरूप, इस कठिन समय में अधिक समझ बनाने के लिए इस्लामाबाद और नई दिल्ली में अपने अच्छे संबंधों का इस्तेमाल करने को तैयार है."

साथ ही 13वीं सदी के कवि सादी की कविता भी साझा की है, संक्षेप में जिसका अर्थ है कि 'इंसानी सभ्यता ब्रह्मांड का एक हिस्सा है और अगर एक को दर्द होगा तो दूसरे को भी इससे परेशानी होगी.'

इसके साथ ही अराग़ची ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष इसहाक़ डार, जो कि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री भी हैं, उनसे बात की है. डार ने एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, "इस क्षेत्र में हालात को सामान्य करने की ईरान की कोशिशों की हम सराहना करते हैं."

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने एक्स पर एक जारी कहा कि ईरान के विदेश मंत्री से उनकी टेलीफ़ोन पर बात हुई है.

बयान के मुताबिक़, डार ने भारत के बेबुनियादी आरोपों को ख़ारिज किया और पाकिस्तान और भारत के रिश्ते में हालिया बदलावों की जानकारी दी. उन्होंने भारत की ओर से किसी भी 'उकसावे वाली कार्रवाई के ख़िलाफ़ आगाह' किया.

सऊदी अरब ने क्या कहा image BBC

सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने भारत और पाकिस्तान दोनों के विदेश मंत्रियों से बात की है.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए , "सऊदी अरब के विदेश मंत्री फ़ैसल बिन फ़रहान से फ़ोन पर बात हुई. उनके साथ पहलगाम आतंकी हमले और सीमा पार इसके संबंध पर चर्चा की."

पाकिस्तान के विदेश मंत्री डार की ओर से जारी के अनुसार सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फ़ैसल ने क्षेत्रीय घटनाक्रम पर बात की. डार ने भारत के फ़ैसले के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के फ़ैसलों के बारे में प्रिंस फ़ैसल को बताया.

बयान में डार ने भारत के आरोपों से इनकार किया और आगे तनाव बढ़ाने के किसी भी क़दम के प्रति आगाह किया और किसी भी आक्रामकता का दृढ़ता से जवाब देने की बात कही.

बयान में कहा गया है कि डार और प्रिंस फ़ैसल, 'तेज़ी से विकसित हो रहे क्षेत्रीय घटनाक्रम पर बातचीत और तालमेल बनाए रखने पर सहमत हुए हैं.'

संयुक्त राष्ट्र क्या बोला image UN Photo/Loey Felipe सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कर पहलगाम हमले की निंदा की है. के अनुसार, "सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा की."

इसमें कहा गया कि 'आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर ख़तरों में से एक है.'

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पाकिस्तान और भारत के बीच मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकतम संयम बरतने की अपील की है.

गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीन दुजारिक ने कहा कि हालांकि संयुक्त राष्ट्र महासचिव दोनों देशों से सीधे संपर्क में नहीं हैं लेकिन हालात पर क़रीबी नज़र बनाए हुए हैं.

गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र ने पहलगाम हमले की निंदा करने के साथ ही दोनों देशों से अधिकतम संयम बरतने और हालात न बिगड़ने देने की अपील की थी.

संयुक्त राष्ट्र ने बातचीत के ज़रिए शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है.

इस बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ ने बीबीसी को दिए एक में कहा है कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ मध्यस्थता के लिए पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक जाएगा.

भारत के जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल ने एक दिन पहले ही था कि 'सरकार इस रणनीति पर काम कर रही है कि भारत से पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान में न जाने पाये.'

इस बीच द हिंदू की एक में कहा गया है कि सिंधु जल संधि में वर्ल्ड बैंक मुख्य मध्यस्थ और ऑब्ज़र्वर रहा है लेकिन इस संधि को निलंबित किए जाने के बारे में भारत ने उसे कोई सूचना नहीं दी है.

ट्रंप का क्या है रुख़? image Getty Images ट्रंप ने उम्मीद जताई कि भारत और पाकिस्तान मौजूदा तनाव को कम करने का कोई रास्ता ढूंढ लेंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के ख़त्म होने की उम्मीद ज़ाहिर की है.

एक पत्रकार के सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि वह दोनों देशों के क़रीब हैं और दोनों देशों के नेताओं को जानते हैं.

उन्होंने , "मैं भारत के भी बहुत क़रीब हूं और पाकिस्तान के भी बहुत क़रीब हूं. वे कश्मीर को लेकर हज़ारों सालों से लड़ रहे हैं. कश्मीर का मुद्दा हज़ारों सालों से चल रहा है और शायद उससे भी ज़्यादा समय से...लेकिन मुझे यकीन है कि वे इसे किसी ना किसी तरह से सुलझा लेंगे."

इससे पहले अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस की डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने भारत के रुख़ का समर्थन करते हुए कहा था कि 'हमले के ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में अमेरिका साथ खड़ा है.'

उन्होंने एक्स पर , "हम पहलगाम में 26 हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए भीषण इस्लामी चरमपंथी हमले के ख़िलाफ़ भारत के साथ एकजुटता से खड़े हैं. मेरी प्रार्थनाएं और गहरी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है."

हालांकि पहलगाम हमले में मारे गए लोगों में एक स्थानीय निवासी आदिल हुसैन शाह का नाम भी है, जिनके बारे में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कहा है कि हमलावरों को रोकने में उनकी जान गई थी.

दक्षिण एशिया की भू राजनीति के जानकार और साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर धनंजय त्रिपाठी का कहना है कि 'अमेरिका ने मिला जुला संकेत दिया है.'

वो कहते हैं, "कई दशकों से पाकिस्तान अमेरिका का एक स्ट्रेटेजिक पार्टनर रहा है और हाल के सालों में भारत के साथ भी उसके रिश्ते अच्छे हुए हैं. लेकिन दक्षिण एशिया में अमेरिका भारत को पूरी छूट नहीं देना चाहता, ट्रंप के बयान से यही प्रतीत होता है."

मध्यस्थता करना चाहते हैं ईरान और सऊदी अरब? image BBC

ऐसा पहली बार नहीं है जब सऊदी अरब ने भारत और पाकिस्तान दोनों से बातचीत की हो. सऊदी अरब ने पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में कूटनीतिक प्रयास की कोशिश की है.

मिडिल ईस्ट इनसाइट फ़ोरम की संस्थापक डॉक्टर शुभदा चौधरी ने बीबीसी संवाददाता संदीप राय से कहा कि साल 2019 में जब पुलवामा में भारतीय सैनिकों पर हुए चरमपंथी हमले में में 40 सैनिक मारे गए थे, तब दोनों देशों के बीच सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने तनाव कम करने के प्रयास किए थे.

ईरान और सऊदी अरब क्यों मध्यस्थता करना चाहते हैं, इसके जवाब में वह कहती हैं, "ईरान इसलिए दक्षिण एशिया में शांति चाहता है कि उसकी सीमा पाकिस्तान से जुड़ती है, जबकि भारत के साथ कुछ अहम आर्थिक प्रोजेक्ट हैं, मसलन चाबहार पोर्ट. इस पोर्ट के ज़रिए भारत.. पाकिस्तान को बाइपास करके मध्य पूर्व में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है. इसके अलावा कूटनीतिक मध्यस्थता के चलते ईरान की प्रतिष्ठा बढ़ सकती है."

उनके मुताबिक़, "अगर दक्षिण एशिया में अस्थिरता बढ़ती है तो ईरान को नुक़सान होगा. इसके अलावा वह भी क्रॉस बॉर्डर टेररिज़्म से परेशान है."

डॉक्टर शुभदा चौधरी कहती हैं, "सऊदी अरब ने पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की है. पाकिस्तान के साथ उसके गहरे सामरिक और आर्थिक हित जुड़े हुए हैं. उसका प्रभाव भी है और इस वजह से उसका रसूख़ भी है. जबकि भारत के साथ उसके आर्थिक संबंध हैं."

हालांकि दक्षिण एशिया की भू राजनीति के जानकार साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर धनंजय त्रिपाठी का बीबीसी संवाददाता संदीप राय से कहना है कि इस समय हालात ऐसे हैं कि पाकिस्तान की ओर से कोई ठोस क़दम नहीं उठाया जाता, तब तक बैक चैनल डिप्लोमेसी का भारत के लिए कोई मतलब नहीं रहेगा.

उन्होंने बीबीसी से कहा, "पुलवामा और बालाकोट के बाद सऊदी अरब ने पाकिस्तान पर दबाव डाला था ताकि तनाव और न बढ़े."

"किसी तीसरे देश की ओर से किसी किस्म की डिप्लोमेसी का तभी अर्थ निकलेगा जब पाकिस्तान कोई ठोस कार्रवाई करे, हालांकि भारत की ओर से अभी तक उसके सामने कोई ठोस मांग या सबूत नहीं रखे गए हैं."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें, , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

image
Loving Newspoint? Download the app now