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यूपी का आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड क्या है, कॉन्ट्रैक्ट की नौकरियां अब ऐसे मिलेंगी

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UP Government उत्तर प्रदेश के 93 विभागों में तक़रीबन 11 लाख से ज़्यादा संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंज़ूरी दी है. सरकार का दावा है कि इससे राज्य में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें पारदर्शी होंगी.

सरकार का दावा है कि नई व्यवस्था से लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जिन्हें एजेंसियों के ज़रिए शोषण का सामना करना पड़ता था.

लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह क़दम स्थायी नौकरियों से बचने की कोशिश है.

युवाओं और कर्मचारियों की राय बंटी हुई है, कोई इसे राहत बता रहा है तो कोई नाकाफ़ी.

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क्या है आउटसोर्स सेवा निगम? image Brijesh Singh उत्तर प्रदेश में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते कर्मचारी (फ़ाइल फ़ोटो)

अब तक विभाग निजी एजेंसियों के ज़रिए संविदा पर कर्मचारी नियुक्त करते थे. कई बार आरोप लगता था कि कर्मचारियों को पूरा मानदेय नहीं मिलता, ईपीएफ़ और ईएसआईसी की राशि रोकी जाती है और भुगतान में देरी होती है.

नई व्यवस्था में निगम एजेंसी का चयन जेम (जीईएम) पोर्टल से करेगा और नियुक्ति, वेतन और सेवा शर्तों की पूरी निगरानी रखेगा.

सरकार का कहना है कि यह कंपनी नॉन-प्रॉफिट होगी और उद्देश्य कर्मचारियों को सुरक्षा और पारदर्शिता देना है.

आउटसोर्सिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई संस्था या विभाग अपने काम या सेवा को किसी बाहरी एजेंसी को सौंप देता है.

इस व्यवस्था में नियुक्त कर्मचारी सीधे संस्था के न होकर सेवा प्रदाता एजेंसी के हिस्से होते हैं और उन्हें अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) के आधार पर काम मिलता है, जबकि संविदा कर्मचारी सीधे उस संस्था या विभाग से अनुबंधित होते हैं.

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विपक्ष का विरोध image Niharika Kulkarni/NurPhoto via Getty Images सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आउटसोर्सिंग की प्रक्रिया का विरोध किया है

समाजवादी पार्टी लगातार आउटसोर्सिंग का विरोध करती रही है.

पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव कह चुके हैं कि उनकी सरकार बनते ही यह प्रक्रिया ख़त्म कर दी जाएगी.

पार्टी के प्रवक्ता मोहम्मद आज़म ने कहा, ''सरकार अगर ईमानदार होती तो सबसे पहले जो आउटसोर्सिंग कर्मचारी आंदोलनरत हैं उनके मानदेय बढ़ाने की घोषणा करती. आज भी शिक्षामित्र, अनुदेशक, डायल 112 एवं अन्य आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपने मानदेय बढ़ाने के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं.''

उन्होंने कहा, ''इसलिए घोषणा सिर्फ़ दिखावा है जबकि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की असल हक़ीक़त बढ़ी भयावह है.''

हालाँकि बीजेपी ने सरकार के इस क़दम को सही क़रार दिया है. बीजेपी ने कहा, ''इससे पारदर्शिता बढ़ेगी.''

image BBC युवाओं और कर्मचारियों की राय

प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे राज बहादुर कहते हैं, "मुख्यमंत्री जी स्थायी रोज़गार यानी सरकारी नौकरी देने से बच रहे हैं."

ओबीसी-एससी संगठित मोर्चा प्रदेश में 69 हज़ार शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के पीड़ित छात्रों की लड़ाई चार सालों से लड़ रहा है.

उनका कहना है, "हम लोग अपनी नियुक्ति के लिए आंदोलनरत हैं, मगर योगी सरकार दलित और पिछड़े युवाओं को अब तक न्याय नहीं दे पाई है."

संगठन का आरोप है, "यूपी सरकार आउटसोर्स सेवा निगम के गठन की बात कर युवाओं के भविष्य का सौदा कर रही है."

image BBC

गोरखपुर में आउटसोर्स कर्मचारी सादिक़ रज़ा कहते हैं कि सरकार का क़दम आउटसोर्स कर्मचारियों के हितों पर 'सकारात्मक' प्रभाव डालेगा.

उनका कहना है, "न्यूनतम वेतनमान बढ़ने पर कर्मचारियों को महंगाई में राहत मिलेगी. समय पर ईएसआईसी और ईपीएफ़ का भुगतान, और सीधे सरकार का आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन और सभी कटौतियों पर नियंत्रण रहेगा. ऐसे में आउटसोर्स कर्मचारी शोषण से बच सकेंगे."

एक महिला कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ''पहले से वेतन कम मिल रहा है. इतने में ख़र्च चलाना मुश्किल है. ऐसे में सरकार ने जो वेतन का प्रस्ताव दिया है, वो नाकाफ़ी है.''

राज्य के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, "लगातार शिकायतें आ रही थीं कि कर्मचारियों को पूरा मानदेय नहीं दिया जा रहा. इसी वजह से सरकार को यह क़दम उठाना पड़ा है."

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image BBC नियुक्ति और वेतन व्यवस्था

सरकार के मुताबिक़ आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति तीन वर्षों के लिए होगी. वेतन हर महीने की 1 से 5 तारीख़ के बीच सीधे बैंक खाते में आएगा.

ईपीएफ़ और ईएसआईसी का अंशदान भी सीधे खाते में जाएगा.

कर्मचारियों से महीने में 26 दिन सेवा ली जा सकेगी और नियम उल्लंघन की स्थिति में सेवा तुरंत समाप्त हो सकेगी.

प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बीबीसी हिन्दी से कहा, "काग़ज़ पर ही योजना सही लग रही है, लेकिन अभी तक संविदा पर काम कर रहे लोगों का कोई भविष्य नहीं है. उनको नियमित रोज़गार कैसे दिया जाएगा इसकी कोई स्पष्टता नहीं है. संविदा कर्मी की आयु सीमा निकल जाएगी तो उन्हें आगे रोज़गार कैसे मिलेगा, यह बड़ा प्रश्न है."

उन्होंने कहा, "सरकार को नियमित रोज़गार देने पर विचार करना चाहिए. एजेंसी के माध्यम से संविदा कर्मी रखना बेरोज़गारी का हल नहीं है."

चयन प्रक्रिया और आरक्षण image Brijesh Singh उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के माध्यम से नौकरी करने वाली महिलाओं को मातृत्व अवकाश का अधिकार मिलेगा. (फ़ाइल फ़ोटो)

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रदेश के 93 विभागों में तकरीबन 11 लाख से ज़्यादा संविदा कर्मचारी काम कर रहे हैं.

नई व्यवस्था के तहत चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार शामिल होंगे.

एनडीए की सहयोगी पार्टियाँ लगातार मांग कर रही थीं कि आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति में आरक्षण मिले. अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल कई बार यह मुद्दा उठा चुकी थीं.

सरकार के इस फ़ैसले के बाद अनुप्रिया पटेल ने कहा, ''ये हमारे संघर्षों की जीत है.''

सरकार ने अब स्पष्ट किया है कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन, भूतपूर्व सैनिक और महिलाओं को नियमानुसार आरक्षण दिया जाएगा.

महिलाओं को मातृत्व अवकाश का अधिकार मिलेगा.

सरकार का कहना है कि इस नई व्यवस्था से कर्मचारियों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होंगी. कर्मचारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि उनकी दक्षता बढ़े.

सेवा के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु होने पर परिजनों को 15 हज़ार रुपये अंतिम संस्कार सहायता के रूप में दिया जाएगा.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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