भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष को लेकर भारत की तीनों सेनाओं ने रविवार शाम को प्रेस कॉन्फ़्रेंस की. इसके बाद देर रात पाकिस्तानी सेना ने भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस की.
भारतीय सेना के अधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सेना की कार्रवाई को 'सीमित, नपी-तुली और सटीक' बताया था.
उन्होंने ये भी कहा था कि "अगर देश के लिए ख़तरा पैदा होगा तो उसका जवाब दिया जाएगा."
वहीं पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क विभाग (आईएसपीआर) के डायरेक्टर जनरल अहमद शरीफ़ चौधरी ने रविवार रात में प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा कि भारत के साथ संघर्ष के दौरान 'एफ़-1 और एफ़-2 मिसाइलों के ज़रिए भारत के 26 सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया था.'
अहमद शरीफ़ चौधरी ने दावा किया कि छह और सात मई की रात को भारतीय सेना ने इन्हीं सैन्य प्रतिष्ठानों से पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर पर हमले किए थे.
भारत और पाकिस्तान की सेना ने क्या बताया?
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ़्टिनेंट जनरल राजीव घई ने पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए कहा था कि "ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने वालों, इसकी योजना बनाने वालों को सज़ा देना और उनके आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट करना था."
लेफ़्टिनेंट जनरल राजीव घई ने आगे कहा, "सेना ने ख़ुफ़िया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 9 ठिकानों को चिह्नित किया. इनमें से कुछ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में थे. इनमें मुरीदके जैसी जगह शामिल थी जो लश्कर-ए-तैयबा का गढ़ था."
"हमने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के 9 ठिकानों पर अचानक हमला किया. इन हमलों में 100 से ज़्यादा आतंकवादी मारे गए. इनमें यूसुफ़ अज़हर, अब्दुल मलिक रऊफ़ और मुदस्सिर अहमद जैसे हाई वैल्यू वाले आतंकवादी भी शामिल थे. ये तीनों आईसी 814 के अपहरण और पुलवामा विस्फोट में शामिल थे."
भारतीय सेना की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मौजूद रहे एयर मार्शल एके भारती ने बताया कि "सीमापार 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने के बाद सात मई की शाम को भारत की पश्चिमी सीमा से सटे कई इलाक़ों में बड़ी संख्या में पाकिस्तान के मानवरहित यंत्र और छोटे ड्रोन देखे गए."
एयर मार्शल एके भारती ने कहा "ये रिहायशी इलाक़ों, सैन्य ठिकानों के ऊपर देखे गए. सेना ने उन्हें सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर लिया."
उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ हमले में कामयाब रहे लेकिन इससे ज़्यादा नुक़सान नहीं हुआ.
एयर मार्शल एके भारती ने कहा, "यहां दोनों में अंतर यह है कि हमने उनके आतंकवादियों को निशाना बनाया, जबकि उन्होंने हमारे आम लोगों और सैन्य ढांचे को निशाना बनाया."
वहीं पाकिस्तानी सेना के अहमद शरीफ़ चौधरी ने कहा कि "भारत के जिन 26 सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया उनमें वायु सेना और विमानन के अड्डे भी शामिल थे. ये अड्डे सूरतगढ़, सिरसा, आदमपुर, भुज, नालिया, बठिंडा, बरनाला, हरवाड़ा, अवंतिपुरा, श्रीनगर, जम्मू, अंबाला, उधमपुर और पठानपुर में थे."
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के ड्रोन कश्मीर से लेकर राजधानी दिल्ली और गुजरात के लिए उड़ान भरते रहे. पाकिस्तानी फ़ौज ने भरपूर साइबर हमले भी किए. पाकिस्तान ने सभी हमलों को बड़ी कुशलता से अंजाम दिया, ताकि शहरी आबादी को निशाना न बनाया जाए."
पाकिस्तानी सेना ने ये भी कहा कि उसने 'दो जगहों पर भारत की एस-400 बैटरी प्रणाली को कामयाबी से निशाना बनाया था.'
रविवार शाम भारतीय सेना की ओर से की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में रफ़ाल से जुड़े एक सवाल पर एयर फ़ोर्स की तरफ से एयर मार्शल एके भारती ने जवाब दिया.
पाकिस्तानी सेना की ओर से दावा किया गया था कि उसने 'भारत के हमले का बदला लेते हुए भारत के दो रफ़ाल विमानों को गिराया है.'
उन्होंने इसके जवाब में कहा, "हम कॉम्बैट की स्थिति में हैं और नुक़सान इसका एक हिस्सा है. आपको जो सवाल पूछना चाहिए वह यह है कि क्या हमने अपने उद्देश्य हासिल कर लिए हैं? क्या हमने आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के अपने उद्देश्य को हासिल कर लिया है? और इसका जवाब हां है."
क्या भारत ने पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को गिराया है, इस सवाल पर एयर मार्शल एके भारती ने कहा कि 'उनके विमानों को हमारी सीमा में आने से रोका गया. हमारे पास उनका मलबा नहीं है.'
पाकिस्तानी सेना ने कहा कि उसके 'वायु सेना के अड्डों पर भारतीय हमलों में कुछ इंफ़्रास्ट्रक्चर और एक विमान को आंशिक क्षति हुई है जो मरम्मत के बाद जल्द ऑपरेशनल हो जाएगा.'
पाकिस्तान के डीजी आईएसपीआर ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में साफ़ किया कि 'पाकिस्तान की हिरासत में कोई भारतीय पायलट नहीं है और ये सब सोशल मीडिया पर विभिन्न तरीक़ों से फैलाई गई मनगढ़ंत ख़बरें हैं.'
भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था, "सेना के इस साझा अभियान के लिए पूरी तैयारी के साथ नेवी पनडुब्बियों और युद्धपोतों को अरब सागर में उत्तर की तरफ तैनात किया गया था. हमले के 96 घंटों के भीतर हम समंदर में पोज़िशन पर मौजूद थे."
उन्होंने कहा, "हमारी सेना किसी भी स्थिति के लिए तैयार थी. हमारी तैनाती के कारण पाकिस्तान की नेवी और एयर यूनिट को बचाव की मुद्रा में रहने को बाध्य होना पड़ा. हम पाकिस्तानी यूनिट्स की मूवमेन्ट को ट्रैक कर रहे थे."
वहीं पाकिस्तान नौसेना के वाइस एडमिरल नवाज़ ने कहा, "आईएनएस विक्रांत के कराची की ओर बढ़ने को लेकर ख़ासा शोर था, लेकिन हम समुद्र में होने वाली सरगर्मियों पर गहरी नज़र रखे हुए थे. हम पहले दिन से उसकी गतिविधियों को मॉनिटर कर रहे थे."
उन्होंने कहा, "छह और सात मई की रात को ये मुंबई के क़रीब था और नौ मई को ये पाकिस्तानी समुद्र से तक़रीबन 400 नॉटिकल मील के फ़ासले पर था, जिसके बाद ये पीछे हटकर दोबारा मुंबई के क़रीब आ गया."
"अगर कोई एयरक्राफ़्ट कैरियर 400 नॉटिकल मील के फ़ासले तक आ जाए तो हमारे लिए चीज़ें आसान हो जाती हैं."
"नौसेना की मेरीटाइम एयर विंग हर वक़्त भरपूर प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार थी और मैं वायुसेना के उप प्रमुख एयर वाइस मार्शल औरंगजेब के साथ लगातार संपर्क में था."
"अगर समुद्र से कोई हमला हुआ होता तो हम उसका प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार थे."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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