दिवाली की अगली सुबह मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में हवा की क्वालिटी 'बहुत ख़राब' रही. मंगलवार सवेरे राजधानी के कई इलाक़ों में धुंध देखी गई.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक़, कई जगहों पर हवा की गुणवत्ता का स्तर एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) पर 300 से अधिक दर्ज किया गया. 300 से 400 के बीच के एक्यूआई को 'बहुत ख़राब' श्रेणी माना जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कम प्रदूषण वाले ग्रीन पटाख़ों के इस्तेमाल की अनुमति दी थी, लेकिन इसके बावजूद कई जगहों पर हवा में अधिक प्रदूषण देखा गया.
मंगलवार सुबह छह बजे, आनंद विहार में एक्यूआई 348 दर्ज किया गया. वहीं, आईटीओ में एक्यूआई 345, बुराड़ी क्रॉसिंग में 393, चांदनी चौक में 347 और लोधी रोड में 334 रहा.
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दिल्ली से सटे नोएडा और गुरुग्राम में भी हवा की क्वालिटी 'बहुत ख़राब' श्रेणी में रही. नोएडा सेक्टर 62 में मंगलवार सुबह एक्यूआई 307 दर्ज किया गया. वहीं गुरुग्राम के सेक्टर 51 में एक्यूआई 346 दर्ज किया गया.
इससे पहले रविवार को कमिशन ऑफ़ एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) स्टेज-2 के प्रतिबंधों को लागू किया था.
ये फ़ैसला शनिवार को जीआरएपी सब कमेटी के प्रदूषण के स्तरों की समीक्षा और मौसम विभाग और आईआईटीएम (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी) की चेतावनी के बाद आया. मौसम विभाग का कहना था कि आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण बढ़ सकता है.
सर्दियों में आमतौर पर दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति ख़राब श्रेणी में पहुंच जाती है. इस पर नियंत्रण करने के लिए जीआरएपी को चार चरणों में लागू किया जाता है.
एक्यूआई 201-300 को ख़राब श्रेणी माना जाता है और इस दौर में जीआरएपी का स्टेज-1 लागू किया जाता है.
वहीं एक्यूआई 301 से 400 को 'बहुत ख़राब' श्रेणी माना जाता है और इस स्थिति में जीआरएपी स्टेज-2 लागू किया जाता है.
एक्यूआई 401-500 (गंभीर श्रेणी) में प्रदूषण होने पर जीआरएपी स्टेज-3 और एक्यूआई 450 (बेहद गंभीर) पार होने पर जीआरएपी स्टेज-4 लागू किया जाता है.
जैसे-जैसे प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, हर एक स्तर पर प्रतिबंध भी कड़े होते जाते हैं. इस रिपोर्ट में जानते हैं कि जीआरएपी स्टेज-1, स्टेज-2, स्टेज-3 और स्टेज-4 में किस किस तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं.
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- निर्माण कार्य और डिमोलिशन की जगहों पर धूल पर काबू करने के इंतज़ाम करना.
- म्युनिसिपल कूड़ा उठाना और निर्माण कार्य और डिमोलिशन की जगहों से मलबा हटाना सुनिश्चित करना. साथ ही ये देखना कि कूड़ा अवैध तरीके़ से खुले में न फेंका जाए.
- सड़कों की सफाई करना, पानी का छिड़काव करना और ये सुनिश्चित करना कि धूल का निपटान पहले से तय जगहों पर ही हो.
- निर्माण कार्य का मलबा और कूड़े को ढंकी जगहों में सही तरीके़ से रखा जाए. इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के दौरान भी गाड़ियों को ढंका जाए.
- इंडस्ट्री, ईंट भट्टों और थर्मल स्टेशनों पर धुएं को लेकर कड़े नियम लागू करना.
- एंटी स्मॉग गन्स का इस्तेमाल, पानी का छिड़काव, ख़ासकर निर्माण कार्यों की जगहों पर.
- खुले में कूड़ा या लकड़ी जलाने पर रोक. साथ ही कूड़ा डंप करने वाली जगहों पर आग लगाने को लेकर रोक.
- गाड़ियों के लिए प्रदूषण के नियमों को लागू करना, डीज़ल जनरेटर सेट्स पर रोक.
- दिल्ली से होकर गुज़रने वाले ट्रकों को डायवर्ट करना.
- पटाख़ों पर रोक लगाना. कोयला जलाने पर और लकड़ी जलाने पर रोक.
- मोबाइल के माध्यम से लोगों को प्रदूषण के बारे में जागरूक करना. लोगों को कार पूल के लिए उत्साहित करना.
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- सड़कों की सफाई पर निर्धारित जगहों पर रोज़ाना पानी का छिड़काव.
- धूल न उड़े ये सुनिश्चित करने के लिए कम से कम दो दिन में एक बार और अधिक ट्रैफ़िक (पीक आवर) के वक्त डस्ट सप्रेसेन्ट (एक प्रकार का रसायन) का इस्तेमाल.
- डस्ट कंट्रोल के लिए लगाए प्रतिबंधों की सख्त जांच.
- ट्रैफिक न रुके ये सुनिश्चित करना और इसके लिए उचित संख्या में अधिकारी तैनात करना.
- गाड़ी पार्किंग की फ़ीस बढ़ाना ताकि लोग निजी वाहन का इस्तेमाल करने से बचें.
- सीएनजी, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और मेट्रो की गतिविधियों को बढ़ाना ताकि लोग इनका इस्तेमाल करें. ज़रूरी हो तो नई गाड़ियां लाना.
- आरडब्ल्यूए के लिए अपने सिक्योरिटी स्टाफ़ को हीटर देने को बाध्यकारी बनाना ताकि वो लकड़ी या कोयला न जलाएं.
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- सड़कों की सफाई के काम की फ्रीक्वेंसी बढ़ाना.
- रोज़ाना पानी का छिड़काव करना और डस्ट सप्रेसेन्ट का इस्तेमाल करना, ख़ासकर पीक ट्रैफ़िक से पहले और चिह्नित जगहों पर. जमा किए धूल का सही निपटान सुनिश्चित करना.
- सार्वजनिक वाहनों की सेवाएं बढ़ाना और अधिक ट्रैफ़िक के वक्त को देखते हुए टिकट की अलग-अलग कीमतें रखना.
- धूल उड़ाने या वायू प्रदूषण करने वाले निर्माण कार्यों. खनन जैसे कामों पर कड़े प्रतिबंध लगाने.
- वेल्डिंग और गैस कटिंग, पेंटिंग, पॉलिशिंग और वॉर्निशिंग कामों जिसमें सीमेंट, प्लास्टर या अन्य कोटिंग का इस्तेमाल होता है, उन्हें प्रतिबंधित करना.
- टाइल्स, पत्थर आदि को काटने, उन्हें तोड़ने और वॉटरप्रूफ़िंग के कामों पर प्रतिबंध लगाना.
- सड़क मरम्मत, वाटरप्रूफ़िंग, सीमेन्ट, रेत को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर रोक.
- निर्माण कार्य के लिए सामान ले जाने वाले वाहनों पर कच्ची सड़कों पर चलने पर मनाही.
- दिल्ली-एनसीआर में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीज़ल से चलने वाली छोटी गाड़ियों पर प्रतिबंध.
- सामान ले जाने वाली बीएस-3 पेट्रोल गाड़ियों (मीडियम गुड्स व्हीकल जो दिल्ली में रजिस्टर हों) पर कड़े प्रतिबंध. हालांकि ज़रूरी सामान लाने वाले ट्रकों को इसमें छूट होती है.
- भारी सामान ले जाने वाली बीएस-3 गाड़ियों (गुड्स कैरियर या हैवी गुड्स व्हीकल जो दिल्ली में रजिस्टर हों) के दिल्ली में प्रवेश पर रोक.
- केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस-4 इंटर स्टेट डीज़ल बसों के दिल्ली प्रवेश की अनुमति.
- राज्य सरकार कक्षा पांच तक के छात्रों के लिए स्कूल बंद करने और ऑनलाइन क्लासेस कराने को लेकर फ़ैसला ले सकती है.
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- दिल्ली में सभी ट्रकों की एंट्री पर पाबंदी (ज़रूरी सामान लाने वाले ट्रकों को छोड़कर). लेकिन एलएनजी, सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 डीज़ल गाड़ियों के दिल्ली में प्रवेश की अनुमति होती है.
- ज़रूरी सामान लाने वाली गाड़ियों को छोड़कर डीज़ल पर चलने वाली बीएस-4 मीडियम गुड्स व्हीकल और हैवी गुड्स व्हीकल पर कड़ा बैन.
- जीआरएपी स्टेज-3 में बताए गए सभी तरह के निर्माण कार्यों, मरम्मत कार्यों पर रोक.
- राज्य सरकार कक्षा छह से 9 और कक्षा 11 के छात्रों के लिए स्कूल बंद करने और ऑनलाइन क्लासेस कराने को लेकर फ़ैसला ले सकती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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