आचार्य चाणक्य अपने जमाने के महान अर्थशास्त्री थे। उनकी बुद्धिमता कमाल की थी। उनका सोचने का तरीका सबसे अलग था। उनका जीवन भी रहस्यों से भरा रहा है। उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों से चाणक्य नीति लिखी है। इसमें उन्होंने लाइफ मैनेजमेंट के कुछ सूत्र बताए हैं। इसमें पुरुष और महिलाओं को लेकर भी कई रोचक बातें कही है। उनकी ये बातें आज के जमाने में भी सटीक साबित होती है। आज हम आपको उनकी वह चेतावनी बताएंगे जो उन्होंने पुरुषों को दी है।
आचार्य चाणक्य की माने तो पुरुषों को महिलाओं को कुछ खास हालातों में नहीं देखना चाहिए। यदि वह महिला कुछ विशेष कार्य कर रही हो तो इस स्थिति में पुरुषों का उससे नजरें फेर लेना ही सही होता है। यदि पुरुष ऐसा नहीं करता और महिला को उस विशेष हालत में देख लेता है तो उसे लाइफ में नेगेटिव परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। आपकी इज्जत और रिश्ते दोनों बर्बाद हो सकते हैं। तो चलिए देखते हैं कि पुरुषों को महिलाओं को कौन कौन से काम करते हुए नहीं देखना चाहिए।
खाना खाती महिलाआचार्य चाणक्य के अनुसार महिला और पुरुषों को अलग बैठकर भोजन करना चाहिए। हालांकि आजकल सभी साथ में बैठकर भी खाते हैं। लेकिन ये चीज आचार्य चाणक्य के विचारों के खिलाफ है। उनका मानना है कि भोजन करती स्त्री को देखना उचित नहीं है। इससे वह असहज हो सकती है। इस कारण वह भरपेट भोजन नहीं खा पाती है। उसे अपनी लाज, शर्म (घूंघट, कपड़ो) का ध्यान रखना होता है। यह चीज खाना खाते समय बड़ी मुश्किल पैदा करती है। इससे कष्ट स्त्री को ही होता है।
कपड़े सही करती महिलाकई बार महिला के कपड़े अव्यस्थित हो जाते हैं। ऐसे में उसे न चाहते हुए भी सबके सामने ठीक करना पड़ता है। जब वह ऐसा करती है तो अधिकतर पुरुषों की नजरें उस पर चली जाती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार ये चीज गलत है। इससे महिला की गरिमा को ठेस पहुंचती है। यह एक शिष्ट पुरुष की पहचान नहीं होती है। इसके अलावा महिला को कपड़े बदलते, जम्हाई लेते या छींकते भी नहीं देखना चाहिए। इससे वह असहज महसूस कर सकती है।
सजती सँवरती महिला
महिलाओं को सजने संवरने का बड़ा शौक होता है। कई बार जब वह मेकअप लगाती हैं या इससे जुड़ा कोई निजी काम करती हैं तो पुरुष उन्हें घूरने लगते हैं। आचार्य चाणक्य की माने तो ऐसा करना उचित नहीं है। इसी तरह अपनी मालिश करवाती या बच्चे की मालिश करती महिला को भी नहीं घूरना चाहिए। इससे वह असहज महसूस करती है। यह चीज आपकी समाज में इज्जत कम कर सकती है। इससे आपसी रिश्तों में खटास भी आ सकती है।
स्तनपान कराती महिलाजब कोई महिला मां बनती है तो उसे अपने नवजात बच्चे को बार बार स्तनपान कराना पड़ता है। कई बार उसे पब्लिक में भी ब्रेस्टफीडिंग कराने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में पुरुषों को मां बेटे के इस निजी पलों को नहीं देखना चाहिए। यदि कोई पुरुष ऐसा करता है तो वह बेहद घटिया सोच वाला कहलाता है। उसकी समाज में कोई इज्जत नहीं रहती है। हर कोई उसे हीन भावना से देखता है।
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