New Delhi, 13 अक्टूबर . दीवाली से पहले एक बड़ी खबर में, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने Monday को हुई बैठक में फैसला लिया कि पीएफ खाते में मौजूद ‘पात्र राशि’ का 100 प्रतिशत हिस्सा, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता का हिस्सा शामिल है, निकाला जा सकता है.
यह निर्णय राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित केंद्रीय न्यासी बोर्ड ( ) की 238वीं बैठक में लिया गया. इस कदम से सात करोड़ से ज्यादा अंशधारकों को मदद मिलेगी और उन्हें ईपीएफ से 100 प्रतिशत तक निकासी की अनुमति मिलेगी.
पहले, पूरी निकासी केवल बेरोजगारी या सेवानिवृत्ति की स्थिति में ही की जा सकती थी. किसी सदस्य को बेरोजगारी के एक महीने बाद पीएफ शेष राशि का 75 प्रतिशत और दो महीने बाद शेष 25 प्रतिशत निकालने की अनुमति थी. हालांकि, सेवानिवृत्ति पर बिना किसी सीमा के पूरी राशि निकालने की अनुमति थी.
श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता वाले ने अपनी बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए.
भूमि खरीद, नए घर की खरीद या निर्माण या ईएमआई भुगतान के लिए आंशिक निकासी के मामले में, ईपीएफ सदस्यों को अपने ईपीएफ खाते में जमा राशि का 90 प्रतिशत तक निकालने की अनुमति थी.
उल्लेखनीय है कि ईपीएफ सदस्यों के जीवन को सुगम बनाने के लिए, ने ईपीएफ योजना के आंशिक निकासी प्रावधानों को सरल बनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए 13 जटिल प्रावधानों को एक एकल, सुव्यवस्थित नियम में समाहित किया गया है, जिसे तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: आवश्यक आवश्यकताएं (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास आवश्यकताएं और विशेष परिस्थितियां.
ईपीएफओ ने निकासी की सीमा को भी उदार बनाने का निर्णय लिया है.
शिक्षा के लिए 10 बार और विवाह के लिए 5 बार तक निकासी की अनुमति है (विवाह और शिक्षा के लिए कुल 3 आंशिक निकासी की मौजूदा सीमा से).
साथ ही, सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि की आवश्यकता को समान रूप से घटाकर केवल 12 महीने कर दिया गया है.
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पीएसके
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