New Delhi, 30 जुलाई . संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने वैश्विक आतंकवाद पर अपनी नवीनतम निगरानी रिपोर्ट में पहलगाम आतंकी हमले में भूमिका के लिए आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का नाम शामिल किया है.
यूएनएससी निगरानी समिति ने 24 जुलाई को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में लश्कर के सहयोगी संगठन को शामिल किया है, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि क्षेत्रीय संबंध नाजुक हैं और आतंकी समूह इन तनावों का फायदा उठा सकते हैं.
यह कदम भारत के लिए एक और कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, क्योंकि हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने टीआरएफ को विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था, जिससे भारत के वैश्विक आतंकवाद-विरोधी अभियान को समर्थन मिला.
रिपोर्ट में कहा गया है कि टीआरएफ ने उसी दिन हमले की जिम्मेदारी ली और हमले की जगह की तस्वीर भी प्रकाशित की. अगले दिन टीआरएफ ने फिर से जिम्मेदारी ली, लेकिन 26 अप्रैल को उसने अपना दावा वापस ले लिया. इसके बाद टीआरएफ की ओर से कोई और बयान नहीं आया, और किसी अन्य समूह ने भी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली.
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को पनाह देने और संरक्षण देने के मुद्दे पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया.
उन्होंने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के हालिया बयान पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने पाहलगाम हमलावरों के पाकिस्तानी मूल होने पर संदेह जताया था.
मालवीय ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी समिति ने बताया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रतिनिधि ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ), हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले का आयोजक था. फिर भी कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने यह पूछने की हिम्मत की है कि ‘क्या सबूत है कि वे पाकिस्तान से आए थे?’ इन लोगों को और कितना सबूत चाहिए? या फिर इनकी वफादारी हमेशा के लिए कहीं और गिरवी रखी जा चुकी है?”
एक हालिया इंटरव्यू में कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, “क्या उन्होंने आतंकियों की पहचान की है? वे कहां से आए थे? मेरा मतलब है, जहां तक हम जानते हैं, वे स्थानीय आतंकी भी हो सकते हैं. आप यह क्यों मान रहे हैं कि वे पाकिस्तान से आए थे? इसका कोई सबूत नहीं है.”
इससे पहले, 18 जुलाई 2025 को अमेरिका ने द रेसिस्टेंस फ्रंट पर प्रतिबंध लगा दिया और इसे वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया. टीआरएफ को आतंकी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने की घोषणा करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कदम ट्रंप प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करने, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के न्याय की मांग को लागू करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
रुबियो ने कहा, “वह टीआरएफ को विदेशी आतंकी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल कर रहे हैं.”
उनकी घोषणा में कहा गया, “टीआरएफ ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. यह 2008 में लश्कर द्वारा किए गए Mumbai हमलों के बाद से भारत में नागरिकों पर किया गया सबसे घातक हमला था.”
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एफएम/
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