Ahmedabad, 21 अक्टूबर . वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व Union Minister योगेंद्र मकवाना का Tuesday को निधन हो गया. वे अपने पीछे कई दशकों की जनसेवा की विरासत छोड़ गए. 23 अक्टूबर, 1933 को Gujarat के आणंद जिले के सोजित्रा गांव में जन्मे मकवाना एक उच्च शिक्षित राजनेता थे, जिनके पास बी.ए., एलएलबी और पीएचडी की डिग्रियां थीं.
मकवाना जनसेवा के लिए समर्पित परिवार से थे. उनकी पत्नी शांताबेन मकवाना 1962 में पहली Gujarat विधानसभा के लिए चुनी गईं और स्वास्थ्य एवं जल संसाधन मंत्री के रूप में कार्य किया.
उनकी बेटी अनुराधा मल्ल ने आईएएस अधिकारी के रूप में कार्य किया और Gujarat के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुईं, जबकि उनके बेटे भरत मकवाना सोजित्रा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे और उन्होंने 2024 का Lok Sabha चुनाव Ahmedabad (पश्चिम) से लड़ा.
मकवाना ने पूर्व प्रधानमंत्रियों स्वर्गीय इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल में कार्य किया और 1980 से 1988 के बीच गृह, योजना, संचार, इस्पात एवं खान, स्वास्थ्य और कृषि जैसे प्रमुख मंत्रालयों का कार्यभार संभाला.
उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय शासन को सुदृढ़ बनाने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए. इंदिरा गांधी के निमंत्रण पर कांग्रेस में शामिल होने से पहले, मकवाना का Political जीवन खेड़ा जिला प्रजा Samajwadi Party के महासचिव के रूप में शुरू हुआ.
अपने पूरे जीवन में, वे अनुसूचित जातियों और अन्य हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के प्रबल समर्थक रहे. मकवाना को न केवल उनकी प्रशासनिक कुशलता के लिए, बल्कि सामाजिक और Political भेदभावों से परे लोगों से जुड़ने की उनकी क्षमता के लिए भी व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता था.
नीति निर्धारण के प्रति अपने व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाने वाले, इस अनुभवी कांग्रेस नेता ने लगातार यह सुनिश्चित करने के लिए काम किया कि विकास योजनाएं सबसे पहले हाशिए पर पड़े समुदायों तक पहुंचें.
2006 में, उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने वंचित समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सामाजिक घटक योजना सहित कल्याणकारी योजनाओं का समर्थन किया.
विशेष रूप से, उन्होंने असम आंदोलन को सुलझाने, अखिल असम छात्र संघ और असम गण परिषद के साथ जुड़ने और Political एकीकरण को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप प्रफुल्ल महंत असम के Chief Minister बने.
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एमएस/डीकेपी