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चिरायता : स्वाद में कड़वी, लेकिन असरदार, आयुर्वेद से जानें चमत्कारी फायदे

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New Delhi, 22 अक्टूबर . चिरायता एक कड़वी लेकिन बेहद गुणकारी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो India में सदियों से विभिन्न बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होती आ रही है. खासकर बदलते मौसम में होने वाले बुखार, पाचन संबंधी गड़बड़ी और त्वचा रोगों में यह औषधि बहुत फायदेमंद मानी जाती है.

चिरायता का सबसे प्रमुख लाभ इसका पाचन तंत्र पर असर है. यह अपच, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. साथ ही यह भूख बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे शरीर को उचित पोषण मिलने लगता है और कमजोरी दूर होती है.

चिरायता में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं. इसे नियमित रूप से लेने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और सामान्य संक्रमण या मौसमी बीमारियों का खतरा कम होता है.

चिरायता त्वचा संबंधी रोगों जैसे दाद, खुजली, फोड़े-फुंसी, एक्जिमा और यहां तक कि कुष्ठ रोग जैसी स्थितियों में भी राहत देता है. इसका सेवन अंदरूनी रूप से शरीर को साफ करता है, जिससे त्वचा की गुणवत्ता में सुधार होता है.

चिरायता का सबसे महत्वपूर्ण गुण इसका रक्त शोधक होना है. यह रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जिससे शरीर अधिक ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करता है. चिरायता मलेरिया सहित विभिन्न प्रकार के बुखार में अGovernmentक होता है. साथ ही यह लिवर को डिटॉक्स करने में भी सहायक होता है, जिससे लिवर से जुड़ी कई समस्याओं में लाभ मिलता है.

चिरायता ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है. इसके अलावा, इसका काढ़ा खांसी और अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं में भी राहत देता है.

जहां चिरायता के अनेक फायदे हैं, वहीं इसके अत्यधिक सेवन से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे पेट में जलन, मतली, उल्टी या दस्त की शिकायत. इसलिए चिरायता का सेवन चिकित्सक की सलाह के बाद ही करें. खासकर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका प्रयोग बिना विशेषज्ञ सलाह के नहीं करना चाहिए.

पीआईएम/एबीएम

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