नई दिल्ली: भारत से टकराकर पाकिस्तान ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। वह गंभीर आर्थिक संकट में आ गया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान अपने पतन के कगार पर है। इन सबके लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार पाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर है। आतंकियों को उकसाने की उसकी पॉलिसी का खामियाजा आज आम पाकिस्तानी झेल रहा है। मुनीर ने अपने निजी हितों के लिए पाकिस्तान को दांव पर लगा दिया है। वह मुल्का सबसे बड़ा विलेन बनकर उभरा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है। इससे आयात के लिए भुगतान करना मुश्किल हो रहा है। महंगाई आसमान छूने लगी है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं। आम नागरिकों के लिए जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है। पाकिस्तान भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मिलने वाली सहायता भी पर्याप्त नहीं है। एयरस्पेस बंद होने की वजह से व्यापार में भारी नुकसान हुआ है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार 15 अरब डॉलर के आसपास बताया जा रहा है। रेटिंग एजेंसियों ने पाकिस्तान की सॉवरेन रेटिंग घटाने के संकेत दिए हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा कम हो रहा है। मुनीर पर उठने लगे हैं सवालराजनीतिक अस्थिरता और आंतरिक संघर्ष आर्थिक संकट को और बढ़ा रहे हैं। सेना प्रमुख असीम मुनीर की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। कई लोग मुनीर को ही इस संकट के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यही नहीं, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है। इससे उसकी आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है।पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा है। इस तनाव के कारण पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ रहा है। भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया है। इससे पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था और भी खराब हो गई है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगने से भी स्थिति गंभीर हुई है। डिफॉल्ट होने से बाल-बाल बच चुका है पाकिस्तान इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास 15 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। जबकि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 688 अरब डॉलर से ज्यादा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही मुश्किल में है। 2022 में कर्ज चुकाने में चूक होने से वह बाल-बाल बचा था। IMF ने इस साल मार्च में 2 अरब डॉलर का बेलआउट दिया था। इससे पाकिस्तान को कुछ समय के लिए राहत मिली थी। लेकिन, हालिया तनाव और युद्ध जैसी स्थिति से सारी प्रगति खतरे में पड़ गई है।कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से बचने का फैसला किया है। वे किसी भी दुर्घटना से बचना चाहती हैं। वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी रणनीतिकार क्रांति बाथिनी ने इंडिया टुडे को बताया कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं चल रही है। तमाम वैश्विक एजेंसियों का पाकिस्तान पर कर्ज है। उन्होंने आगे कहा, 'भू-राजनीतिक तनाव में कोई भी बढ़ोतरी निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था पर अधिक दबाव डालेगी। मूडीज ने भी कहा है कि पाकिस्तान की ओर से किसी भी तरह की आक्रामकता उसकी आर्थिक स्थिति को और खराब कर देगी।' कैसे उठा रहा है अपनी बेवकूफी का खामियाजा?उद्यमी अरुण पुदुर नाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि शीर्ष एयरलाइनों - एयर फ्रांस, BA, अमीरात, लुफ्थांसा - के पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से बचने के बाद इस्लामाबाद के विदेशी मुद्रा को ओवरफ्लाइट फीस से भारी नुकसान हुआ है। यह सैकड़ों मिलियन डॉलर का है। उन्होंने पोस्ट में कहा कि अब मुश्किल से 15 उड़ानें पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग करती हैं। उन्होंने यह पोस्ट ऑपरेशन सिंदूर से पहले ट्वीट की थी। इसका मतलब है कि स्थिति और भी खराब हो सकती है।
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