मेडिकल की पढ़ाई सिर्फ डिग्री पाने तक सीमित नहीं। एक लंबी जर्नी है, जो अंडरग्रेजुएट से शुरू होकर पोस्टग्रेजुएट, स्पेशलिटी ट्रेनिंग और जीवनभर सीखने तक जाती है। डॉक्टर हों या नर्स, या अन्य हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स, सभी को लगातार नई चीजें सीखनी पड़ती हैं। पहले जो शिक्षा और डॉक्टरों की प्रैक्टिस, लर्निंग सिर्फ किताबों तक थी, फिर डिजिटल वर्ल्ड तक हुईं, अब इसमें एक नई चीज जुड़ने लगी है- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। एआई ने मेडिकल एजुकेशन में अहम भूमिका निभानी शुरू कर दी है।
बदल रहा सीखने का तरीकाAI ऐसी सुविधाएं ला रहा है जिसके जरिए मेडिकल स्टूडेंट्स वर्चुअल केस स्टडीज और डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म पर बिना मरीज की लाइफ का रिस्क लिए असली क्लिनिकल एक्सपीरिएंस ले सकें। इससे छात्रों को डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट प्लान बनाने की प्रैक्टिस होती है। उदाहरण के लिए- DxR Clinician जैसा AI बेस्ड वर्चुअल इंक्वायरी सिस्टम छात्रों को मरीज की तरह व्यवहार करने वाले वर्चुअल केस के जरिए सीखने का मौका देता है।
दुनिया के टॉप मेडिकल स्कूल जैसे ड्यूक यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड में छात्रों को मशीन लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स की मदद से हेल्थकेयर प्रॉब्लम्स को सॉल्व करना सिखाया जा रहा है। वहीं, फ्लोरिडा और वेस्टर्न मिशिगन में AI बेस्ड सर्जरी और पेशेंट सिमुलेशन टेक्नीक्स लागू हो चुकी हैं। ये तकनीकें छात्रों को प्रैक्टिकल अनुभव देती हैं, जिससे असली मरीजों पर रिस्क नहीं होता।
सर्जिकल रोबोट और AI: फायदे-नुकसानएक्सपर्ट्स का कहना है कि भविष्य में सर्जिकल रोबोट और चिकित्सा में AI टूल्स आम हो जाएंगे। ये सिस्टम सर्जरी में सटीकता और स्थिरता देंगे। लेकिन महंगे उपकरण और प्रशिक्षण की जरूरत अभी बड़ी चुनौती है। साथ ही, AI सिस्टम कभी-कभी गलत निर्णय भी ले सकते हैं, जिससे मरीज को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए डॉक्टरों और छात्रों को एआई की सीमाओं और संभावनाओं को समझकर इसका सही इस्तेमाल करना सीखना जरूरी है। आप किसी भी फील्ड से हों, अभी से एआई सीखना शुरू कर सकते हैं- NBT Upskill AI करियर ग्रोथ वर्कशॉप में रजिस्टर करके।
डेटा सिक्योरिटी के मुद्देएआई के इस्तेमाल के साथ नैतिक और कानूनी सवाल भी बढ़ गए हैं। डेटा प्राइवेसी, एल्गोरिदमिक बायस और मरीज की जानकारी की सुरक्षा जैसे मुद्दे अब अनिवार्य रूप से ध्यान देने वाले बन गए हैं। उदाहरण के लिए- IBM Watson के कैंसर ट्रीटमेंट केस में गलत सुझाव आने से AI की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। जाहिर है कि AI को भरोसेमंद और पारदर्शी बनाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
AI के साथ मेडिकल एजुकेशन का भविष्यचुनौतियां कई हैं, लेकिन ये भी सच है कि मेडिकल की पढ़ाई का भविष्य एआई के बिना अधूरा है। यह छात्रों को आधुनिक मेडिकल ईकोसिस्टम के लिए तैयार करता है। क्लासरूम की बात करें तो सीखने के नए तरीके अपनाने में मदद करता है और शिक्षकों को छात्रों की जरूरत समझने का अवसर देता है। आने वाले समय में मेडिकल स्टूडेंट्स, टीचर्स, डॉक्टर्स सबको AI को समझना, इसका सही इस्तेमाल करना और इसके नैतिक पहलुओं का पालन करना सीखना होगा। तभी मेडिकल एजुकेशन डिजिटल दुनिया की चुनौतियों के साथ तालमेल बैठा पाएगा और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल पाएगी।
बदल रहा सीखने का तरीकाAI ऐसी सुविधाएं ला रहा है जिसके जरिए मेडिकल स्टूडेंट्स वर्चुअल केस स्टडीज और डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म पर बिना मरीज की लाइफ का रिस्क लिए असली क्लिनिकल एक्सपीरिएंस ले सकें। इससे छात्रों को डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट प्लान बनाने की प्रैक्टिस होती है। उदाहरण के लिए- DxR Clinician जैसा AI बेस्ड वर्चुअल इंक्वायरी सिस्टम छात्रों को मरीज की तरह व्यवहार करने वाले वर्चुअल केस के जरिए सीखने का मौका देता है।
दुनिया के टॉप मेडिकल स्कूल जैसे ड्यूक यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड में छात्रों को मशीन लर्निंग और डेटा एनालिटिक्स की मदद से हेल्थकेयर प्रॉब्लम्स को सॉल्व करना सिखाया जा रहा है। वहीं, फ्लोरिडा और वेस्टर्न मिशिगन में AI बेस्ड सर्जरी और पेशेंट सिमुलेशन टेक्नीक्स लागू हो चुकी हैं। ये तकनीकें छात्रों को प्रैक्टिकल अनुभव देती हैं, जिससे असली मरीजों पर रिस्क नहीं होता।
सर्जिकल रोबोट और AI: फायदे-नुकसानएक्सपर्ट्स का कहना है कि भविष्य में सर्जिकल रोबोट और चिकित्सा में AI टूल्स आम हो जाएंगे। ये सिस्टम सर्जरी में सटीकता और स्थिरता देंगे। लेकिन महंगे उपकरण और प्रशिक्षण की जरूरत अभी बड़ी चुनौती है। साथ ही, AI सिस्टम कभी-कभी गलत निर्णय भी ले सकते हैं, जिससे मरीज को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए डॉक्टरों और छात्रों को एआई की सीमाओं और संभावनाओं को समझकर इसका सही इस्तेमाल करना सीखना जरूरी है। आप किसी भी फील्ड से हों, अभी से एआई सीखना शुरू कर सकते हैं- NBT Upskill AI करियर ग्रोथ वर्कशॉप में रजिस्टर करके।
डेटा सिक्योरिटी के मुद्देएआई के इस्तेमाल के साथ नैतिक और कानूनी सवाल भी बढ़ गए हैं। डेटा प्राइवेसी, एल्गोरिदमिक बायस और मरीज की जानकारी की सुरक्षा जैसे मुद्दे अब अनिवार्य रूप से ध्यान देने वाले बन गए हैं। उदाहरण के लिए- IBM Watson के कैंसर ट्रीटमेंट केस में गलत सुझाव आने से AI की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। जाहिर है कि AI को भरोसेमंद और पारदर्शी बनाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
AI के साथ मेडिकल एजुकेशन का भविष्यचुनौतियां कई हैं, लेकिन ये भी सच है कि मेडिकल की पढ़ाई का भविष्य एआई के बिना अधूरा है। यह छात्रों को आधुनिक मेडिकल ईकोसिस्टम के लिए तैयार करता है। क्लासरूम की बात करें तो सीखने के नए तरीके अपनाने में मदद करता है और शिक्षकों को छात्रों की जरूरत समझने का अवसर देता है। आने वाले समय में मेडिकल स्टूडेंट्स, टीचर्स, डॉक्टर्स सबको AI को समझना, इसका सही इस्तेमाल करना और इसके नैतिक पहलुओं का पालन करना सीखना होगा। तभी मेडिकल एजुकेशन डिजिटल दुनिया की चुनौतियों के साथ तालमेल बैठा पाएगा और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल पाएगी।
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