भारत की ओर से जैसे ही यह स्पष्ट किया गया कि शांघाई सहयोग संगठन (SCO) की शिखर बैठक में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री जयशंकर पाकिस्तान जाएंगे, दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की अटकलें लगाई जाने लगीं। दिलचस्प है कि इस फैसले को भारत-पाक रिश्तों के संदर्भ में ज्यादा देखा जा रहा है, जबकि यह SCO को भारत द्वारा दी जा रही अहमियत का भी उतना ही संकेत है। भावनात्मक करीबीइसके पीछे दोनों पड़ोसी देशों के खट्टे-मीठे रिश्तों के बीच भी एक-दूसरे से भावनात्मक करीबी की भूमिका देखी जा सकती है। दोनों देशों में युद्ध हुए हैं और रिश्तों ने गिरावट की इंतिहा देखी है तो दोनों के बीच दोस्ती के दौर भी आते रहे हैं। लेकिन किसी भी सूरत में दोनों देशों के लोग एक-दूसरे से उदासीनता की स्थिति में नहीं पहुंचे। यही वजह है कि करीब एक दशक के अंतराल के बाद जब किसी भारतीय विदेश मंत्री के पाकिस्तान जाने का कार्यक्रम बनता दिखा तो कई कोनों से उत्साह छलकने लगा। द्विपक्षीय रिश्तों पर बात नहींमौजूदा सूरते हाल में इस तरह के उत्साह को व्यावहारिक नहीं कहा जा सकता। शायद इसीलिए विदेश मंत्री जयशंकर ने देर किए बगैर स्पष्ट किया कि वह एक बहुपक्षीय संगठन की बैठक में शिरकत करने जा रहे हैं और वहां भारत-पाक रिश्तों पर कोई बातचीत नहीं करने वाले। याद रखना होगा कि यह SCO की शिखर बैठक है और सामान्य स्थिति में इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की उम्मीद होती। द्विपक्षीय रिश्तों की बदहाली ही कहिए कि पीएम की जगह एक सीनियर मंत्री का जाना भी पॉजिटिव सिग्नल माना जा रहा है। SCO की अहमियतभारत इस तथ्य को समझ रहा है कि मौजूदा वैश्विक हालात में SCO जैसे एक अंतरराष्ट्रीय मंच के बेहतरीन इस्तेमाल का मौका किन्हीं दो देशों के आपसी रिश्तों की भेंट नहीं चढ़ाया जा सकता। यह एशियाई देशों का ऐसा मंच है, जो सुरक्षा से जुड़े मुद्दे देखता है। रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के चलते हाल के वर्षों में अमेरिका से रूस और चीन के रिश्तों में आई खटास किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में जब पश्चिम एशिया में युद्ध के फैलने का खतरा एक नया सिरदर्द बना हुआ है, इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी अहम भूमिका को भारत अनदेखा नहीं कर सकता। छुपा हुआ मौकाबहरहाल, कूटनीति में अलग-अलग बहानों की आड़ में आने वाले मौके भी अक्सर महत्वपूर्ण साबित होते हैं। पिछले साल पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी SCO की ही बैठक के सिलसिले में भारत आकर अपने बयानों से रिश्तों में और तल्खी घोलने का उदाहरण पेश कर चुके हैं। देखना होगा कि जयशंकर की सूझबूझ और शालीनता को खिलने और खुलने का कितना मौका इस प्रस्तावित पाकिस्तान यात्रा में मिलता है।
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