CE Future in USA: अमेरिका का जॉब मार्केट तेजी से बदल रहा है, जिस वजह से अब स्टूडेंट्स के लिए किसी भी डिग्री को हासिल करने से पहले उसके फायदे-नुकसान समझना जरूरी है। दरअसल, अमेरिका में एक डिग्री ऐसी रही है, जिसे पाने के बाद स्टूडेंट्स को जॉब के लिए धक्के नहीं खाने पड़ते थे। उन्हें आसानी से नौकरी मिल जाती थी। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि इस डिग्री के साथ ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को मोटी सैलरी वाला पैकेज भी मिल रहा था। मगर अब इस डिग्री के हालात बिल्कुल बदल चुके हैं।
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यहां जिस डिग्री की बात हो रही है, वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग है। इसे पाने वाले स्टूडेंट्स को टेक सेक्टर में भर-भरकर जॉब मिलती थीं। विदेशी छात्रों के लिए तो ये डिग्री उनके 'अमेरिकन ड्रीम' को पूरा करने का एक जरिया थी। हालांकि, यूएस सेंसस ब्यूरो के अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे (IPUMS) में कुछ चौंकाने वाला डाटा सामने आया है। इसमें बताया गया है कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग एक ऐसी डिग्री बनकर उभर रही है, जिसे पाने वाले स्टूडेंट्स बड़े पैमाने पर बेरोजगार रह जा रहे हैं। ये डाटा काफी हैरानी भरा है।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बेरोजगारी कितनी है?
सर्वे में ये बात सामने निकलकर आई है कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को सबसे ज्यादा बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। उनके बीच बेरोजगारी दर 7.5 फीसदी है। इसके बाद कंप्यूटर साइंस का नंबर आता है, जहां बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी है। ये दोनों डिग्रियां हीं अमेरिकी टेक सेक्टर में एंट्री के लिए जरूरी मानी जाती हैं। मगर जिस तरह का बेरोजगारी वाली डाटा सामने आया है, उसके बाद तो यही सवाल उठ रहा है कि क्या सच में स्टूडेंट्स को अमेरिका जाकर ये डिग्रियां हासिल करनी चाहिए।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग के बाद सैलरी कितनी है?
हालांकि, सर्वे में ये बात भी सामने आई है कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग डिग्री हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को अगर जॉब मिल जाती है, तो उन्हें अच्छी सैलरी भी मिल रही है। करियर की शुरुआत में एंट्री लेवल औसतन 70 लाख रुपये सालाना की जॉब मिल जाती है। इसी तरह से एक्सपीरियंस वाले लोगों की सैलरी 1 करोड़ रुपये सालाना के आसपास है। कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट्स की भी सैलरी इतनी ही है। भले ही आपको इतनी सैलरी मिल जाए, लेकिन नौकरियों के लिए धक्के जरूर खाने पड़ेंगे।
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यहां जिस डिग्री की बात हो रही है, वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग है। इसे पाने वाले स्टूडेंट्स को टेक सेक्टर में भर-भरकर जॉब मिलती थीं। विदेशी छात्रों के लिए तो ये डिग्री उनके 'अमेरिकन ड्रीम' को पूरा करने का एक जरिया थी। हालांकि, यूएस सेंसस ब्यूरो के अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे (IPUMS) में कुछ चौंकाने वाला डाटा सामने आया है। इसमें बताया गया है कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग एक ऐसी डिग्री बनकर उभर रही है, जिसे पाने वाले स्टूडेंट्स बड़े पैमाने पर बेरोजगार रह जा रहे हैं। ये डाटा काफी हैरानी भरा है।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बेरोजगारी कितनी है?
सर्वे में ये बात सामने निकलकर आई है कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को सबसे ज्यादा बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। उनके बीच बेरोजगारी दर 7.5 फीसदी है। इसके बाद कंप्यूटर साइंस का नंबर आता है, जहां बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी है। ये दोनों डिग्रियां हीं अमेरिकी टेक सेक्टर में एंट्री के लिए जरूरी मानी जाती हैं। मगर जिस तरह का बेरोजगारी वाली डाटा सामने आया है, उसके बाद तो यही सवाल उठ रहा है कि क्या सच में स्टूडेंट्स को अमेरिका जाकर ये डिग्रियां हासिल करनी चाहिए।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग के बाद सैलरी कितनी है?
हालांकि, सर्वे में ये बात भी सामने आई है कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग डिग्री हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को अगर जॉब मिल जाती है, तो उन्हें अच्छी सैलरी भी मिल रही है। करियर की शुरुआत में एंट्री लेवल औसतन 70 लाख रुपये सालाना की जॉब मिल जाती है। इसी तरह से एक्सपीरियंस वाले लोगों की सैलरी 1 करोड़ रुपये सालाना के आसपास है। कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट्स की भी सैलरी इतनी ही है। भले ही आपको इतनी सैलरी मिल जाए, लेकिन नौकरियों के लिए धक्के जरूर खाने पड़ेंगे।
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