भोलू- मैं तीर्थ पर जा रहा हूं, सोच रहा हूं दारू छोड़ दूं
मोलू- यह तो बहुत अच्छी बात है लेकिन इसमें सोचने की जरूरत क्या है?
भोलू- लेकिन मेरे सारे दोस्त पियक्कर हैं, किसके पास छोड़ूं
पड़ोसी- भाभी, भैया कहां है?
भाभी- हमारा झगड़ा हो गया वो गार्डन मे हैं
पडोसी- गार्डन मे तो नहीं हैं वे...
भाभी- मिट्टी खोदकर देखिए
भाभी जी की बात सुनकर पड़ोसी वहां से नौ दो ग्यारह हो गया
पापा- बेटा तुमने आजतक कोई ऐसा काम किया जिससे मेरा सिर ऊंचा हो जाए
बेटा- हां पापा आप सो रहे थे तो आपके सिर के नीचे 2 तकिया लगा दिया था
पापा- चिंटू जब मैं तुम्हारी उम्र में था तो झूठ नहीं बोलता था
बेटा- तो पापा आपने झूठ कबस बोलना शुरू किया था
फिर क्या था दे थप्पड़ दे चप्पल
मोलू- यह तो बहुत अच्छी बात है लेकिन इसमें सोचने की जरूरत क्या है?
भोलू- लेकिन मेरे सारे दोस्त पियक्कर हैं, किसके पास छोड़ूं
पड़ोसी- भाभी, भैया कहां है?
भाभी- हमारा झगड़ा हो गया वो गार्डन मे हैं
पडोसी- गार्डन मे तो नहीं हैं वे...
भाभी- मिट्टी खोदकर देखिए
भाभी जी की बात सुनकर पड़ोसी वहां से नौ दो ग्यारह हो गया
पापा- बेटा तुमने आजतक कोई ऐसा काम किया जिससे मेरा सिर ऊंचा हो जाए
बेटा- हां पापा आप सो रहे थे तो आपके सिर के नीचे 2 तकिया लगा दिया था
पापा- चिंटू जब मैं तुम्हारी उम्र में था तो झूठ नहीं बोलता था
बेटा- तो पापा आपने झूठ कबस बोलना शुरू किया था
फिर क्या था दे थप्पड़ दे चप्पल
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