हापुड़: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) और हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण (HPDA) के बीच 16 गांवों के नियंत्रण को लेकर चल रहा विवाद एक नया मोड़ ले चुका है। GDA ने हापुड़ के पिलखुवा क्षेत्र के 16 गांवों को अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन HPDA ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। इस फैसले का समर्थन अब खुद गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग ने किया है। उनका कहना है कि इन गांवों को HPDA के अधीन रखना ही जनहित में उचित है।
गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग ने इस मामले में HPDA के फैसले का समर्थन करते हुए कहा, इन 16 गांवों को HPDA के अधीन रखना ही उचित है। इन गांवों को आर्थिक और सामाजिक रूप से जीडीए में शामिल करने का कोई औचित्य नहीं है।स्थानीय लोगों की सुविधा और प्रशासनिक दृष्टिकोण से यह फैसला सही है। हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण इन गांवों के विकास के लिए पहले से ही काम कर रहा है, और इसे बरकरार रखना चाहिए।" गर्ग ने यह भी जोड़ा कि क्षेत्रीय विकास के लिए दोनों प्राधिकरणों को मिलकर काम करना चाहिए, ताकि ग्रामीणों को किसी तरह की असुविधा न हो।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने हापुड़ जिले के पिलखुवा क्षेत्र के 16 गांवों—मसूरी (गंगा कैनाल के पूर्व और पश्चिम का संपूर्ण क्षेत्र), नाहल, मोहउद्दीनपुर डबारसी, निडोरी, मसौता, शामली, अफसरशाहपुर, अतरौली, अव्वलपुर, जोया, कनकपुर, औरंगाबाद दतेड़ी, मुकिमपुर, ईशकनगर, नहाली, और नंगौला अमिरपुर—को अपने दायरे में शामिल करने की योजना बनाई थी। GDA का तर्क था कि इन गांवों को शामिल करने से गाजियाबाद के विस्तारीकरण और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के आसपास अनियोजित निर्माण पर लगाम लगाने के लिए भी यह कदम जरूरी बताया गया।
हालांकि, HPDA ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि ये गांव उनके अधिकार क्षेत्र में हैं और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए इन्हें HPDA के अधीन ही रहना चाहिए। HPDA के उपाध्यक्ष डॉ. नितिन गौड़ ने स्पष्ट किया कि इन गांवों को GDA को सौंपने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा, हमारा प्राधिकरण छोटा है, और इन गांवों को पहले ही हमारे क्षेत्र में शामिल किया गया था। हम इनके विकास के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, और स्थानीय लोगों को भी हमारे साथ रहने में सुविधा है।
धौलाना विधायक और स्थानीय लोगों का विरोध
धौलाना के विधायक धर्मेश तोमर ने भी GDA के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि इन गांवों के लोग हापुड़ में अपने काम 10 मिनट में निपटा लेते हैं, जबकि GDA के कार्यालय तक पहुंचने में उन्हें एक घंटे का समय लगता है। तोमर ने कहा, जनहित में इन गांवों को HPDA के अधीन ही रहना चाहिए। हमने इस संबंध में मंडलायुक्त को अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है।
गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग ने इस मामले में HPDA के फैसले का समर्थन करते हुए कहा, इन 16 गांवों को HPDA के अधीन रखना ही उचित है। इन गांवों को आर्थिक और सामाजिक रूप से जीडीए में शामिल करने का कोई औचित्य नहीं है।स्थानीय लोगों की सुविधा और प्रशासनिक दृष्टिकोण से यह फैसला सही है। हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण इन गांवों के विकास के लिए पहले से ही काम कर रहा है, और इसे बरकरार रखना चाहिए।" गर्ग ने यह भी जोड़ा कि क्षेत्रीय विकास के लिए दोनों प्राधिकरणों को मिलकर काम करना चाहिए, ताकि ग्रामीणों को किसी तरह की असुविधा न हो।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने हापुड़ जिले के पिलखुवा क्षेत्र के 16 गांवों—मसूरी (गंगा कैनाल के पूर्व और पश्चिम का संपूर्ण क्षेत्र), नाहल, मोहउद्दीनपुर डबारसी, निडोरी, मसौता, शामली, अफसरशाहपुर, अतरौली, अव्वलपुर, जोया, कनकपुर, औरंगाबाद दतेड़ी, मुकिमपुर, ईशकनगर, नहाली, और नंगौला अमिरपुर—को अपने दायरे में शामिल करने की योजना बनाई थी। GDA का तर्क था कि इन गांवों को शामिल करने से गाजियाबाद के विस्तारीकरण और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के आसपास अनियोजित निर्माण पर लगाम लगाने के लिए भी यह कदम जरूरी बताया गया।
हालांकि, HPDA ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि ये गांव उनके अधिकार क्षेत्र में हैं और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए इन्हें HPDA के अधीन ही रहना चाहिए। HPDA के उपाध्यक्ष डॉ. नितिन गौड़ ने स्पष्ट किया कि इन गांवों को GDA को सौंपने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा, हमारा प्राधिकरण छोटा है, और इन गांवों को पहले ही हमारे क्षेत्र में शामिल किया गया था। हम इनके विकास के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, और स्थानीय लोगों को भी हमारे साथ रहने में सुविधा है।
धौलाना विधायक और स्थानीय लोगों का विरोध
धौलाना के विधायक धर्मेश तोमर ने भी GDA के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि इन गांवों के लोग हापुड़ में अपने काम 10 मिनट में निपटा लेते हैं, जबकि GDA के कार्यालय तक पहुंचने में उन्हें एक घंटे का समय लगता है। तोमर ने कहा, जनहित में इन गांवों को HPDA के अधीन ही रहना चाहिए। हमने इस संबंध में मंडलायुक्त को अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है।
You may also like
कक्षा सात की छात्रा बनी एक दिन की प्रधानाध्यापक
राजस्थान में मिला 'White Gold' का खजाना, बैटरी से लेकर हाई-टेक इंडस्ट्री तक होगा बड़ा फायदा
20 साल बाद टूटेगा इंतजार राजस्थान के इस जिले में एक बार फिर जलेगा रावण, जाने 2006 से क्यं लगी थी परंपरा पर रोक ?
जयपुर को दिवाली से पहले बड़ा तोहफा! CM भजनलाल ने किए 450 करोड़ के विकास कार्यों का ऐलान, यातायात व्यवस्था होगी मजबूती
"OG Box Office" 5 दिन में Pawan Kalyan की फिल्म का बड़ा धमाका, 250 करोड़ का बजट एक दिन में होगा वसूल, जानें कैसा है Jolly LLB 3 का हाल?