नई दिल्ली : पूरी दुनिया में सोना की कीमतें आसमान छू रही हैं। मगर, एक और धातु ने इस बीच बेहद तेजी से छलांग लगाई है। यह धातु है चांदी, जिसकी चमक अब पूरी दुनिया को भा रही है। यहां तक कि दुनिया के हर देश इस चांदी के दम पर चमकना चाह रहे हैं। चांदी सबसे अच्छा सुचालक है और फोटोवोल्टिक सेल के पीछे छिपा एक अति पतला पेस्ट ज्यादा से ज्यादा बिजली पैदा करता है। फिलहाल, सोने और चांदी की कीमतों में इन दिनों गिरावट चल रही है। हालांकि, ये गिरावट बेहद कम है, क्योंकि दोनों धातुएं की कीमतें आसमान छू रही हैं। मंगलवार को एमसीएक्स और आईबीजेए के अनुसार, सोने में लगभग 2000 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी में 3000 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। एमसीएक्स पर सोने की कीमत 1,21,507 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी की कीमत 1,44,436 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। अब दुनिया चांदी पर क्यों मर मिटी, इसकी वजह कुछ खास है, जिसे आज ट्यूजडे ट्रीविया में समझते हैं।
पूरी दुनिया में चीन 'चुरा' रहा है चांदी
bulliontradingllc.com के अनुसार, दुनिया के सबसे बड़े चांदी उपभोक्ता के रूप में चीन की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। चीन यह चांदी सौर पैनल निर्माण में इस्तेमाल करता है। चीन वैश्विक सौर पैनलों का 80% से अधिक उत्पादन करता है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम और सेमीकंडक्टर्स बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रिक वाहन के कंपोनेंट बनाने, 5G नेटवर्क के इंन्फ्रास्ट्रक्चर क्रिएट करने में और मेडिकल के क्षेत्र में भी चांदी का खूब इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि चीन पूरी दुनिया से चांदी खींच रहा है।
अमेरिका-चीन में चांदी के लिए हो सकती है नई जंग
दुनिया में चांदी के सबसे बड़े भंडार पेरू, ऑस्ट्रेलिया और रूस में हैं। अन्य प्रमुख देशों में चीन, पोलैंड, मेक्सिको, चिली, अमेरिका और बोलीविया शामिल हैं। भारत में भी चांदी के भंडार हैं, लेकिन अन्य देशों की तुलना में काफी कम हैं। ऐसे में ट्रेड वॉर मे उलझे अमेरिका और चीन के बीच चांदी के लिए नई जंग छिड़ सकती है। दक्षिण अमेरिका में एंडीज और मध्य अमेरिकी देश मेक्सिको में सिएरा माद्रे पर्वतमाला में फैले विशाल चांदी के भंडार घट रहे हैं, जिन्होंने अमेरिका पर स्पेनियों की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
EV कार इंडस्ट्री के लिए वरदान साबित हुई चांदी
मिंट की एक खबर के अनुसार, चांदी की तेजी और गिरावट आमतौर पर उत्साहित निवेशकों द्वारा प्रेरित होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चांदी नाममात्र के लिए एक औद्योगिक धातु है। सिक्का और बुलियन निवेशक वार्षिक उत्पादन का मुश्किल से पांचवां हिस्सा ही खर्च करते हैं, जबकि आभूषण और कटलरी इसमें पांचवां हिस्सा और जोड़ते हैं। बाकी का हिस्सा कारखानों में जाता है, जहां इसके कई इस्तेमाल हैं। इन्हीं में से एक अहम इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल कार इंडस्ट्री है।
फोटो खींचने के चक्कर में चांदी का फैला साम्राज्य
चांदी की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल इसी मांग की वजह से आया है। 1979 में, तीन टेक्सन तेल व्यवसायी बाज़ार पर कब्जा करने में कामयाब रहे, जिससे क्रिसमस की पूर्व संध्या और 1980 के पहले कारोबारी दिन के बीच कीमतें 62% बढ़ गईं। 1970 के दशक में रंगीन फ़ोटोग्राफी और साधारण इलेक्ट्रॉनिक फ्लैशबल्ब के जन्म लेने का मतलब था कि लोग पहले से कहीं ज्यादा तस्वीरें ले रहे थे। इस फोटोग्राफी के लिए चांदी बेहद जरूरी चीज हो गई थी। 1969 और 1979 के बीच अमेरिका में फोटोग्राफी के लिए चांदी की खपत लगभग 60% बढ़ गई और आखिरकार इसने बाजार के लगभग आधे हिस्से पर कब्जा कर लिया।
सौर पैनल के इस्तेमाल में चांदी का दबदबा
2011 में भी यही हुआ था, जब सौर ऊर्जा ने अपने पांव तेजी से पसारना शुरू किया तो चांदी क्यों पीछे रहे। चांदी की जरूरत ने इस धातु के नए उपयोग की ओर ध्यान आकर्षित किया और कीमतें लगभग 50 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गईं। यह बुलबुला तब फूटा जब पैनल फैक्टरियों ने अपने उपयोग को कम करने में अत्यधिक दक्षता हासिल कर ली। इस वर्ष स्थापित सौर क्षमता के प्रति वाट चांदी की खपत 2011 के मुकाबले मुश्किल से 10% ही रह गई है। दुर्भाग्य से, निर्माताओं के लिए, पैनल की कीमतों में भी लगभग इतनी ही गिरावट आई है, इसलिए कीमती धातुएं एक बार फिर भारी खर्च का कारण बन रही हैं।
सौर पैनल का सबसे बड़ा खर्च बनी चांदी
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा कीमतों पर चांदी ने फ्रेम में लगे एल्युमीनियम, कांच और बिजली पैदा करने वाले पॉलीसिलिकॉन को पीछे छोड़ दिया है और सौर पैनल का सबसे बड़ा खर्च बन गया है, जो आपके खर्च का लगभग 17% है। इस वर्ष 2019 की तुलना में लगभग छह गुना अधिक पैनल स्थापित करेंगे। जैसे-जैसे दुनिया जीवाश्म ईंधन से विद्युत ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, कई दूसरे इस्तेमाल भी अधिक चांदी की मांग कर रहे हैं।
इन चीजों में इस्तेमाल हो रही चांदी
हमारे उपकरणों और वाहनों में लगे हजारों स्विच, कनेक्टर और चिप्स में से कई में चांदी का इस्तेमाल होता है। एक बैटरी चालित कार, आंतरिक दहन इंजन वाली कार की तुलना में लगभग दोगुनी चांदी का इस्तेमाल करती है। यहां तक कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) डेटा केंद्र में भी चांदी का इस्तेमाल हो रहा है।
तीन-चौथाई चांदी बाई प्रोडॅक्ट के रूप में
रिपोर्ट के अनुसार, आजकल दुनिया की लगभग तीन-चौथाई चांदी जस्ता, सीसा, तांबा या सोना बनाने वाले भंडारों से बाई प्रोडॅक्ट के रूप में आती है। इस सप्लाई में भी रुकावट आ रही है। सीसा और जस्ते का खनन एक दशक पहले चरम पर था, जब ई-बाइक के लिए लेड-एसिड बैटरियां लिथियम-आयन बैटरियों से ज्यादा पॉपुलर थीं और चीन के विशाल निर्माण उद्योग के लिए गैल्वेनाइज्ड स्टील का उत्पादन फल-फूल रहा था।
दुनिया में घट रहा है चांदी की खनन
ऑस्ट्रेलिया में, साउथ-32 लिमिटेड की कैनिंगटन खदान कभी दुनिया की सबसे बड़ी सीसा और चांदी की खदान थी। 2030 के दशक की शुरुआत तक यह बंद हो सकती है। दुनिया के सबसे बड़े सीसा गलाने वाली फैक्टरियों में से एक ट्रैफिगुरा बेहीर भी स्ट्रगल कर रही है।
पूरी दुनिया में चीन 'चुरा' रहा है चांदी
bulliontradingllc.com के अनुसार, दुनिया के सबसे बड़े चांदी उपभोक्ता के रूप में चीन की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। चीन यह चांदी सौर पैनल निर्माण में इस्तेमाल करता है। चीन वैश्विक सौर पैनलों का 80% से अधिक उत्पादन करता है। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम और सेमीकंडक्टर्स बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रिक वाहन के कंपोनेंट बनाने, 5G नेटवर्क के इंन्फ्रास्ट्रक्चर क्रिएट करने में और मेडिकल के क्षेत्र में भी चांदी का खूब इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि चीन पूरी दुनिया से चांदी खींच रहा है।
अमेरिका-चीन में चांदी के लिए हो सकती है नई जंग
दुनिया में चांदी के सबसे बड़े भंडार पेरू, ऑस्ट्रेलिया और रूस में हैं। अन्य प्रमुख देशों में चीन, पोलैंड, मेक्सिको, चिली, अमेरिका और बोलीविया शामिल हैं। भारत में भी चांदी के भंडार हैं, लेकिन अन्य देशों की तुलना में काफी कम हैं। ऐसे में ट्रेड वॉर मे उलझे अमेरिका और चीन के बीच चांदी के लिए नई जंग छिड़ सकती है। दक्षिण अमेरिका में एंडीज और मध्य अमेरिकी देश मेक्सिको में सिएरा माद्रे पर्वतमाला में फैले विशाल चांदी के भंडार घट रहे हैं, जिन्होंने अमेरिका पर स्पेनियों की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
EV कार इंडस्ट्री के लिए वरदान साबित हुई चांदी
मिंट की एक खबर के अनुसार, चांदी की तेजी और गिरावट आमतौर पर उत्साहित निवेशकों द्वारा प्रेरित होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चांदी नाममात्र के लिए एक औद्योगिक धातु है। सिक्का और बुलियन निवेशक वार्षिक उत्पादन का मुश्किल से पांचवां हिस्सा ही खर्च करते हैं, जबकि आभूषण और कटलरी इसमें पांचवां हिस्सा और जोड़ते हैं। बाकी का हिस्सा कारखानों में जाता है, जहां इसके कई इस्तेमाल हैं। इन्हीं में से एक अहम इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल कार इंडस्ट्री है।
Silver market - don't be fooled by the latest price drop 🚨
— Mark (@Mark4XX) October 26, 2025
J. Staiger, top Swiss analyst: "This is the final shakeout before the explosion. The physical market has broken while paper traders play games."
LBMA in Panic Mode:
➡️ Settlement delays exploded from T+1 to T+8 WEEKS… pic.twitter.com/NlfiCxL43l
फोटो खींचने के चक्कर में चांदी का फैला साम्राज्य
चांदी की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल इसी मांग की वजह से आया है। 1979 में, तीन टेक्सन तेल व्यवसायी बाज़ार पर कब्जा करने में कामयाब रहे, जिससे क्रिसमस की पूर्व संध्या और 1980 के पहले कारोबारी दिन के बीच कीमतें 62% बढ़ गईं। 1970 के दशक में रंगीन फ़ोटोग्राफी और साधारण इलेक्ट्रॉनिक फ्लैशबल्ब के जन्म लेने का मतलब था कि लोग पहले से कहीं ज्यादा तस्वीरें ले रहे थे। इस फोटोग्राफी के लिए चांदी बेहद जरूरी चीज हो गई थी। 1969 और 1979 के बीच अमेरिका में फोटोग्राफी के लिए चांदी की खपत लगभग 60% बढ़ गई और आखिरकार इसने बाजार के लगभग आधे हिस्से पर कब्जा कर लिया।
सौर पैनल के इस्तेमाल में चांदी का दबदबा
2011 में भी यही हुआ था, जब सौर ऊर्जा ने अपने पांव तेजी से पसारना शुरू किया तो चांदी क्यों पीछे रहे। चांदी की जरूरत ने इस धातु के नए उपयोग की ओर ध्यान आकर्षित किया और कीमतें लगभग 50 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गईं। यह बुलबुला तब फूटा जब पैनल फैक्टरियों ने अपने उपयोग को कम करने में अत्यधिक दक्षता हासिल कर ली। इस वर्ष स्थापित सौर क्षमता के प्रति वाट चांदी की खपत 2011 के मुकाबले मुश्किल से 10% ही रह गई है। दुर्भाग्य से, निर्माताओं के लिए, पैनल की कीमतों में भी लगभग इतनी ही गिरावट आई है, इसलिए कीमती धातुएं एक बार फिर भारी खर्च का कारण बन रही हैं।
सौर पैनल का सबसे बड़ा खर्च बनी चांदी
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा कीमतों पर चांदी ने फ्रेम में लगे एल्युमीनियम, कांच और बिजली पैदा करने वाले पॉलीसिलिकॉन को पीछे छोड़ दिया है और सौर पैनल का सबसे बड़ा खर्च बन गया है, जो आपके खर्च का लगभग 17% है। इस वर्ष 2019 की तुलना में लगभग छह गुना अधिक पैनल स्थापित करेंगे। जैसे-जैसे दुनिया जीवाश्म ईंधन से विद्युत ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, कई दूसरे इस्तेमाल भी अधिक चांदी की मांग कर रहे हैं।
इन चीजों में इस्तेमाल हो रही चांदी
हमारे उपकरणों और वाहनों में लगे हजारों स्विच, कनेक्टर और चिप्स में से कई में चांदी का इस्तेमाल होता है। एक बैटरी चालित कार, आंतरिक दहन इंजन वाली कार की तुलना में लगभग दोगुनी चांदी का इस्तेमाल करती है। यहां तक कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) डेटा केंद्र में भी चांदी का इस्तेमाल हो रहा है।
तीन-चौथाई चांदी बाई प्रोडॅक्ट के रूप में
रिपोर्ट के अनुसार, आजकल दुनिया की लगभग तीन-चौथाई चांदी जस्ता, सीसा, तांबा या सोना बनाने वाले भंडारों से बाई प्रोडॅक्ट के रूप में आती है। इस सप्लाई में भी रुकावट आ रही है। सीसा और जस्ते का खनन एक दशक पहले चरम पर था, जब ई-बाइक के लिए लेड-एसिड बैटरियां लिथियम-आयन बैटरियों से ज्यादा पॉपुलर थीं और चीन के विशाल निर्माण उद्योग के लिए गैल्वेनाइज्ड स्टील का उत्पादन फल-फूल रहा था।
दुनिया में घट रहा है चांदी की खनन
ऑस्ट्रेलिया में, साउथ-32 लिमिटेड की कैनिंगटन खदान कभी दुनिया की सबसे बड़ी सीसा और चांदी की खदान थी। 2030 के दशक की शुरुआत तक यह बंद हो सकती है। दुनिया के सबसे बड़े सीसा गलाने वाली फैक्टरियों में से एक ट्रैफिगुरा बेहीर भी स्ट्रगल कर रही है।
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