पटना/नवादा: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनता दल के बड़े बाहुबली नेता राजबल्लभ यादव के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। पटना हाईकोर्ट ने पोक्सो मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे राजद के पूर्व विधायक राजवल्लभ यादव समेत सभी अभियुक्तों की अपीलों को स्वीकृत करते हुए उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
हाई कोर्ट ने इस कांड के पांच अन्य दोषियों की अपील पर सुनवाई पूरी कर 7 मई 2025, को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने राजबल्लभ यादव समेत सुलेखा देवी, राधा देवी, संदीप सुमन, टूसी देवी और छोटी देवी की अपीलों पर सुनवाई की।
इस मामलें में राजबल्लभ यादव, सुलेखा देवी और राधा देवी को आजीवन कारावास की सजा जबकि शेष तीन अपीलार्थी को 10 साल की सजा निचली अदालत से मिली थी।
कोर्ट ने पीड़िता का पक्ष प्रस्तुत करने के अधिवक्ता अनुकृति जयपुरियार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। पीड़िता की ओर से उन्होंने पक्ष प्रस्तुत किया। आजीवन कारावास के सजायाफ़्ता अपीलार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने पक्षों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था।
नवादा की एक अदालत ने 15 दिसंबर 2018 को राजद के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव को उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना भी भरने का आदेश दिया था।
निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव को अपने बिहारशरीफ़ स्थित आवास पर 6 फरवरी, 2016 नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने के मामले में दोषी करार देते हुए नवादा कोर्ट ने सजा सुनाई थी।
स्पेशल एमएलए/एमपी कोर्ट के जज परशुराम यादव ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376(बलात्कार), 120 बी और पॉक्सो अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
नवादा के राजद के विधायक राजबल्लभ यादव को बिहार विधानसभा की सदस्यता खत्म हो गयी थी। उन्हें भारतीय जनप्रतिनिधित्व 1951 कानून के तहत दोषी करार दिया गया।
आपराधिक साज़िश और तस्करी के लिए दोषी करार दी गयी दो अन्य लोग सुलेखा व उसकी मां राधा देवी को उम्रकैद की सजा के साथ 20 हजार रुपये जुर्माना भरने का कोर्ट ने आदेश दिया। इनके अलावा सुलेखा देवी की बेटी छोटी देवी, संदीप सुमन और तुसी देवी को 10-10 साल की कठोर कारावास के साथ ही 10-10 हजार रुपये का आर्थिक दंड लगाया गया।
इस आदेश के विरुद्ध इन सबों ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। सरकारी अधिवक्ता दिलीप सिन्हा राज्य सरकार की ओर पक्ष प्रस्तुत किया। अपीलार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह, अधिवक्ता अजय कुमार ठाकुर व पीड़िता की ओर से इमिकस क्यूरी अनुकृति जयपुरियार ने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को प्रस्तुत किया।
हाई कोर्ट ने इस कांड के पांच अन्य दोषियों की अपील पर सुनवाई पूरी कर 7 मई 2025, को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने राजबल्लभ यादव समेत सुलेखा देवी, राधा देवी, संदीप सुमन, टूसी देवी और छोटी देवी की अपीलों पर सुनवाई की।
इस मामलें में राजबल्लभ यादव, सुलेखा देवी और राधा देवी को आजीवन कारावास की सजा जबकि शेष तीन अपीलार्थी को 10 साल की सजा निचली अदालत से मिली थी।
कोर्ट ने पीड़िता का पक्ष प्रस्तुत करने के अधिवक्ता अनुकृति जयपुरियार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। पीड़िता की ओर से उन्होंने पक्ष प्रस्तुत किया। आजीवन कारावास के सजायाफ़्ता अपीलार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने पक्षों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था।
नवादा की एक अदालत ने 15 दिसंबर 2018 को राजद के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव को उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना भी भरने का आदेश दिया था।
निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव को अपने बिहारशरीफ़ स्थित आवास पर 6 फरवरी, 2016 नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने के मामले में दोषी करार देते हुए नवादा कोर्ट ने सजा सुनाई थी।
स्पेशल एमएलए/एमपी कोर्ट के जज परशुराम यादव ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376(बलात्कार), 120 बी और पॉक्सो अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
नवादा के राजद के विधायक राजबल्लभ यादव को बिहार विधानसभा की सदस्यता खत्म हो गयी थी। उन्हें भारतीय जनप्रतिनिधित्व 1951 कानून के तहत दोषी करार दिया गया।
आपराधिक साज़िश और तस्करी के लिए दोषी करार दी गयी दो अन्य लोग सुलेखा व उसकी मां राधा देवी को उम्रकैद की सजा के साथ 20 हजार रुपये जुर्माना भरने का कोर्ट ने आदेश दिया। इनके अलावा सुलेखा देवी की बेटी छोटी देवी, संदीप सुमन और तुसी देवी को 10-10 साल की कठोर कारावास के साथ ही 10-10 हजार रुपये का आर्थिक दंड लगाया गया।
इस आदेश के विरुद्ध इन सबों ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। सरकारी अधिवक्ता दिलीप सिन्हा राज्य सरकार की ओर पक्ष प्रस्तुत किया। अपीलार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह, अधिवक्ता अजय कुमार ठाकुर व पीड़िता की ओर से इमिकस क्यूरी अनुकृति जयपुरियार ने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को प्रस्तुत किया।
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