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सोनभद्र में 17000 करोड़ की बिजली परियोजना पर रोक, जंगल के 2 लाख पेड़ काटने की थी तैयारी! केंद्र का रेड सिग्नल

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ज्ञानप्रकाश चतुर्वेदी, नई दिल्ली/सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के घने जंगलों को फिलहाल राहत मिली है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 17,000 करोड़ रुपये की पंप स्टोरेज परियोजना के तहत 616 हेक्टेयर जंगल काटने के प्रस्ताव को रोक दिया है। इस परियोजना में ओबरा वन प्रभाग की तरिया रेंज में दो बड़े जलाशय बनाने की योजना थी, जिसके लिए 2 लाख से ज्यादा पेड़ काटने पड़ते। मंत्रालय ने कहा कि जंगल काटने से पहले वहां की पूरी स्थिति की जांच जरूरी है।



मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (एफएसी) ने इस परियोजना से पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर चिंता जताई है। समिति ने एक छोटी टीम बनाई है, जो जंगल का दौरा करेगी और यह देखेगी कि पेड़ काटने से जंगली जानवरों, पौधों और पर्यावरण को कितना खतरा हो सकता है।



यह परियोजना ग्रीनको एनर्जी कंपनी को दी गई थी। इसका मकसद बिजली की कमी को पूरा करना है। इसके लिए रात में पानी को ऊंचे जलाशय में पंप किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर उसे नीचे छोड़कर बिजली बनाई जाएगी। लेकिन इसके लिए इतने बड़े जंगल को काटना पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकता है।



पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इतने पेड़ काटने से मिट्टी खराब हो सकती है, पानी के स्रोत सूख सकते हैं और कई जानवरों का घर उजड़ सकता है। स्थानीय लोगों की जिंदगी पर भी बुरा असर पड़ सकता है।



अब सबको उप-समिति की रिपोर्ट का इंतजार है। यह रिपोर्ट तय करेगी कि परियोजना को मंजूरी मिलेगी या जंगल को बचाने के लिए कोई दूसरा रास्ता निकाला जाएगा। फिलहाल, मंत्रालय का यह फैसला पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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