नई दिल्ली: अमेरिका के साथ टेंशन के बीच भारतीयों के रुख में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। कभी अमेरिका जाना भारतीयों का सपना होता था। लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेतुकी नीतियों ने सबकुछ पटरी से उतार दिया है। 2001 के बाद पहली बार भारत से अमेरिका जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। कोरोना महामारी के सालों को छोड़ दें तो अमेरिका जाने वाले भारतीयों की संख्या में यह गिरावट एक बड़ा संकेत है। अमेरिका के सबसे तेजी से बढ़ते ट्रैवल मार्केट में यह सुस्ती की आहट है।
अमेरिकी वाणिज्य विभाग के नेशनल ट्रैवल एंड टूरिज्म ऑफिस (एनटीटीओ) के अनुसार, जून 2025 में सिर्फ 2.1 लाख भारतीय ही अमेरिका गए। यह आंकड़ा जून 2024 के 2.3 लाख से 8% कम है। शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में भी यही ट्रेंड रहा। इसमें साल-दर-साल 5.5% की गिरावट आई है। 2001 के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय यात्रियों की संख्या में कमी आई है। इसमें कोरोना महामारी के साल अपवाद हैं।
घट गई अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की भी संख्या
एनटीटीओ ने यह भी बताया कि जून में अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में कुल 6.2% की गिरावट आई है। मई में 7%, मार्च में 8% और फरवरी में 1.9% की गिरावट दर्ज की गई। सिर्फ जनवरी और अप्रैल में थोड़ी बढ़ोतरी हुई थी। भारत अमेरिका आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के मामले में चौथे नंबर पर है। पहले नंबर पर कनाडा, दूसरे पर मेक्सिको और तीसरे पर ब्रिटेन है। गैर-सीमावर्ती देशों में भारत दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर ब्रिटेन और तीसरे पर ब्राजील है। इन पांच देशों से जून में अमेरिका आने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 60% थी।
अमेरिका जाने वाले भारतीय आमतौर पर छात्र, पेशेवर और परिवार से मिलने वाले लोग होते हैं। वे घूमने-फिरने के लिए नहीं जाते। अधिकारियों का कहना है कि इस साल छात्रों की संख्या में सबसे ज्यादा कमी आई है। अगर वीजा मिलने में दिक्कतें जारी रहीं तो बिजनेस और परिवार से मिलने जाने वालों की संख्या भी घट सकती है।
अमेरिका में 50 लाख से ज्यादा भारतीयों का मजबूत समुदाय है। इस वजह से वहां लगातार लोगों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, इस साल जून में भारत से आने वाले लोगों की संख्या में 23 सालों की बढ़ोतरी का सिलसिला टूट गया।
अमेरिका के बजाय किन देशों में जा रहे भारतीय
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है, लेकिन अप्रैल 2025 में भारतीय पर्यटकों के लिए विदेश यात्रा का अच्छा महीना था। इस दौरान 29 लाख लोग विदेश गए। सबसे ज्यादा लोग यूएई, सऊदी अरब, थाईलैंड, सिंगापुर और फिर अमेरिका गए।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख के कारण भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास आई है। उनके पूरे प्रशासन ने भारत को निशाना बनाया है। इसने भारतीयों का अमेरिका से मोह भंग किया है।
पर्यटन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। हाल में नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की चेतावनी से इसे समझा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि भारत को अपने पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो नई एयरलाइन फ्लीट की क्षमता बर्बाद हो जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाने के बाद कांत ने यह सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि पर्यटन ऐसे टैरिफ से अप्रभावित है। यह भारत की सबसे बड़ी निर्यात आय का स्रोत हो सकता है। कांत ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत में प्राकृतिक सुंदरता, इतिहास और संस्कृति होने के बावजूद देश में वैश्विक पर्यटक आगमन का केवल 1.5% हिस्सा है। इसलिए पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए।
अमेरिकी वाणिज्य विभाग के नेशनल ट्रैवल एंड टूरिज्म ऑफिस (एनटीटीओ) के अनुसार, जून 2025 में सिर्फ 2.1 लाख भारतीय ही अमेरिका गए। यह आंकड़ा जून 2024 के 2.3 लाख से 8% कम है। शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में भी यही ट्रेंड रहा। इसमें साल-दर-साल 5.5% की गिरावट आई है। 2001 के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय यात्रियों की संख्या में कमी आई है। इसमें कोरोना महामारी के साल अपवाद हैं।
घट गई अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की भी संख्या
एनटीटीओ ने यह भी बताया कि जून में अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में कुल 6.2% की गिरावट आई है। मई में 7%, मार्च में 8% और फरवरी में 1.9% की गिरावट दर्ज की गई। सिर्फ जनवरी और अप्रैल में थोड़ी बढ़ोतरी हुई थी। भारत अमेरिका आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के मामले में चौथे नंबर पर है। पहले नंबर पर कनाडा, दूसरे पर मेक्सिको और तीसरे पर ब्रिटेन है। गैर-सीमावर्ती देशों में भारत दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर ब्रिटेन और तीसरे पर ब्राजील है। इन पांच देशों से जून में अमेरिका आने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 60% थी।
अमेरिका जाने वाले भारतीय आमतौर पर छात्र, पेशेवर और परिवार से मिलने वाले लोग होते हैं। वे घूमने-फिरने के लिए नहीं जाते। अधिकारियों का कहना है कि इस साल छात्रों की संख्या में सबसे ज्यादा कमी आई है। अगर वीजा मिलने में दिक्कतें जारी रहीं तो बिजनेस और परिवार से मिलने जाने वालों की संख्या भी घट सकती है।
अमेरिका में 50 लाख से ज्यादा भारतीयों का मजबूत समुदाय है। इस वजह से वहां लगातार लोगों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन, इस साल जून में भारत से आने वाले लोगों की संख्या में 23 सालों की बढ़ोतरी का सिलसिला टूट गया।
अमेरिका के बजाय किन देशों में जा रहे भारतीय
दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है, लेकिन अप्रैल 2025 में भारतीय पर्यटकों के लिए विदेश यात्रा का अच्छा महीना था। इस दौरान 29 लाख लोग विदेश गए। सबसे ज्यादा लोग यूएई, सऊदी अरब, थाईलैंड, सिंगापुर और फिर अमेरिका गए।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख के कारण भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास आई है। उनके पूरे प्रशासन ने भारत को निशाना बनाया है। इसने भारतीयों का अमेरिका से मोह भंग किया है।
पर्यटन किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। हाल में नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की चेतावनी से इसे समझा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि भारत को अपने पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो नई एयरलाइन फ्लीट की क्षमता बर्बाद हो जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाने के बाद कांत ने यह सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि पर्यटन ऐसे टैरिफ से अप्रभावित है। यह भारत की सबसे बड़ी निर्यात आय का स्रोत हो सकता है। कांत ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत में प्राकृतिक सुंदरता, इतिहास और संस्कृति होने के बावजूद देश में वैश्विक पर्यटक आगमन का केवल 1.5% हिस्सा है। इसलिए पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए।
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