इंफाल : मणिपुर जातीय हिंसा में पूर्व सीएम एन.बीरेन सिंह की कथित भूमिका की ओर इशारा करने वाली ऑडियो रिकॉर्डिंग को लेकर बड़ी बात सामने आई है। गांधीनगर की नेशनल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एनएफएसएल) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की गई है। बता दें कि मणिपुर हिंसा के दौरान एन. बीरेन सिंह के ऑडियो को लेकर काफी बवाल हुआ था और उन पर मैतेई समूहों के समर्थन में पक्षपात के आरोप लगे थे।
वैज्ञानिक रूप से फिट नहीं रिकॉर्डिंग
एनएफएसएल ने बताया कि ये रिकॉर्डिंग आवाजों की तुलना के लिए वैज्ञानिक रूप से फिट नहीं हैं। जिस वजह से स्पीकर्स की समानता या असमानता पर कोई राय नहीं दे सकता। कोर्ट ने एनएफएसएल की सीलबंद रिपोर्ट को देखने के बाद निर्देश दिया कि इसकी अंतिम रिपोर्ट पार्टियों को दी जाए। कोर्ट ने रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा कि चार नमूनों में बदलाव और छेड़छाड़ के संकेत मिले हैं, जिस वजह से कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि क्लिप बदली हुई है और मूल रिकॉर्डिंग नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि स्पीकर्स और नियंत्रण क्लिप की समानता और असमानता पर कोई राय नहीं दी जा सकती।
मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी
याचिकाकर्ता कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने ट्रूथ लैब्स द्वारा तैयार की गई एक अलग फोरेंसिक रिपोर्ट का जिक्र किया। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 50 मिनट की रिकॉर्डिंग बिना किसी बदलाव के थी और इसमें 93 प्रतिशत संभावना थी कि आवाज कंट्रोल सैंपल में मौजूद व्यक्ति की आवाज से मेल खाती है। कोर्ट ने इस पर जवाब दिया कि याचिकाकर्ता को एनएफएसएल की रिपोर्ट दी जाएगी, जिससे वे अपना जवाब दाखिल कर सकें। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को तय की है।
फरवरी महीने में लगा था राष्ट्रपति शासन
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एनएफएसएल की रिपोर्ट में ही विवादित रिकॉर्डिंग में छेड़छाड़ की बात सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में केंद्रीय एफएसएल से इन रिकॉर्डिंग्स पर रिपोर्ट मांगी थी। मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के लगभग दो साल बाद फरवरी महीने में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
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