ज्योति शर्मा, मथुरा: मथुरा-वृन्दावन में पूज्य संत श्री प्रेमानन्द महाराज की नित्य होने वाली पदयात्रा एक बार फिर भक्ति और आस्था के अद्भुत संगम का केंद्र बन गई है। महाराज जी के दर्शनों के लिए हर रोज़ हज़ारों भक्तों का जन सैलाब उमड़ रहा है, जो उनकी एक झलक पाने को आतुर रहते हैं। पदयात्रा पूरी करने के बाद वे डिफेंडर गाड़ी से वापस आश्रम के लिए लौटे।
शुक्रवार को भी महाराज श्री ने अपनी यह अलौकिक यात्रा श्री हित केली कुंज आश्रम से शुरू की। अपनी धुन में मगन, धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए, उन्होंने भक्तों को दर्शन दिए। यह यात्रा राधा टीला तक चली, जहाँ उनके सान्निध्य में भक्तों ने भक्तिमय वातावरण का अनुभव किया। यात्रा मार्ग पर मौजूद भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। हर तरफ 'राधे-राधे' की गूंज थी।
प्रेमानन्द महाराज ने इस दौरान हाथ जोड़कर भक्तों के अभिवादन को स्वीकार किया। उनका यह विनम्र भाव भक्तों के हृदय को छू गया। हालाँकि,आज उनकी पदयात्रा में एक परिवर्तन देखने को मिला। श्री हित केली कुंज आश्रम से राधा टीला तक की दूरी उन्होंने पैदल तय की, लेकिन वापसी में उन्होंने अपनी डिफेंडर गाड़ी का सहारा लिया और उसी में बैठकर आश्रम लौटे।
महाराज श्री के दर्शनों के लिए उमड़ रही यह भीड़ उनकी लोकप्रियता और उनके प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा को दर्शाती है। उनकी पदयात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह वृंदावन की धरा को प्रेम और भक्ति से सींचने वाला एक दिव्य महोत्सव है।
शुक्रवार को भी महाराज श्री ने अपनी यह अलौकिक यात्रा श्री हित केली कुंज आश्रम से शुरू की। अपनी धुन में मगन, धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए, उन्होंने भक्तों को दर्शन दिए। यह यात्रा राधा टीला तक चली, जहाँ उनके सान्निध्य में भक्तों ने भक्तिमय वातावरण का अनुभव किया। यात्रा मार्ग पर मौजूद भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। हर तरफ 'राधे-राधे' की गूंज थी।
प्रेमानन्द महाराज ने इस दौरान हाथ जोड़कर भक्तों के अभिवादन को स्वीकार किया। उनका यह विनम्र भाव भक्तों के हृदय को छू गया। हालाँकि,आज उनकी पदयात्रा में एक परिवर्तन देखने को मिला। श्री हित केली कुंज आश्रम से राधा टीला तक की दूरी उन्होंने पैदल तय की, लेकिन वापसी में उन्होंने अपनी डिफेंडर गाड़ी का सहारा लिया और उसी में बैठकर आश्रम लौटे।
महाराज श्री के दर्शनों के लिए उमड़ रही यह भीड़ उनकी लोकप्रियता और उनके प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा को दर्शाती है। उनकी पदयात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह वृंदावन की धरा को प्रेम और भक्ति से सींचने वाला एक दिव्य महोत्सव है।
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