ठाणे : कल्याण-डोंबिवली क्षेत्र में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। पार्टी के कल्याण ज़िला अध्यक्ष दीपेश म्हात्रे ने यूबीटी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का फैसला किया है। महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण की मौजूदगी में रविवार को म्हात्रे के औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल होने की उम्मीद है।
म्हात्रे के इस कदम को न केवल उद्धव ठाकरे के लिए, बल्कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए भी एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो वर्तमान में भाजपा के साथ गठबंधन में है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि उनके इस फैसले से शहर में, खासकर आगामी केडीएमसी चुनावों से पहले, राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना है।
एकनाथ का साथ छोड़कर उद्धव के साथ गए थेआपको बता दें कि कि दीपेश म्हात्रे पहले एकनाथ शिंदे खेमे से जुड़े थे। हालांकि, पिछले साल उन्होंने पाला बदल लिया और चार पार्षदों के साथ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) में शामिल हो गए। अब उनके भाजपा में वापसी के फैसले ने क्षेत्र में तीखी राजनीतिक बहस छेड़ दी है।
क्या बोले दीपेश म्हात्रेदीपेश म्हात्रे ने कहा कि किसी राष्ट्रीय पार्टी में शामिल होना शहर के विकास के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य कल्याण-डोंबिवली का विकास है और किसी राष्ट्रीय पार्टी का हिस्सा बनने से इस लक्ष्य को और प्रभावी ढंग से हासिल करने में मदद मिलेगी।
कौन हैं दीपेश म्हात्रेतीन बार पार्षद रह चुके म्हात्रे कल्याण-डोंबिवली के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता, पुंडलिक म्हात्रे, केडीएमसी के पूर्व महापौर हैं और कभी इस शहर के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक माने जाते थे। उनके भाई जयेश और मां भी पार्षद रह चुके हैं।
म्हात्रे के भाजपा में शामिल होने से कल्याण-डोंबिवली के राजनीतिक समीकरणों में काफ़ी बदलाव आने की उम्मीद है, जिसका भविष्य के चुनावी समीकरणों पर असर पड़ सकता है।
म्हात्रे के इस कदम को न केवल उद्धव ठाकरे के लिए, बल्कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए भी एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो वर्तमान में भाजपा के साथ गठबंधन में है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि उनके इस फैसले से शहर में, खासकर आगामी केडीएमसी चुनावों से पहले, राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना है।
एकनाथ का साथ छोड़कर उद्धव के साथ गए थेआपको बता दें कि कि दीपेश म्हात्रे पहले एकनाथ शिंदे खेमे से जुड़े थे। हालांकि, पिछले साल उन्होंने पाला बदल लिया और चार पार्षदों के साथ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) में शामिल हो गए। अब उनके भाजपा में वापसी के फैसले ने क्षेत्र में तीखी राजनीतिक बहस छेड़ दी है।
क्या बोले दीपेश म्हात्रेदीपेश म्हात्रे ने कहा कि किसी राष्ट्रीय पार्टी में शामिल होना शहर के विकास के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य कल्याण-डोंबिवली का विकास है और किसी राष्ट्रीय पार्टी का हिस्सा बनने से इस लक्ष्य को और प्रभावी ढंग से हासिल करने में मदद मिलेगी।
कौन हैं दीपेश म्हात्रेतीन बार पार्षद रह चुके म्हात्रे कल्याण-डोंबिवली के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता, पुंडलिक म्हात्रे, केडीएमसी के पूर्व महापौर हैं और कभी इस शहर के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक माने जाते थे। उनके भाई जयेश और मां भी पार्षद रह चुके हैं।
म्हात्रे के भाजपा में शामिल होने से कल्याण-डोंबिवली के राजनीतिक समीकरणों में काफ़ी बदलाव आने की उम्मीद है, जिसका भविष्य के चुनावी समीकरणों पर असर पड़ सकता है।
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