चीन और अमेरिका के बीच चल रही AI की रेस में कभी चीन आगे निकलता है तो कभी अमेरिका। दोनों देश तकनीक और AI से मिलेजुले ऐसे प्रयोग कर रहे हैं जो हैरान कर देने वाले हैं। अब चीन की कंपनी मूनशॉट AI लैब ने नया मॉडल लॉन्च किया है। इसका नाम है किमी K2 थिंकिंग। कंपनी का कहना है कि ये ओपनएआई के GPT-5 और एंथ्रोपिक के क्लॉड सोनेट 4.5 से कई टेस्ट में आगे है। सबसे अच्छी बात ये कि ये पूरी तरह मुफ्त है क्योंकि ये ओपन-सोर्स है। से करीब 1 ट्रिलियन पैरामीटर्स पर ट्रेन किया गया है। ये हगिंग फेस पर मुफ्त उपलब्ध है। हगिंग फेस LLMs का गिटहब जैसा प्लेटफॉर्म है। हालांकि, सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स सतर्क हैं। विदेशी ओपन-सोर्स AI पर नजर बनाए हुए हैं। बता दें कि इस साल अमेरिकी एजेंसियों ने डीपसीक को बैन किया था।
AI मॉडल किमी K2 की खासियतेंसाउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि किमी K2 थिंकिंग एक सोचने वाला AI मॉडल है। ये मिक्सचर ऑफ एक्सपर्ट्स तरीके से बना है। इसमें लंबी योजना बनाने, सोच बकलने और ऑनलाइन टूल्स जैसे ब्राउजर जुड़े हैं। ये मुश्किल पढ़ाई और एनालिसिस के काम आसानी से करता है। ह्यूमैनिटीज लास्ट एग्जाम, ब्राउजकॉम्प और सील-0 जैसे टेस्ट में ये GPT-5 और क्लॉड सोनेट 4.5 से बेहतर निकला। सोचने, योजना बनाने और वेब ब्राउजिंग में ये आगे रहा। कोडिंग में ये बराबर है।
सिलिकॉन वैली और वॉल स्ट्रीट में मचेगा हड़कंपकिमी K2 थिंकिंग ओपन-सोर्स है। डेवलपर्स कोड और वेट्स फ्री बदल सकते हैं। ये सब्सक्रिप्शन वाले AI को चुनौती देता है। मूनशॉट का दावा है कि इसे बनाने में सिर्फ 4.6 मिलियन डॉलर लगे। अमेरिकी लैब्स इससे कहीं ज्यादा खर्च करते हैं। अगर स्वतंत्र जांच में ये साबित हुआ तो सिलिकॉन वैली और वॉल स्ट्रीट में हड़कंप मच सकता है। इस साल डीपसीक ने भी ऐसा किया था।
दिग्गज कंपनियों पर असरकिमी K2 से पुराने बिजनेस मॉडल हिल सकते हैं। चैटजीपीटी के बाद कंपनियां महंगे एंटरप्राइज AI पर पैसा लगा रही थीं। अब मुफ्त और ताकतवर ऑप्शन आने से सोच बदल सकती है। कुछ अमेरिकी कंपनियां जैसे एयरबीएनबी चीनी मॉडल अपना रही हैं। वजह बेहतर काम और कम खर्च।
AI मॉडल किमी K2 की खासियतेंसाउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि किमी K2 थिंकिंग एक सोचने वाला AI मॉडल है। ये मिक्सचर ऑफ एक्सपर्ट्स तरीके से बना है। इसमें लंबी योजना बनाने, सोच बकलने और ऑनलाइन टूल्स जैसे ब्राउजर जुड़े हैं। ये मुश्किल पढ़ाई और एनालिसिस के काम आसानी से करता है। ह्यूमैनिटीज लास्ट एग्जाम, ब्राउजकॉम्प और सील-0 जैसे टेस्ट में ये GPT-5 और क्लॉड सोनेट 4.5 से बेहतर निकला। सोचने, योजना बनाने और वेब ब्राउजिंग में ये आगे रहा। कोडिंग में ये बराबर है।
सिलिकॉन वैली और वॉल स्ट्रीट में मचेगा हड़कंपकिमी K2 थिंकिंग ओपन-सोर्स है। डेवलपर्स कोड और वेट्स फ्री बदल सकते हैं। ये सब्सक्रिप्शन वाले AI को चुनौती देता है। मूनशॉट का दावा है कि इसे बनाने में सिर्फ 4.6 मिलियन डॉलर लगे। अमेरिकी लैब्स इससे कहीं ज्यादा खर्च करते हैं। अगर स्वतंत्र जांच में ये साबित हुआ तो सिलिकॉन वैली और वॉल स्ट्रीट में हड़कंप मच सकता है। इस साल डीपसीक ने भी ऐसा किया था।
दिग्गज कंपनियों पर असरकिमी K2 से पुराने बिजनेस मॉडल हिल सकते हैं। चैटजीपीटी के बाद कंपनियां महंगे एंटरप्राइज AI पर पैसा लगा रही थीं। अब मुफ्त और ताकतवर ऑप्शन आने से सोच बदल सकती है। कुछ अमेरिकी कंपनियां जैसे एयरबीएनबी चीनी मॉडल अपना रही हैं। वजह बेहतर काम और कम खर्च।
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