चेन्नै : हेमंत राजौरा : तमिलनाडु की राजनीति सिनेमा और सत्ता के संगम की कहानियों से भरी रही है। अब इसी परंपरा को आगे बढ़ाने का इरादा लेकर सामने आए हैं तमिल सिनेमा के सुपरस्टार थलपति विजय, जिन्होंने फरवरी 2024 में अपनी राजनीतिक पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (तमिलनाडु की विजयी सभा) की घोषणा की। इस घोषणा ने राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी, क्योंकि वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दों पर लगातार आवाज उठाने वाला लोकप्रिय चेहरा भी है। हालांकि हाल ही में करूर रैली हादसे में 41 लोगों की जान जाने के बाद वह निशाने पर आ गए है।
स्थानीय चुनावों में कामयाबी
विजय ने अपने प्रशंसकों के संगठन विजय मक्कल इयाक्कम को ही अपनी राजनीतिक पार्टी का आधार बनाया। यह वही संगठन है, जिसने स्थानीय निकाय चुनावों में 169 सीटों पर चुनाव लड़कर 115 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस जीत ने साबित किया कि विजय की लोकप्रियता परदे तक ही सीमित नहीं है। इसके बाद पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के मदुरई में हुए दूसरे सम्मेलन में 2026 के विधानसभा चुनाव को लेकर विजय ने साफ किया कि उनकी पार्टी तमिलनाडु की सभी 234 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। विजय ने अपने राजनीतिक रुख को स्पष्ट करते हुए कहा था कि बीजेपी हमारी वैचारिक दुश्मन है और डीएमके राजनीतिक दुश्मन। उनके इस स्पष्ट बयान ने तमिल राजनीति में एक तीसरे विकल्प की संभावना को मजबूत कर दिया।
विजय की गठबंधन की राजनीति से दूरी
विश्लेषकों के मुताबिक, एआईएडीएमके चाहती है कि विजय एनडीए में शामिल हो जाएं ताकि सरकार विरोधी वोटों का बहुपक्षीय विभाजन रोका जा सके जबकि डीएमके चाहती है कि वह अकेले चुनाव लड़ें। विजय ने गठबंधन की राजनीति से फिलहाल दूरी बनाई हुई है। उन्होंने करूर हादसे के बाद भी इस नीति को नहीं बदला। समझा जाता है कि अगर वह एनडीए से हाथ मिलाते हैं तो राज्य के लगभग 17 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाता उनसे दूर हो सकते हैं।
70 हजार से अधिक बूथ लेवल एजेंट बनाने का लक्ष्य
टीवीके ने राज्यभर में 70 हजार से अधिक बूथ-लेवल एजेंट नियुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। पार्टी हर मतदान केंद्र पर एक सचिव तैनात करने की योजना पर काम कर रही है। उल्लेखनीय है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में 68,320 मतदान केंद्र बने थे, जिन्हें टीवीके अब अपने संगठनात्मक ढांचे में शामिल कर रही है। पार्टी में कई पूर्व नौकरशाह, शिक्षाविद और पूर्व विधायक भी शामिल हो चुके हैं।
हर फिल्मी सितारा नहीं रहा सफल
तमिलनाडु में फिल्मों से राजनीति में आने का सिलसिला नया नहीं है। एमजी रामचंद्रन (एमजीआर), जयललिता, करुणानिधि जैसे नाम इसके चमकते उदाहरण रहे हैं। लेकिन हर फिल्मी सितारा राजनीति में सफल नहीं रहा। कमल हासन ने 2018 में मक्कल नीधि मय्यम पार्टी बनाई और 2021 के विधानसभा चुनावों में 154 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन उन्हें खास सफलता नहीं मिली। वह खुद कोयंबटूर साउथ सीट से चुनाव हार गए थे। साफ है कि तमिलनाडु की राजनीति में सिर्फ लोकप्रियता काफी नहीं, मजबूत संगठन, जातीय समीकरणों की समझ और लगातार जनसंपर्क भी जरूरी है।
तमिलनाडु में परीक्षा अगले साल
विजय के सामने भी यही चुनौती है। उन्हें अपने स्टारडम को संगठनात्मक ताकत में बदलना होगा और यह दिखाना होगा कि वह सिर्फ फिल्मी नायक नहीं बल्कि नीति, दृष्टि और नेतृत्व वाले राजनेता है। उनकी परीक्षा 2026 के विधानसभा चुनाव में होनी है।
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