कानपुर: बच्चों की पढ़ाई में दिलचस्पी बनाए रखने के लिए मौजूदा दौर में टीचर नए-नए प्रयोग करते हैं, लेकिन कानपुर के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज (जीजीआईसी) में हुए एक एक्सपेरिमेंट ने लड़कियों को स्कूल की तरफ खींच लिया। एक महीने पहले कानपुर प्रशासन ने क्लास 9-12 की छात्राओं के लिए टेस्टी मिड डे मील का इंतजाम किया।
इसका असर ये हुआ कि देखते ही देखते लड़कियों की अटेंडेंस 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गई। स्कूल प्रिंसिपल मंगलम गुप्ता के अनुसार, हमें उम्मीद है कि लड़कियां अब पढ़ाई पर कहीं ज्यादा फोकस कर पाएंगी। कानपुर के जीजीआईसी में इस समय 708 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हैं। इसमें क्लास 9-12 में 456 स्टूडेंट्स का एनरोलमेंट है। प्रिंसिपल मंगलम गुप्ता के अनुसार, हमरे स्कूल में पढ़ने वाली ज्यादातर लड़कियां बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आती है। कई लड़कियों के पैरंट्स दिन में मेहनत मजदूरी करने चले जाते हैं।
ऐसे में बच्चों को खाने-पीने की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस वजह से बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल नहीं आ पाती। इनकी हाजिरी कभी भी 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो रही थी। कुछ महीने पहले निरीक्षण के लिए आए डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह को यह बात बताई थी तो कुछ करने पर मंथन शुरू हुआ। स्कूल में कैंटीन है, लेकिन वहां हर चीज के लिए पेमेंट करना पड़ता है।
पोषण फैक्टर का रखा ध्यानबकौल प्रिंसिपल, प्रशासन ने तय किया कि अब क्लास 9-12 की स्टूडेंट्स को दोपहर भोजन परोसा जाएगा। अब तक मिड-डे-मील सिर्फ क्लास 6-8 की लड़कियों को मिल रहा था। सितंबर में नवरात्रि में मिशन शक्ति 5 के तहत बच्चियों को गरमा-गरम भोजन परोसने की शुरुआत हुई। इसके लिए अचिंत्य फाउंडेशन और कुछ अन्य लोगों ने पेमेंट के साथ बर्तन देने का जिम्मा लिया। हर दिन का मेन्यू तय था। मेन्यू बनाते समय लड़कियों की शारीरिक जरूरतों के मद्देनजर पोषण का फैक्टर भी दिमाग में रखा गया।
पढ़ाई पर हो रहा फोकसप्रिंसिपल ने बताया कि अब स्कूल में वो लड़कियां भी आने लगी, जो टिफिन न होने के कारण नहीं आ पाती थी। प्रिंसिपल मंगलम गुप्ता के अनुसार, जब दिन में लड़कियों का पेट भरा है, तो वे पढ़ाई पर पूरा फोकस कर पा रही है। लड़कियों की अटेडेस कभी 200-225 के बीच रहती थी, जो अब बढ़कर 350 से ज्यादा हो गई है। ये खाना इसलिए भी बहुत जरूरी है कि क्योंकि स्कूल का समय सुबह 9:30 से 3:30 है। एक अभिभावक तो आकर कह गए कि स्कूल ने बच्चों के दोपहर के खाने का तनाव दूर कर दिया।
टीचर भी साथ करती है लंचक्लास-11 की स्टूडेंट्स रमशा सईद और सादिका सईद ने बताया कि अब घर से टिफिन लाने की टेशन नहीं रहती। खाना अच्छा है। इस बार तो ड्रेस भी मिली है। टीचर भी साथ में लंच करती है तो हमारी बॉडिंग और मजबूत हो रही है। टीचर ही खाना सर्व करती है।
इसका असर ये हुआ कि देखते ही देखते लड़कियों की अटेंडेंस 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गई। स्कूल प्रिंसिपल मंगलम गुप्ता के अनुसार, हमें उम्मीद है कि लड़कियां अब पढ़ाई पर कहीं ज्यादा फोकस कर पाएंगी। कानपुर के जीजीआईसी में इस समय 708 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हैं। इसमें क्लास 9-12 में 456 स्टूडेंट्स का एनरोलमेंट है। प्रिंसिपल मंगलम गुप्ता के अनुसार, हमरे स्कूल में पढ़ने वाली ज्यादातर लड़कियां बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आती है। कई लड़कियों के पैरंट्स दिन में मेहनत मजदूरी करने चले जाते हैं।
ऐसे में बच्चों को खाने-पीने की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस वजह से बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल नहीं आ पाती। इनकी हाजिरी कभी भी 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो रही थी। कुछ महीने पहले निरीक्षण के लिए आए डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह को यह बात बताई थी तो कुछ करने पर मंथन शुरू हुआ। स्कूल में कैंटीन है, लेकिन वहां हर चीज के लिए पेमेंट करना पड़ता है।
पोषण फैक्टर का रखा ध्यानबकौल प्रिंसिपल, प्रशासन ने तय किया कि अब क्लास 9-12 की स्टूडेंट्स को दोपहर भोजन परोसा जाएगा। अब तक मिड-डे-मील सिर्फ क्लास 6-8 की लड़कियों को मिल रहा था। सितंबर में नवरात्रि में मिशन शक्ति 5 के तहत बच्चियों को गरमा-गरम भोजन परोसने की शुरुआत हुई। इसके लिए अचिंत्य फाउंडेशन और कुछ अन्य लोगों ने पेमेंट के साथ बर्तन देने का जिम्मा लिया। हर दिन का मेन्यू तय था। मेन्यू बनाते समय लड़कियों की शारीरिक जरूरतों के मद्देनजर पोषण का फैक्टर भी दिमाग में रखा गया।
पढ़ाई पर हो रहा फोकसप्रिंसिपल ने बताया कि अब स्कूल में वो लड़कियां भी आने लगी, जो टिफिन न होने के कारण नहीं आ पाती थी। प्रिंसिपल मंगलम गुप्ता के अनुसार, जब दिन में लड़कियों का पेट भरा है, तो वे पढ़ाई पर पूरा फोकस कर पा रही है। लड़कियों की अटेडेस कभी 200-225 के बीच रहती थी, जो अब बढ़कर 350 से ज्यादा हो गई है। ये खाना इसलिए भी बहुत जरूरी है कि क्योंकि स्कूल का समय सुबह 9:30 से 3:30 है। एक अभिभावक तो आकर कह गए कि स्कूल ने बच्चों के दोपहर के खाने का तनाव दूर कर दिया।
टीचर भी साथ करती है लंचक्लास-11 की स्टूडेंट्स रमशा सईद और सादिका सईद ने बताया कि अब घर से टिफिन लाने की टेशन नहीं रहती। खाना अच्छा है। इस बार तो ड्रेस भी मिली है। टीचर भी साथ में लंच करती है तो हमारी बॉडिंग और मजबूत हो रही है। टीचर ही खाना सर्व करती है।
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