पटना: ''जिस तरह महाभारत में अर्जुन ने लक्ष्य को पाने के लिए मछली की आंख पर ध्यान केंद्रित किया था, उसी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के समग्र विकास के लिए दिन-रात खुद को समर्पित कर दिया है। वे समाज के सबसे गरीब व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के लिए योजनाएं बना रहे हैं।'' राज्य के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने यह बात कही है। बिहार में अक्टूबर-नवंबर माह में संभावित विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों का पूरा जोर प्रचार पर है। चाहे पूर्व से चल रही योजनाएं हों, या नई घोषणाएं, वे प्रचार के जरिए वोटरों को प्रभावित करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
अशोक चौधरी ने बुधवार को कैमूर जिले के चैनपुर के पास एक 'जन संवाद' कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की। उन्होंने नीतीश कुमार की तुलना महाभारत के नायक अर्जुन से कर डाली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली माध्यम बना दिया है। सन 2005 में बिहार में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की दर 10.5 प्रतिशत थी, जो अब 1 प्रतिशत से भी कम हो गई है। चौधरी ने राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भी जिक्र किया।
शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार
अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि इन योजनाओं का लाभ समाज के सभी लोगों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि पहली बार महादलित, अल्पसंख्यक और अत्यंत पिछड़े वर्ग के बच्चों को 'तालीमी मरकज' और 'टोला सेवक' जैसी योजनाओं के माध्यम से शिक्षा की मुख्यधारा में लाया गया। स्कूल यूनिफॉर्म योजना और साइकिल योजना जैसी पहलों से लाखों लड़कियों को स्कूल लाने में सफलता मिल पाई।
अशोक चौधरी ने बताया कि नवंबर 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले केवल 4 लाख छात्र मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होते थे। लेकिन आज यह संख्या 18 लाख से अधिक हो गई है, जिसमें 8.5 लाख लड़कियां शामिल हैं। यह बिहार में महिलाओं के सशक्तिकरण की स्पष्ट तस्वीर पेश करता है। उन्होंने कहा कि लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
महिला सशक्तिकरण में 'बिहार मॉडल' प्रेरणादायी
महिला सशक्तिकरण सहित अन्य योजनाओं का जिक्र करते हुए अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश सरकार की दो अनोखी योजनाएं 'जीविका दीदी' और 'दीदी की रसोई' पूरे देश में उदाहरण बन गई हैं। जीविका के माध्यम से लाखों ग्रामीण महिलाएं बैंक फैसिलिटेटर, उद्यमी और नेता बन गई हैं। दीदी की रसोई ने स्थानीय महिलाओं को स्कूलों, अस्पतालों और कार्यालयों में सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध कराया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में महिला संवाद कार्यक्रम के लिए 225.78 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान भी मुख्यमंत्री के महिला-केंद्रित विचार का प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रयासों की विश्व बैंक, यूनीसेफ (UNICEF) और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने प्रशंसा की है। 'बिहार मॉडल' को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण माना जाता है, जिसे अन्य राज्यों ने भी अपनाया है।
बिहार में अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री जहां एक ओर सरकार की नई-नई योजनाएं घोषित कर रहे हैं, जनता को तोहफों का ऐलान कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बिहार के मंत्रियों सहित समूचा सरकारी तंत्र इनके प्रचार में जुटा है। नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने की इच्छा रखते हैं और इसके लिए वे पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
अशोक चौधरी ने बुधवार को कैमूर जिले के चैनपुर के पास एक 'जन संवाद' कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की। उन्होंने नीतीश कुमार की तुलना महाभारत के नायक अर्जुन से कर डाली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली माध्यम बना दिया है। सन 2005 में बिहार में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की दर 10.5 प्रतिशत थी, जो अब 1 प्रतिशत से भी कम हो गई है। चौधरी ने राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भी जिक्र किया।
शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार
अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि इन योजनाओं का लाभ समाज के सभी लोगों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि पहली बार महादलित, अल्पसंख्यक और अत्यंत पिछड़े वर्ग के बच्चों को 'तालीमी मरकज' और 'टोला सेवक' जैसी योजनाओं के माध्यम से शिक्षा की मुख्यधारा में लाया गया। स्कूल यूनिफॉर्म योजना और साइकिल योजना जैसी पहलों से लाखों लड़कियों को स्कूल लाने में सफलता मिल पाई।
अशोक चौधरी ने बताया कि नवंबर 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले केवल 4 लाख छात्र मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होते थे। लेकिन आज यह संख्या 18 लाख से अधिक हो गई है, जिसमें 8.5 लाख लड़कियां शामिल हैं। यह बिहार में महिलाओं के सशक्तिकरण की स्पष्ट तस्वीर पेश करता है। उन्होंने कहा कि लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
महिला सशक्तिकरण में 'बिहार मॉडल' प्रेरणादायी
महिला सशक्तिकरण सहित अन्य योजनाओं का जिक्र करते हुए अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश सरकार की दो अनोखी योजनाएं 'जीविका दीदी' और 'दीदी की रसोई' पूरे देश में उदाहरण बन गई हैं। जीविका के माध्यम से लाखों ग्रामीण महिलाएं बैंक फैसिलिटेटर, उद्यमी और नेता बन गई हैं। दीदी की रसोई ने स्थानीय महिलाओं को स्कूलों, अस्पतालों और कार्यालयों में सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध कराया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में महिला संवाद कार्यक्रम के लिए 225.78 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान भी मुख्यमंत्री के महिला-केंद्रित विचार का प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रयासों की विश्व बैंक, यूनीसेफ (UNICEF) और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने प्रशंसा की है। 'बिहार मॉडल' को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण माना जाता है, जिसे अन्य राज्यों ने भी अपनाया है।
बिहार में अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री जहां एक ओर सरकार की नई-नई योजनाएं घोषित कर रहे हैं, जनता को तोहफों का ऐलान कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बिहार के मंत्रियों सहित समूचा सरकारी तंत्र इनके प्रचार में जुटा है। नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने की इच्छा रखते हैं और इसके लिए वे पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
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