ढाका/वॉशिंगटन: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार एक के बाद एक भारत विरोधी फैसले कर रही है। हालांकि एक बात पूरी तरह भारत के लोगों को याद रखनी चाहिए कि चूहा कितना भी मोटा हो जाए, वो बाघ के हाथों मारा ही जाएगा। इसीलिए बांग्लादेश चाहे को भी डिफेंस समझौता कर ले, चाहे तुर्की से या फिर चीन से, लेकिन अगर उसकी वाकई कोई ख्वाहिश भारत से लड़ने की है, तो फिर वो अपनी बर्बादी की कहानी खुद लिखेगा। खैर, बांग्लादेश के मोहम्मद यूनुस चीन से SY-400 बैलिस्टिक मिसाइल खरीदने जा रहे हैं और बांग्लादेश के समर्थक इसे भारत के खिलाफ डेटरेंट बता रहे हैं।
दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने चीन के साथ अपने रक्षा संबंध को मजबूत करते हुए अपनी सेना को SY-400 मिसाइल सिस्टम से लैस करने का फैसला किया है। रिपोर्टों के मुताबिक, इसका मकसद 2030 तक बांग्लादेशी सेना के आधुनिकीकरण की योजना को जारी रखना और उसे विश्वसनीय मध्यम दूरी की, सटीक-हमला क्षमता प्रदान करना है।
चीन के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करना बांग्लादेश
बांग्लादेश के हालिया समय में अपने 70 प्रतिशत से ज्यादा हथियार कथित तौर पर बीजिंग से खरीदे हैं। SY-400 खरीदने का फैसला इस अहसास से आया है कि एक आधुनिक सेना लंबी दूरी की मिसाइल क्षमताओं के बिना नहीं रह सकती। कम दूरी की मिसाइल, बांग्लादेश को अपने 'दुश्मनों' के खिलाफ एक मजबूत डेटरेंट क्षमता प्रदान नहीं कर सकती है। इसीलिए बांग्लादेशी रक्षा अधिकारियों ने कथित तौर पर जोर देकर कहा कि यह खरीद देश की रक्षात्मक विश्वसनीयता को मजबूत करने के लिए उठाया गया एक कदम है। डिफेंस सिक्योरिटी एशिया ने एक रिपोर्ट में कहा कि यह ढाका के "न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता" के सिद्धांत के मुताबिक है।
बांग्लादेश के प्रसिद्ध पत्रकार सलाह उद्दीन चौधरी ने चीन के साथ होने वाली डील की आलोचना की है। उन्होंने अमेरिका की पूर्व बाइडेन-कमला हैरिस के प्रशासन को चीन-बांग्लादेश के बीच हो SY-400 डील के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि "पिछले साल, बाइडेन-कमला प्रशासन ने बिल क्लिंटन, हिलेरी क्लिंटन और सोरोस के सहयोग से बांग्लादेश की एक निर्वाचित सरकार को गिराकर अपने ही आदमी मुहम्मद यूनुस को सत्ता में बिठाया। उसके बाद से, यूनुस चीन के साथ रक्षा सहयोग को और गहरा कर रहे हैं। अब बांग्लादेश ने चीन निर्मित SY-400 कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली खरीदने का ऑर्डर दिया है। SY-400 को चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन (CASIC) ने डेवलप किया है। वर्तमान में, बांग्लादेश के 70 प्रतिशत से ज्यादा प्रमुख रक्षा आयात चीन और पाकिस्तान से हो रहे हैं। चीन, बांग्लादेश में एक ड्रोन निर्माण संयंत्र भी बना रहा है।"
SY-400 बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम क्या है?
आपको बता दें कि SY-400 (जिसे चीन में DF-12A के नाम से जाना जाता है) चीन का एक मॉड्यूलर शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल/गाइडेड रॉकेट सिस्टेम है। इसे CASIC नाम की डिफेंस कंपनी ने डेवलप किया है। यह 8×8 ट्रक-आधारित TEL पर चलते कैनिस्टर्ड मिसाइलों का उपयोग करता है और एक लांचर, सामान्यतः आठ कंटेनरों तक ले जा सकता है। इसके अलावा विकल्प के तौर पर इसमें BP-12A टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल भी फिट की जा सकती है। सिस्टम का मकसक तत्काल तैनाती, सटीक स्ट्राइक करने की क्षमता है। ऐसा माना जा रहा है कि इसका रेंज करीब 150-200 किलोमीटर के आसपास हो सकती है और इसमें 200 से 480 किलो वारहेड भरा जा सकता है। चीन दावा करता है कि इसकी टारगेट को हिट करने की क्षमता 30 से 50 मीटर के भीतर है, इसीलिए इससे सटीक शॉट्स लगाना संभाव है।
जहां तक भारत की बात है तो भारत के लिए ये मिसाइल कोई खास परेशानी की बात नहीं है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में अपने ड्रोन से पाकिस्तान के SY-400 से ज्यादा एडवांस HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया था। भारत के पास मल्टीलेयर्ड डिफेंस सिस्टम और अटैकिंग हथियारों की भरमार है। भारतीय वायुसेना अपने राफेल के स्कैल्प मिसाइलों को इस SY-400 मिसाइल की रेंज में आए बिना ही तबाह कर सकता है। इसके अलावा Su-30MKI से ब्रह्मोस दागकर भी इसे सेकंड में उड़ाया जा सकता है और ब्रह्मोस को रोकने की क्षमता जब चीन में ही नहीं है तो उसके प्यादों पाकिस्तान और बांग्लादेश के पास कहां से होगी!
दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने चीन के साथ अपने रक्षा संबंध को मजबूत करते हुए अपनी सेना को SY-400 मिसाइल सिस्टम से लैस करने का फैसला किया है। रिपोर्टों के मुताबिक, इसका मकसद 2030 तक बांग्लादेशी सेना के आधुनिकीकरण की योजना को जारी रखना और उसे विश्वसनीय मध्यम दूरी की, सटीक-हमला क्षमता प्रदान करना है।
चीन के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करना बांग्लादेश
बांग्लादेश के हालिया समय में अपने 70 प्रतिशत से ज्यादा हथियार कथित तौर पर बीजिंग से खरीदे हैं। SY-400 खरीदने का फैसला इस अहसास से आया है कि एक आधुनिक सेना लंबी दूरी की मिसाइल क्षमताओं के बिना नहीं रह सकती। कम दूरी की मिसाइल, बांग्लादेश को अपने 'दुश्मनों' के खिलाफ एक मजबूत डेटरेंट क्षमता प्रदान नहीं कर सकती है। इसीलिए बांग्लादेशी रक्षा अधिकारियों ने कथित तौर पर जोर देकर कहा कि यह खरीद देश की रक्षात्मक विश्वसनीयता को मजबूत करने के लिए उठाया गया एक कदम है। डिफेंस सिक्योरिटी एशिया ने एक रिपोर्ट में कहा कि यह ढाका के "न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता" के सिद्धांत के मुताबिक है।
🚨 Biden-Kamala's gift to China!
— Salah Uddin Shoaib Choudhury (@salah_shoaib) November 2, 2025
Last year, the Biden-Kamala administration, with the active collaboration of Bill and Hillary Clinton and Soros planted their own man Muhammad Yunus into power by toppling an elected government. Onwards, Yunus has been deepening defense… pic.twitter.com/BP8VoT3fp5
बांग्लादेश के प्रसिद्ध पत्रकार सलाह उद्दीन चौधरी ने चीन के साथ होने वाली डील की आलोचना की है। उन्होंने अमेरिका की पूर्व बाइडेन-कमला हैरिस के प्रशासन को चीन-बांग्लादेश के बीच हो SY-400 डील के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि "पिछले साल, बाइडेन-कमला प्रशासन ने बिल क्लिंटन, हिलेरी क्लिंटन और सोरोस के सहयोग से बांग्लादेश की एक निर्वाचित सरकार को गिराकर अपने ही आदमी मुहम्मद यूनुस को सत्ता में बिठाया। उसके बाद से, यूनुस चीन के साथ रक्षा सहयोग को और गहरा कर रहे हैं। अब बांग्लादेश ने चीन निर्मित SY-400 कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली खरीदने का ऑर्डर दिया है। SY-400 को चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन (CASIC) ने डेवलप किया है। वर्तमान में, बांग्लादेश के 70 प्रतिशत से ज्यादा प्रमुख रक्षा आयात चीन और पाकिस्तान से हो रहे हैं। चीन, बांग्लादेश में एक ड्रोन निर्माण संयंत्र भी बना रहा है।"
SY-400 बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम क्या है?
आपको बता दें कि SY-400 (जिसे चीन में DF-12A के नाम से जाना जाता है) चीन का एक मॉड्यूलर शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल/गाइडेड रॉकेट सिस्टेम है। इसे CASIC नाम की डिफेंस कंपनी ने डेवलप किया है। यह 8×8 ट्रक-आधारित TEL पर चलते कैनिस्टर्ड मिसाइलों का उपयोग करता है और एक लांचर, सामान्यतः आठ कंटेनरों तक ले जा सकता है। इसके अलावा विकल्प के तौर पर इसमें BP-12A टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल भी फिट की जा सकती है। सिस्टम का मकसक तत्काल तैनाती, सटीक स्ट्राइक करने की क्षमता है। ऐसा माना जा रहा है कि इसका रेंज करीब 150-200 किलोमीटर के आसपास हो सकती है और इसमें 200 से 480 किलो वारहेड भरा जा सकता है। चीन दावा करता है कि इसकी टारगेट को हिट करने की क्षमता 30 से 50 मीटर के भीतर है, इसीलिए इससे सटीक शॉट्स लगाना संभाव है।
जहां तक भारत की बात है तो भारत के लिए ये मिसाइल कोई खास परेशानी की बात नहीं है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में अपने ड्रोन से पाकिस्तान के SY-400 से ज्यादा एडवांस HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया था। भारत के पास मल्टीलेयर्ड डिफेंस सिस्टम और अटैकिंग हथियारों की भरमार है। भारतीय वायुसेना अपने राफेल के स्कैल्प मिसाइलों को इस SY-400 मिसाइल की रेंज में आए बिना ही तबाह कर सकता है। इसके अलावा Su-30MKI से ब्रह्मोस दागकर भी इसे सेकंड में उड़ाया जा सकता है और ब्रह्मोस को रोकने की क्षमता जब चीन में ही नहीं है तो उसके प्यादों पाकिस्तान और बांग्लादेश के पास कहां से होगी!
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