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Govardhan Puja 2025 : जानें पूजा की सही विधि, शुभ मुहूर्त और वो चमत्कारी मंत्र, जिससे बरसेगी श्री कृष्ण की कृपा

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News India Live, Digital Desk: दिवाली के ठीक अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा का त्योहार, प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है. यह दिन भगवान श्री कृष्ण की उस लीला को समर्पित है, जब उन्होंने इंद्रदेव का अभिमान तोड़कर गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था. मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन और सही विधि-विधान से पूजा करता है, उस पर और उसके परिवार पर साल भर भगवान कृष्ण की कृपा बनी रहती है.आइए जानते हैं कि साल 2025 में गोवर्धन पूजा की सही तारीख क्या है, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूरी पूजा विधि और वो खास मंत्र जिसका जाप करना बेहद फलदायी माना जाता है.गोवर्धन पूजा 2025: तारीख और शुभ मुहूर्तइस साल दिवाली 20 अक्टूबर को है, इसलिए गोवर्धन पूजा मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 को की जाएगी.पूजा का शुभ मुहूर्त:सुबह का समय: सुबह 06:29 से सुबह 08:44 तक.शाम का समय: शाम 04:36 से शाम 05:40 तक.पूजा के लिए जरूरी सामग्री (Puja Samagri)पूजा शुरू करने से पहले ये चीजें इकट्ठा कर लें:गाय का गोबरफूल, माला, धूप, दीप, रोली, चंदनअक्षत (चावल), खील, बताशे, शक्करपंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण)नैवेद्य के लिए मिठाई और अन्नकूट का प्रसाद (विभिन्न सब्जियों से बना भोग)जल का लोटागोवर्धन पूजा की सरल और संपूर्ण विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)गोवर्धन पर्वत का निर्माण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थान पर या घर के आंगन में गाय के गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में गोवर्धन पर्वत बनाएं. नाभि की जगह पर मिट्टी का दीपक रखें.सजावट: बनाए गए गोवर्धन पर्वत को फूलों, खील और बताशों से सजाएं.पूजा का संकल्प: हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें.पूजन आरंभ: अब गोवर्धन पर्वत पर रोली, चंदन, अक्षत और फूल अर्पित करें. दीपक जलाएं और धूप दिखाएं.पंचामृत स्नान: भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए पर्वत पर पंचामृत से अभिषेक करें और फिर शुद्ध जल चढ़ाएं.भोग लगाएं: अन्नकूट और अन्य मिठाइयों का भोग लगाएं.मंत्र जाप करें: पूजा के दौरान श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का जाप करें.गोवर्धन पूजा का विशेष मंत्र:"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या फिर आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं, "गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक, विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव:।"परिक्रमा करें: पूजा समाप्त होने के बाद परिवार के सभी सदस्यों के साथ गोवर्धन पर्वत की सात बार परिक्रमा करें. परिक्रमा करते समय हाथ में खील या जौ लेकर परिक्रमा करें और उसे थोड़ा-थोड़ा गिराते जाएं.प्रसाद वितरण: अंत में आरती करें और सभी में अन्नकूट का प्रसाद बांटें.इस सरल विधि से की गई पूजा से भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और परिवार में धन, धान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
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