News India Live,Digital Desk: उत्तर प्रदेश आज देश में एक्सप्रेसवे के मामले में सबसे आगे है। योगी सरकार अब इस दिशा में एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। प्रदेश के एक प्रमुख एक्सप्रेसवे पर देश का पहला सोलर प्रोजेक्ट लगने जा रहा है। इस अनोखे प्रोजेक्ट से न सिर्फ़ लाखों घरों को बिजली मिलेगी, बल्कि कई और फायदे भी होंगे।
चमक उठेगा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे!
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) की। अब यह सिर्फ़ तेज रफ़्तार सफ़र ही नहीं देगा, बल्कि बिजली भी पैदा करेगा! इसे देश के पहले ‘सोलर एक्सप्रेसवे’ के तौर पर विकसित करने की तैयारी ज़ोरों पर है। आपको बता दें कि यह एक्सप्रेसवे यूपी के 7 जिलों – चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा – से होकर गुज़रता है।
कैसे बनेगी बिजली और क्या होगा फायदा?
योजना के मुताबिक, इस पूरे एक्सप्रेसवे के किनारे-किनारे सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इन सोलर पैनलों से लगभग 550 मेगावॉट सौर ऊर्जा (सोलर पावर) पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। सोचिए, इस परियोजना के पूरा होने से:
ग्रीन एनर्जी: साफ-सुथरी, पर्यावरण के अनुकूल बिजली का उत्पादन होगा।
रोशन होंगे घर: पैदा हुई बिजली से करीब 1 लाख घरों को सप्लाई दी जा सकेगी।
एक्सप्रेसवे के जाल में एक नई पहचान
यूपी में जहाँ कई एक्सप्रेसवे बन चुके हैं और कई बन रहे हैं, वहीं बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे अब अपनी एक अलग और खास पहचान बनाने जा रहा है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) इस महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है। कुल 296 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर ये सोलर पैनल लगाए जाएंगे।
देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे
यह वाकई गर्व की बात है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे (Solar Expressway) बनने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए बड़े पैमाने पर ज़मीन भी चिह्नित कर ली गई है। अच्छी खबर ये है कि 8 सोलर पावर डेवलपर्स कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट में अपनी रुचि दिखाते हुए प्रेजेंटेशन भी दे दिया है।
कैसे लगेगा ये प्लांट? (PPP मॉडल)
सोलर प्लांट लगाने का यह काम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत किया जाएगा। एक्सप्रेसवे पर जो मुख्य सड़क (Main Carriageway) और सर्विस लेन है, उसके बीच में करीब 15 से 20 मीटर चौड़ी ज़मीन की पट्टी खाली है। इसी खाली जगह का इस्तेमाल सोलर पैनल लगाने के लिए किया जाएगा।
बुंदेलखंड ही क्यों चुना गया?
इस प्रोजेक्ट के लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सबसे उपयुक्त माना गया है। इसके कई कारण हैं:
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ज़मीन की उपलब्धता: यहाँ सोलर पैनल लगाने के लिए आसानी से ज़मीन उपलब्ध है।
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मौसम: यहाँ का मौसम ज्यादातर साफ और सूखा रहता है, जो सोलर पावर बनाने के लिए बहुत अच्छा है।
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बारिश: यहाँ सालाना औसत बारिश भी लगभग 800 से 900 मिलीमीटर होती है, जो बहुत ज़्यादा नहीं है।
कितना बड़ा है ये एक्सप्रेसवे?
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लागत: 296 किलोमीटर लंबे इस 4-लेन एक्सप्रेसवे को बनाने में यूपीडा ने करीब 14,850 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
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विस्तार: भविष्य में इसे 6 लेन तक बढ़ाया जा सकता है।
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कनेक्टिविटी: यह एक्सप्रेसवे चित्रकूट जिले में भरतकूप के पास गोंडा गांव में NH-35 से शुरू होता है और इटावा जिले के कुदरैल गांव तक जाता है, जहाँ यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से मिल जाता है।
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सुविधाएं: एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा के लिए पुलिस पेट्रोलिंग, आपातकालीन मदद के लिए एम्बुलेंस की सुविधा दिन-रात उपलब्ध है।
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टोल टैक्स: इस पर चलने वाले वाहनों को दूरी और वाहन के प्रकार के हिसाब से लगभग 600 रुपये से लेकर 3900 रुपये तक का टोल टैक्स देना पड़ सकता है।
कब तक पूरा होगा ये सोलर प्रोजेक्ट?
इस शानदार सोलर प्रोजेक्ट की देखरेख ग्लोबल एनर्जी अलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट (GEAPP) नाम का वैश्विक संगठन कर रहा है, जो ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देता है। उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट अगले 15 महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा।
एक और बड़ा फायदा यह है कि जब एक्सप्रेसवे पर बिजली पैदा होने लगेगी, तो भविष्य में यहाँ इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के लिए चार्जिंग स्टेशन लगाना भी बहुत आसान हो जाएगा। यह कदम सही मायनों में उत्तर प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा!
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