क्या आप सोच सकते हैं कि मानसून की बारिश से पूरा राज्य कैसे थम सकता है? हिमाचल प्रदेश में लगातार भारी बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को रसातल में पहुंचा दिया है। राज्य में इस समय कुल 398 सड़कें बंद हैं—इनमें कई बड़े नेशनल हाइवे भी शामिल हैं, जिससे यात्रियों व आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है।किधर कहर ज्यादा—शिमला, मंडी, कुल्लू बुरी तरह प्रभावितराजधानी शिमला में पेड़ गिरने से तीन-चार गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं, जबकि विकास नगर क्षेत्र में एक इमारत की छत टूट गई। मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है—यहां 213 सड़कें बंद हैं, कुल्लू में 85, और चंबा-पठानकोट हाइवे भी क्षतिग्रस्त है।भारी बारिश का चौंकाने वाला डाटाबीते 24 घंटे में बारिश के आंकड़े वाकई डरावने हैं। नागरोता सुरियां में 180.2mm, गुलार में 161.2mm, घमरूर में 112.2mm, और नदौन में 78.5mm बारिश हुई। अन्य कस्बों—जोगिंदरनगर, पालमपुर, सुजानपुर टीरा, शिमला आदि में भी 40–75mm तक बारिश दर्ज हुई। कुल मिलाकर, जून 1 से अब तक हिमाचल को 507.3mm बारिश मिली है—जो सामान्य से 11% ज्यादा है!मौत, नुकसान और डर का माहौलमानसून 20 जून से शुरू हुआ था और अब तक 119 मौतें हो चुकी हैं, 36 लोग लापता हैं। पूरे प्रदेश में 58 फ्लैश फ्लड, 30 क्लाउडबर्स्ट, और 54 बड़े भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं। बारिश और भूस्खलन से 669 पावर ट्रांसफार्मर और 529 जल आपूर्ति योजनाएं ठप हो गई हैं। अनुमानित नुकसान ₹2,007 करोड़ से ऊपर पहुंच गया है—आप सोच सकते हैं कितना बड़ा आपदा प्रबंधन इस समय राज्य में चल रहा है!ऑरेंज अलर्ट: अभी राहत नहींस्थानीय मौसम विभाग ने बुधवार और गुरुवार के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है—मतलब अगले 48 घंटे में बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। राज्य सरकार ने लोगों को जरूरी एहतियात बरतने की सलाह दी है—सड़कों से दूर रहें, यात्रा टालें, और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।भावनात्मक अपील: हिमाचल को बचाने की जरूरतहमारी पहाड़ी वादियों की सुंदरता—बर्फ, बारिश, हरे-भरे जंगल—आज खतरे में है। अगर समय रहते हम सबने जिम्मेदारी नहीं ली, तो भविष्य की पीढ़ियों को सिर्फ बारिश नहीं, आपदा मिलेगी।
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