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किराया कानून: मकान मालिक और किरायेदार के अधिकार

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किराया बढ़ाने के नियम


किराया कानून: वर्तमान में, कई मकान मालिक अपनी संपत्तियों को किराए पर देते हैं। एक साल पूरा होने पर किरायेदारों को किराया बढ़ने की चिंता सताने लगती है, क्योंकि आमतौर पर किराया एक वर्ष के बाद ही बढ़ाया जाता है।


किरायेदार के अधिकार

किरायेदार के अधिकारों के अनुसार, वे मकान मालिक द्वारा निर्धारित किराया वृद्धि को स्वीकार कर सकते हैं, लेकिन यह वृद्धि एक निश्चित सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह नियम मकान मालिकों को मनमानी करने से रोकता है। किरायेदारों को इस विषय में पूरी जानकारी होनी चाहिए।


रेंट एग्रीमेंट का महत्व

रेंट एग्रीमेंट की आवश्यकता:

रेंट एग्रीमेंट को रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 17 के तहत अनिवार्य किया गया है। किराए पर रहने के लिए रेंट एग्रीमेंट बनाना बेहतर होता है, लेकिन कई लोग केवल एक आईडी देकर रहने लगते हैं, जिससे भविष्य में विवाद की संभावना कम होती है।


मकान में आवश्यक सुविधाएं

आवश्यक सुविधाएं:

किराया केवल किरायेदार की सुविधाओं पर निर्भर करता है। मकान मालिक को मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पानी और शौचालय प्रदान करना अनिवार्य है। हालांकि, मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट के अनुसार इन सुविधाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क ले सकता है।


किराया वृद्धि की सीमा

किराया वृद्धि की सीमा:

किराए को लेकर अक्सर मकान मालिक और किरायेदार के बीच मतभेद होते हैं। हर साल किराया बढ़ाने का अधिकार राज्य के कानूनों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट 1999 के अनुसार, मकान मालिक हर साल किराया चार प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।


11 महीने के एग्रीमेंट के फायदे

11 महीने के एग्रीमेंट के लाभ:

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण होता है और इसे रद्द करना भी आसान होता है। यह एग्रीमेंट समाप्त होने पर किराया बढ़ाने की अनुमति देता है, जिससे विवाद की संभावना कम होती है।


कम खर्च में एग्रीमेंट

कम खर्च में एग्रीमेंट:

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनाने का एक बड़ा कारण यह है कि इसके लिए सभी कागजात रजिस्ट्रार के कार्यालय में रजिस्टर्ड नहीं होते हैं। लंबे समय के एग्रीमेंट में अधिक स्टैंप ड्यूटी लगती है।


लंबे समय का अनुबंध

लंबे समय का अनुबंध बनाने का तरीका:

रेंट एग्रीमेंट आमतौर पर 11 महीने का होता है। लंबे समय के किराया समझौते को रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर कराना आवश्यक होता है। मकान मालिक को बिना किसी कारण बताए किरायेदार को निकालने का अधिकार होता है, लेकिन उन्हें एक महीने का नोटिस देना होगा।


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