लाइव हिंदी खबर :- जब भी रामायण का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले श्री राम, लक्ष्मण और सीता का ध्यान आता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान राम की एक बहन भी थीं, जो चारों भाईयों में सबसे बड़ी थीं। रामायण की कहानियों में उनका उल्लेख बहुत कम होता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीराम की बहन 'शांता' की पूजा की जाती है। इस मंदिर का नाम 'शृंग ऋषि मंदिर' है।
शांता देवी का यह मंदिर कुल्लू शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां देवी शांता के साथ उनके पति शृंग ऋषि भी विराजमान हैं। यह मंदिर एक शांत वातावरण में स्थित है, जहां चिड़ियों की चहचहाहट और प्राकृतिक सौंदर्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।
शृंग ऋषि से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शृंग ऋषि ऋष्यशृंग विभण्डक के पुत्र थे। ऋष्यशृंग ने राजा दशरथ की संतान की कामना के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ का आयोजन किया था। यह यज्ञ अयोध्या से लगभग 39 किलोमीटर पूर्व में हुआ था, और आज भी वहां उनका आश्रम मौजूद है।
देवी शांता की विवाह की कथा
कथानुसार, जब राजा दशरथ को पहली पुत्री शांता हुई, तब अयोध्या में भयंकर अकाल पड़ा। राजा ने जब इसका कारण जानने की कोशिश की, तो पुरोहितों ने बताया कि यह अकाल उनकी पुत्री के कारण है। पुरोहितों ने सलाह दी कि शांता का त्याग किए बिना कल्याण संभव नहीं है। राजा ने उनकी बात मानकर शांता को अपने एक निःसंतान मित्र, अंग के राजा रोमपद को दान कर दिया। रोमपद की पत्नी वर्षिणी कौशल्या की बहन थी। रोमपद ने श्रृंगी ऋषि द्वारा आयोजित यज्ञ से प्रसन्न होकर शांता से विवाह कर लिया।
मंदिर में उत्सवों का आयोजन
इस मंदिर में भगवान श्रीराम से जुड़े सभी उत्सव, जैसे राम जन्मोत्सव और दशहरा, धूमधाम से मनाए जाते हैं। मान्यता है कि देवी शांता और उनके पति की पूजा करने से भक्तों पर भगवान श्रीराम की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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