मेवात के शोएब अख्तर ने एमएसएमई मंत्रालय में अधिकारी बनकर एक नई मिसाल कायम की है: फिरोजपुर झिरका के एक साधारण किसान परिवार से निकलकर शोएब ने यूपीएससी की कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें सहायक निदेशक के पद पर पहुंचाया। बीजेपी सरकार की पारदर्शी नीतियों की सराहना करते हुए शोएब ने युवाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया। आइए, उनकी इस उपलब्धि की पूरी कहानी और इसके प्रेरणादायक पहलुओं पर नजर डालते हैं।
साधारण शुरुआत, असाधारण उपलब्धि
शोएब अख्तर का जन्म नूंह के फिरोजपुर झिरका में एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता, हाजी फारुख, खेती करते हैं, और दादा इजराइल एग्रीकल्चर विभाग से रिटायर हुए हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद, शोएब ने अपनी पढ़ाई में कभी भी पीछे नहीं हटे। 12वीं कक्षा में टॉप करने के बाद, उन्होंने सोनीपत की एक यूनिवर्सिटी से बीटेक किया, जहां वे टॉप-3 में रहे। उनकी मेहनत ने उन्हें यूपीएससी परीक्षा में दूसरी बार सफलता दिलाई। 17 अप्रैल को आए परिणाम ने उन्हें भारतीय उद्यम विकास सेवा (आईईडीएस) के तहत एमएसएमई मंत्रालय में सहायक निदेशक (ग्रेड-1) बना दिया।
सफलता का सफर: मेहनत और आत्मविश्वास
शोएब की यात्रा आसान नहीं थी। पटियाला में भारतीय खाद्य निगम में सहायक प्रबंधक के रूप में काम करते हुए, उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की। 2023 में उनका चयन दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के लिए हुआ, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया क्योंकि उनका लक्ष्य बड़ा था। सोशल मीडिया से दूरी और परिवार का समर्थन उनकी एकाग्रता को बनाए रखने में मददगार रहा। शोएब का कहना है, “सपनों को साकार करने के लिए संसाधनों से ज्यादा समर्पण और आत्मविश्वास जरूरी है।” उनकी कहानी मेवात जैसे क्षेत्रों के युवाओं के लिए प्रेरणा है, जहां संसाधन सीमित हैं, लेकिन प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।
बीजेपी सरकार की तारीफ: पारदर्शी अवसर
शोएब ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार के साथ-साथ बीजेपी सरकार को भी दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की पारदर्शी नीतियां और “बिना पर्ची-खर्ची” की नौकरी प्रक्रिया ने उन्हें यह मुकाम दिलाया। यूपीएससी में देशभर की 12 सीटों में तीसरा स्थान हासिल करना उनकी मेहनत और सरकार के सहयोग का परिणाम है। शोएब का मानना है कि युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ सरकार के समर्थन की आवश्यकता होती है, जो बीजेपी प्रदान कर रही है। उनके पिता हाजी फारुख भी बेटे की उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हैं और कहते हैं कि शोएब हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रहा है।
परिवार और समाज के लिए प्रेरणा
शोएब की कहानी केवल उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि पूरे मेवात क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। उनकी शादी दो महीने पहले हुई, और उनके भाई-बहन भी यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। यह परिवार मेहनत और शिक्षा के महत्व को दर्शाता है। फिरोजपुर झिरका में शोएब की उपलब्धि ने स्थानीय युवाओं में नया उत्साह भरा है। उनकी कहानी यह सिखाती है कि कठिनाइयाँ भी बड़े सपनों को रोक नहीं सकतीं, बशर्ते इरादे मजबूत हों।
युवाओं के लिए सुझाव
यदि आप यूपीएससी या किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो शोएब अख्तर की कहानी से प्रेरणा लें। नियमित अध्ययन, सोशल मीडिया से दूरी, और परिवार का समर्थन आपकी सफलता की कुंजी हो सकती है। मेवात या अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के युवा स्थानीय कोचिंग या ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करें। बीटेक या अन्य तकनीकी शिक्षा को करियर का आधार बनाएं। अपनी सफलता की कहानियां समुदाय के साथ साझा करें, ताकि और लोग प्रेरित हों। हरियाणा के युवा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं और पारदर्शी भर्ती प्रक्रियाओं में हिस्सा लें।
शोएब अख्तर की प्रेरक कहानी
शोएब अख्तर की कहानी मेवात के युवाओं के लिए प्रेरणा है और बीजेपी सरकार की पारदर्शी नीतियों को उजागर करती है। यह खबर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो यूपीएससी, किसान परिवार, और ग्रामीण प्रतिभा में रुचि रखते हैं। यह हमें मेहनत, शिक्षा, और अवसरों के महत्व को सिखाती है।
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