कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को मतदाता अधिकार यात्रा के लिए बिहार लाना कांग्रेस के लिए एक मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। महागठबंधन के रणनीतिकार और कांग्रेस के ज़मीनी कार्यकर्ता यूँ ही प्रियंका गांधी को बिहार के चुनावी मैदान में उतारने की कामयाब कोशिश नहीं कर रहे हैं। यह एक सोची-समझी रणनीति है जिसका मक़सद राज्य की आधी आबादी पर केंद्रित है। प्रियंका गांधी जब राजनीति में आईं, तो उनके बोलने के अंदाज़, जनता के प्रति उनके आकर्षण, हाथ हिलाकर जनता का उत्साह बढ़ाने के लिए ताली बजाने के अंदाज़ को देखकर न सिर्फ़ कांग्रेस कार्यकर्ता, बल्कि आम जनता भी उनमें लौह महिला स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी की झलक देखने लगी।
महागठबंधन के लिए उम्मीद
महागठबंधन के रणनीतिकार प्रियंका गांधी की इसी छवि को परोसकर आधी आबादी के बीच अपनी पैठ बनाना चाहते हैं। सुपौल दौरे के दौरान प्रियंका गांधी के प्रति जनता की प्रतिक्रिया और प्रियंका की जनता के प्रति प्रतिक्रिया से इसे समझा जा सकता है। पुनौरा धाम का अपना धार्मिक महत्व हो सकता है, लेकिन चुनाव की पूर्व संध्या पर मिथिला यात्रा में इसे शामिल करने और पुनौरा धाम में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे कांग्रेस का धार्मिक महिलाओं के प्रति रुझान स्थापित करना ही शायद मकसद रहा हो। यह अलग बात है कि प्रियंका गांधी का कितना असर होगा, लेकिन उनका दौरा बेअसर नहीं होने वाला।
ज़मीनी कार्यकर्ताओं में उत्साह
गौर करें तो कांग्रेस के राजनीतिक स्वरूप में भीरुता से मुक्ति पाने की जद्दोजहद साफ दिखाई दे रही है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बदले तेवर तब पता चले जब पत्रकारों के बार-बार सवाल पूछने पर भी राहुल गांधी ने यह नहीं कहा कि अगला सीएम तेजस्वी यादव होंगे। वहीं, राहुल गांधी की आक्रामक राजनीति के तहत मतदाता अधिकार यात्रा और वोट चोर के नारों ने कांग्रेस के ज़मीनी कार्यकर्ताओं को इस बेचैनी से मुक्त कर दिया कि कांग्रेस की भूमिका अब किसी अनुयायी पार्टी की नहीं रही। बिहार की जनता ने राहुल गांधी को ड्राइविंग सीट पर देखा। इस बार मतदाता अधिकार यात्रा में प्रियंका गांधी को लाकर कांग्रेस के ज़मीनी कार्यकर्ताओं का भरोसा और मज़बूत हुआ।
सवाल भी कम नहीं?
आधी आबादी को लुभाने की प्रियंका गांधी की कोशिशों को राज्य की कुछ मौजूदा परिस्थितियों से भी गुजरना होगा। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक सोच में आधी आबादी का खास स्थान रहा है। ऐसे कई प्रयोग हुए हैं, जिसने आधी आबादी के जीवन को नई दिशा दी है। मसलन... नगर निकाय चुनाव में आधी आबादी को 50 फीसदी आरक्षण। नगर निकाय चुनाव में 50 फीसदी आरक्षण। पुलिस बहाली में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण। सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण। मैट्रिक और इंटर पास करने वाली छात्राओं को क्रमश: 10 और 25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि। बालिका साइकिल योजना। बालिका पोशाक योजना। शराबबंदी से परोक्ष रूप से महिलाओं को राहत।
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