हरिद्वार, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . पंच पर्वों के महापर्व की शुरूआत इस साल 18 अक्टूबर काे धनतेरस से हाेगी. 20 अक्टूबर काे दीपावली
के दिन लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल मुहूर्त शाम 7. 08 बजे से रात 8. 18 बजे और निशिता काल मुहूर्त रात 11.41 बजे से रात 12.31 बजे तक रहेगा.
ज्योतिषाचार्य प्रदीप जोशी ने गुरुवार काे बताया कि पंच पर्वों के इस महापर्व का पहला पर्व धनतेरस 18 अक्टूबर को है. इस दिन देवी लक्ष्मी और आरोग्य के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाएगी है. इस दिन नई वस्तुएं, खासकर सोना, चांदी या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. यह यश और सौभाग्य का प्रतीक है. मान्यता है कि इस दिन भगवान राम, रावण का वध करने के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे.
उन्हाेंने बताया कि धनतेरस के अगले दिन यानी 19 अक्टूबर का नरक चतुर्दशी, काली चौदस या छोटी दीपावली मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था. उसकी मौत की खुशी में अगले दिन बृजमंडल में दीप जलाकर खुशी मनायी थी. देश के कई हिस्सों में दीपावली का उत्सव इसी दिन से शुरू होता है. मान्यता है कि इस दिन करवा चौथ के करवे में रखे जल से स्नान करने से नरक की यातना नहीं सहनी पड़ती. उन्हाेंने बताया कि इस साल दीपावली का त्याेहार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल मुहूर्त शाम 7. 08 बजे से रात 8. 18 बजे तक और निशिता काल मुहूर्त रात 11.41 बजे से रात 12.31 बजे तक रहेगा. उन्हाेंने कहा कि हालांकि इस तिथि को लेकर अभी Assamंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ ज्योतिषाचार्य 20 अक्टूबर को दीपावली मनाना शुभ बता रहे हैं तो कुछ 21 अक्टूबर को मनाने की सलाह दे रहे हैं.
जाेशी ने बताया कि दीपावली के अगले दिन यानि पंच पर्वों की श्रृंखला का चौथा पर्व गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर काे है. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने इन्द्र के प्रकोप से लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था. इस दिन गायों की विशेष पूजा की जाती है. उन्हाेंने बताया कि पंच पर्व का अंतिम पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह त्याेहार भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक है. इस दिन, बहनें अपने भाइयों की सलामती की कामना करते हुए उनका तिलक करती हैं. इस दिन मथुरा में बड़ा उत्सव मनाया जाता है. मान्यता है कि यमुना में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने से अकाल माैत का भय नहीं रहता.
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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