उदयपुर, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran News). Rajasthan साहित्य अकादमी और टीम संस्था के संयुक्त तत्वावधान में सांस्कृतिक सृजन पखवाड़ा के तहत सुप्रसिद्ध कवि, आलोचक और अनुवादक कुंदन माली का एकल रचना पाठ एवं संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. जी. एम. मेहता ने की, जबकि मुख्य अतिथि डॉ. एम. एल. नागदा और विशिष्ट अतिथि पूर्व आरएएस अधिकारी दिनेश कोठारी रहे.
Gujarat विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त अंग्रेजी प्राध्यापक कुंदन माली अब तक Rajasthanी, हिंदी और अंग्रेजी में तीस पुस्तकें लिख चुके हैं. इनमें इतावली कविताओं और Gujaratी उपन्यासों के हिंदी अनुवाद के साथ Rajasthanी आलोचना की किताबें शामिल हैं. उन्हें केंद्रीय साहित्य अकादमी, Rajasthanी भाषा-साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर और Rajasthan साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से सम्मान मिल चुका है.
कार्यक्रम की विशेषताएंकार्यक्रम में कृष्ण कुमार जुगनू, मंजु चतुर्वेदी, मधु अग्रवाल, श्रीनिवास अय्यर, शारदा भट्ट, गौरीकांत शर्मा, जी. एस. राठौड़, रेणु देवपुरा, तराना परवीन, आशीष हरकावत, विपुल शर्मा, अम्बा लाल माली, जमना लाल माली, सुरेश सालवी सहित कई साहित्यकारों और कलाप्रेमियों का सम्मान किया गया.
टीम संस्था की ओर से अशोक शर्मा, सुनील टांक, लक्षा पोटा, शैली श्रीवास्तव, प्रदीप कौशिक, महिपाल सिंह राठौड़, दीपक शर्मा, मुकेश धनगर ने अतिथियों का सम्मान किया.
साथ ही शारदा जी पोटा का परिचय पढ़ा गया और उनका सम्मान भी किया गया.
कार्यक्रम का संचालन गौरीकांत शर्मा ने किया. स्वागत सुनील टांक ने किया और अंत में रामदयाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
कविताओं से मिली वाहवाहीकुंदन माली ने अपने जीवनकाल की चयनित कविताओं का पाठ किया. उनकी प्रसिद्ध कविता “चींटी संचे तीतर जाय” में सामाजिक सत्यों का उद्घाटन था, वहीं “रुख़ बचाना” में वृक्ष की भूमिका का रोचक चित्रण किया गया. Rajasthanी के मुहावरों के नवीनीकरण और कल्पनाशीलता से भरी अन्य कविताओं ने श्रोताओं की भरपूर वाहवाही लूटी.
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