गुवाहाटी, 26 सितंबर (Udaipur Kiran News) . राजधानी के पांडु–मालीगांव क्षेत्र का सबसे बड़ा और लोकप्रिय दुर्गापूजा, रेस्ट कैंप कालीबाड़ी पूजा इस बार अपने 77वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. हर साल की तरह इस बार भी दूर-दूर से दर्शक पूजा देखने आएंगे. पांडु और आसपास के निवासियों के लिए यह पूजा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बंधन, संस्कृति का उत्सव और भक्ति व आनंद का संगम है.
पूजा समिति के अध्यक्ष अमल चौधरी और महासचिव अमित राय ने बताया कि इस बार पूजा का बजट 60 लाख रुपये है. पूजा की थीम “मयूर महल” को चुना गया है. पंडाल के अंदर नवदुर्गा की प्रतिमा स्थापित होगी और बाहर मयूर की कलाकृति बनाई जाएगी. पंडाल निर्माण का दायित्व चंदननगर के प्रसिद्ध कारीगर मृन्मय घोष को दिया गया है. पंडाल की सजावट पर लगभग 15 लाख रुपये खर्च होंगे. समिति का मानना है कि यह भव्य थीम दर्शकों का मन मोह लेगी.
दुर्गा प्रतिमा में इस बार पारंपरिक शैली झलकेगी. West Bengal के हुगली जिले के मूर्तिकार काशीनाथ पाल प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं. उनकी बनाई प्रतिमा में पुरानी पारंपरिक मूर्तियों की सुंदरता और विशेषता देखने को मिलेगी. प्रतिमा निर्माण पर लगभग 4 लाख रुपये का खर्च आएगा.
रेस्ट कैंप कालीबाड़ी दुर्गापूजा की एक और खासियत है विशाल मेला. पूजा के दिनों से ही मेला शुरू हो जाएगा, जो न केवल पांडु क्षेत्र बल्कि आसपास से भी लोगों को आकर्षित करता है. बाहर से भी मेले की पार्टियां इसमें हिस्सा लेंगी. स्वादिष्ट पकवानों के साथ बच्चों और किशोरों के लिए झूले व खेल के स्टॉल लगाए जाएंगे. बच्चों के लिए यह मेला खास आकर्षण का केंद्र रहेगा. दर्शकों की सुविधा के लिए व्यवस्थित पार्किंग की भी व्यवस्था होगी.
पूजा पंडाल की रोशनी का कार्य West Bengal के प्रसिद्ध चंदननगर के प्रकाश कलाकार बापन इलेक्ट्रॉनिक करेंगे. उनकी सजावट से पूरा पंडाल जीवंत हो उठेगा. वहीं, West Bengal के बेलूर मठ के ढाकियों की ढाक की थाप से पूजा का आनंद और बढ़ जाएगा. ढाक की आवाज़ से ही पूजा का माहौल पूर्ण होता है और इस साल भी यह परंपरा बनी रहेगी.
सुरक्षा व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया गया है. सरकारी नियमों का पालन करते हुए पंडाल में सीसी कैमरे लगाए जाएंगे और निजी सुरक्षा बल भी तैनात रहेंगे. पूरे परिसर में कड़ी सुरक्षा रहेगी ताकि श्रद्धालु निश्चिंत होकर पूजा का आनंद ले सकें.
इस बार दुर्गापूजा का शुभारंभ पंचमी तिथि से होगा. मां दुर्गा का रूप अनावरण किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा किया जाएगा, जिससे इस पूजा का महत्व और बढ़ जाएगा.
हर वर्ष की तरह इस बार भी पूजा की स्मारिका में प्रतिष्ठित साहित्यकार, कवि और कहानीकारों की रचनाएं प्रकाशित होंगी. स्मारिका की जिम्मेदारी सेवानिवृत्त शिक्षक और साहित्यकार दीपक भद्र संभाल रहे हैं. स्थानीय लोगों ने इस पहल को सराहा है, क्योंकि इसमें भक्ति और धर्म के साथ-साथ साहित्य, संस्कृति और समाज के मूल्यों को भी महत्व दिया गया है.
हालांकि, रेस्ट कैंप कालीबाड़ी पूजा अपने बड़े बजट और भव्य आयोजन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन हाल के वर्षों में पांडु की नई पीढ़ी के छोटे बजट वाले पूजा आयोजन भी विविध थीम और सृजनशीलता के बल पर लोकप्रिय हो रहे हैं. ये नए प्रयोग बड़े आयोजनों को भी चुनौती दे रहे हैं.
रेस्ट कैंप कालीबाड़ी सार्वजनिक दुर्गापूजा न केवल पांडु-मालीगांव क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे गुवाहाटी के पूजा प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण है. इस साल की थीम, कला, रोशनी और मूर्तिकला मिलकर इस पूजा को ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान करेंगे.
(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर
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