पन्ना, 26 सितंबर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के पन्ना जिले के कलेक्टर सुरेश कुमार ने गुनौर तहसील के बिलघाड़ी स्थित मेसर्स डायमंड स्टोन क्रेशर के प्रोपराइटर और कांग्रेस नेता श्रीकांत दीक्षित पुत्र स्व. भास्कर दीक्षित निवासी टिकुरिया मोहल्ला पन्ना पर गत 25 सितम्बर को एक अरब 24 करोड़ 55 लाख 85 हजार 600 रूपये की शास्ति (जुर्माना) अधिरोपित की है. कलेक्टर न्यायालय द्वारा एक आवेदक के प्रस्तुत आवेदन के आधार पर उप संचालक खनिज प्रशासन जिला पन्ना एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व गुनौर के माध्यम से विस्तृत जांच प्रतिवेदन के उपरांत नियम विरूद्ध तरीके से गिट्टी के अवैध उत्खनन पर यह निर्णय पारित किया गया है. इसके साथ ही उप संचालक खनिज प्रशासन पन्ना को अनावेदक से अधिरोपित शास्ति की राशि नियमानुसार वसूल कर शासकीय कोष में जमा कराने तथा बैंक चालान की मूल प्रति न्यायालय में प्रस्तुत कराने के संबंध में निर्देशित किया है.
आवेदक द्वारा आवेदन के माध्यम से अवगत कराया गया था कि पप्पू उर्फ श्रीकांत दीक्षित द्वारा गुनौर में गिट्टी क्रेशर के लिए पत्थर निकालने का कार्य स्वीकृत क्षेत्र के बाहर खुदाई कर किया जा रहा है. इससे करोड़ों की रॉयल्टी चोरी हो रही है. आवेदन में इस बात का उल्लेख भी किया गया था कि बड़ा माफिया होने के कारण इसका भोपाल तक कोई काम नहीं रूकता और श्रीकांत दीक्षित के खिलाफ कोई बोल नहीं सकता. वकील रामलखन त्रिपाठी और एक पत्रकार द्वारा प्लानिंग से सभी कार्य कर तथा न्यूज के माध्यम से शासन को बेईमान और स्वयं को स्वच्छ छवि वाला दिखाकर पन्ना को लूटने का जिक्र भी आवेदक द्वारा किया गया था.
पक्ष समर्थन और जवाब प्रस्तुत करने के लिए मिला पर्याप्त अवसरः- कलेक्टर न्यायालय द्वारा विवेचना के दौरान पाया गया कि संबंधित को पक्ष समर्थन और जवाब प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त एवं उचित अवसर नोटिस जारी तिथि से ही प्रदान किया जा रहा है, लेकिन अनावेदक द्वारा आदेशों की लगातार अवमानना कर प्रकरण को लंबित रखने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे परिलक्षित होता है कि अनावेदक को स्वतः ही प्रारंभ से ज्ञात है कि अवैध उत्खनन का कोई पर्याप्त दस्तावेजी बचाव साक्ष्य नहीं है. इससे स्पष्ट है कि प्रकरण को लंबित रखने के उद्देश्य से अनावेदक निरंतर नए आवेदन प्रस्तुत कर रहे हैं.
अधिवक्ता रेवती रमण दीक्षित के तर्क श्रवण सहित प्रकरण व दस्तावेजों के समग्र अवलोकन तथा शासन साक्षियों के कथनों के आधार पर यह पाया गया कि पूर्व की निरस्त लीज की बकाया राशि जमा करने का कोई प्रमाण प्रकरण में प्रस्तुत नहीं किया गया है. साथ ही गिट्टी खनन के सर्वे नंबरों से लगी भूमियों पर अनावेदक के पुत्र के नाम से भण्डारण की लीज स्वीकृत कराई गई. अनावेदक द्वारा मात्र 99 हजार 300 घनमीटर की रायल्टी जमा कराई गई है, जबकि उत्खनन 2 लाख 72 हजार 298 घन मीटर किया गया है, जिसके तहत दाण्डिक एवं पर्यावरण क्षतिपूर्ति की कुल प्रशमन राशि निर्धारित प्रावधानों के तहत 62 करोड़ 27 लाख 92 हजार 800 रूपए बनती है. निर्धारित प्रशमन राशि जमा नहीं करने पर दोगुनी शास्ति राशि जमा कराने का आदेश पारित किया गया. इस प्रकरण में यह भी पाया गया कि अनावेदक ने उच्च न्यायालय जबलपुर में रिट पिटीशन क्रमांक 36212/2025 प्रस्तुत कर कलेक्टर पन्ना के न्यायालय के अभिलेख को तलब किए जाने, कलेक्टर पन्ना के विरूद्ध कार्यवाही तथा स्थानांतरण किए जाने, अनावेदक के विरूद्ध प्रचलित प्रकरणों को अन्य जिले के प्राधिकारी को अंतरित करने तथा अनावेदक के विरूद्ध कोई भी नई जांच प्रारंभ नहीं किए जाने का अनुतोष भी चाहा गया था, लेकिन उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा 17 सितम्बर को उक्त गुणरहित याचिका को खारिज करने की कार्यवाही की गई.
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(Udaipur Kiran) / सुरेश पांडे
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